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    1984 सिख विरोधी दंगे: सज्जन कुमार को नहीं मिली राहत, सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई

    Updated: Mon, 06 Jan 2025 11:30 PM (IST)

    सिख विरोधी दंगा मामले में सुनाई गई सजा के खिलाफ पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार और पार्टी के पूर्व पार्षद बलवान खोखर द्वारा दायर याचिकाओं पर जुलाई में सुनवाई करेगा। मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के रिकार्ड तलब किए हैं जो सभी संबंधित पक्षों को उपलब्ध कराए जाएंगे। जुलाई 2024 में SC ने CBI से राहत की मांग वाली खोखर की याचिका पर जवाब देने को कहा था।

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    सजा के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई (सुप्रीम कोर्ट)

    पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट 1984 के सिख विरोधी दंगा मामले में सुनाई गई सजा के खिलाफ पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार और पार्टी के पूर्व पार्षद बलवान खोखर द्वारा दायर याचिकाओं पर जुलाई में सुनवाई करेगा।

    जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस अरविंद कुमार की पीठ ने सोमवार को कहा कि यदि अंतिम सुनवाई निर्धारित समय पर नहीं हो पाती है तो याचिकाकर्ताओं को कोर्ट से सजा के निलंबन की प्रार्थना पर विचार करने का अनुरोध करने की स्वतंत्रता होगी।

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    सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

    सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के रिकार्ड तलब किए हैं, जो सभी संबंधित पक्षों को उपलब्ध कराए जाएंगे। जुलाई 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से राहत की मांग वाली खोखर की याचिका पर जवाब देने को कहा था। गौरतलब है कि दिल्ली हाई कोर्ट ने 2018 में बलवान खोखर की आजीवन कारावास की सजा बरकरार रखी थी, जबकि उसने 2013 में निचली अदालत द्वारा सज्जन कुमार को बरी करने के फैसले को पलट दिया था।

    यह मामला एक-दो नवंबर 1984 को दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के पालम कालोनी के राज नगर पार्ट-1 क्षेत्र में पांच सिखों की हत्या और राज नगर पार्ट-2 में एक गुरुद्वारे में आग लगाने से संबंधित था। अपनी याचिका में खोखर ने कहा कि जेल अधिकारियों ने 26 सितंबर, 2024 को उनकी याचिका खारिज कर दी थी और कहा था कि उनकी रिहाई से प्रतिकूल परिणाम होंगे और समाज में शांति और सौहार्द भंग होगा, जिससे अशांति फैल सकती है।

    पहले भी की जा चुकी है मांग

    उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार ने कई बार सुप्रीम कोर्ट से जमानत मांग चुके हैं। हालांकि, हर बार कोर्ट ने जमानत देने से इनकार कर दिया है। वर्ष 2021 में भी सज्जन कुमार ने खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए जमानत की याचिका दाखिल की थी, लेकिन इसको सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था।

    इस याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वीआईपी सुविधा की उम्मीद मत कीजिए। जब जरुरत होगी तो अधिकारी आपको अस्पताल ले जाएंगे।

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