जीडीपी के मामले में 190 देशों की सूची में 174वें नंबर पर आता है अफगानिस्तान, यूएस के रहने से हुआ था सुधार
अफगानिस्तान में विकास की रफ्तार हमेशा से ही धीमी रही है। विश्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2020 में अफगानिस्तान 190 देशों की सूची में 173वें स्थान पर था। यहां पर निवेश को लेकर असुरक्षा का माहौल हमेशा से ही रहा है।

नई दिल्ली (जेएनएन)। अफगानिस्तान वर्षों से युद्ध की आग में जलता रहा है। बीते दो दशक में अमेरिकी सेना और तालिबान के हमलों से, इससे पहले तालिबानी शासन की वजह से और उससे भी पहले रूस की मौजूदगी और इसके खिलाफ छिड़े युद्ध की वजह से अफगानितस्तान विकास की दौड़ में काफी पिछड़ गया है। अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था की बात करें तो ये मुख्यरूप से विदेशी मदद पर ही टिकी रही है। विश्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक यहां का निजी क्षेत्र का दायरा बेहद छोटा है। इसके अलावा कृषि क्षेत्र पर करीब देश के 44 फीसद लोग टिके हुए हैं। वहीं करीब 60 फीसद लोग इसकी कमाई के जरिए ही अपना खर्च चलाते हैं।
निजी क्षेत्र हमेशा से ही यहां की राजनीतिक स्थिरता को लेकर असमंजस में रहा है। यही वजह है कि इसका हमेशा से ही बेहद छोटा आकार रहा है। हमेशा ही इस क्षेत्र में सुरक्षा का अभाव दिखाई दिया है। इसके अलावा राजनीतिक अस्थिरता, ढांचागत व्यवस्था, निवेश के ढांचे पर संकट, करप्शन का बढ़ता दायरा और व्यापार के लिए उचित माहौल न होना भी बडी वजहों में शामिल है। अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि वर्ष 2020 में विश्व बैंक की डूइंग बिजनेस सर्वे में शामिल 190 देशों की सूची में अफगानिस्तान 173वें नंबर पर आता है।
विश्व बैंक के मुताबिक देश के जीडीपी में यहां के निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी महज तीन फीसद की है। यहां के खर्च का 75 फीसद तक विदेशी मदद के जरिए ही किया जाता है। वर्ष 2019 में देश की कुल जीडीपी का करीब 28 फीसद केवल सुरक्षा के लिए खर्च हुआ था। मौजूदा समय में अफगानिस्तान की जीडीपी 19.807 बिलियन डालर की है। होता है। बीते छह दशकों के आंकड़ों पर नजर डालें तो वर्ष 2013 में ये सर्वोच्च स्तर पर थी। उस वक्त ये 20.561 बिलियन डालर की थी। वहीं वर्ष 2002 में ये महज 4.005 बिलियन डालर की थी।
आपको बता दें कि वर्ष 2001 में अमेरिका ने तालिबान, अलकायदा और आईएस को खत्म करने के लिए यहां की धरती पर कदम रखा था। वहीं दो दशक के बाद अमेरिका अब यहां से लगभग जा चुका है। मौजूदा समय में उसके 5-8 हजार सैनिक ही बचे हैं। विश्व बैंक के आंकड़े बताते हैं कि अमेरिका की मौजूदगी में देश कीअर्थव्यवस्था ने बड़ा रास्ता तय किया है।
इन आंकड़ों को देखकर कहा जा सकता है कि इस दौरान देश के विकास में गति आई है और कहीं न कहीं देश की अर्थव्यवस्था भी मजबूत हुई है। इन दो दशकों के दौरान भारत ने भी अफगानिस्तान में विकास के कार्यों को आगे बढ़ाया है। भारत ने यहां पर करोड़ों डालर का निवेश भी किया है। इसके अलावा अमेरिका ने भी यहां पर निवेश किया हुआ है।
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