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    केजरीवाल का पर्चा रद करने की मांग, शपथपत्र में गलत जानकारी देने का आरोप

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    Updated: Sat, 26 Apr 2014 08:34 AM (IST)

    साहिबाबाद के वकील नीरज सक्सेना और उनके साथी अनुज अग्रवाल ने चुनाव आयोग में शिकायत कर दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल पर वाराणसी में नामांकन के दौ ...और पढ़ें

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    [राज कौशिक], गाजियाबाद। साहिबाबाद के वकील नीरज सक्सेना और उनके साथी अनुज अग्रवाल ने चुनाव आयोग में शिकायत कर दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल पर वाराणसी में नामांकन के दौरान दाखिल शपथ पत्र में गलत जानकारियां देने का आरोप लगाते हुए नामांकन खारिज करने की मांग की है।

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    मुख्य चुनाव आयुक्त को संबोधित शिकायती पत्र में लिखा गया है कि पिछले साल दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान केजरीवाल ने नामांकन के वक्त जो शपथ पत्र दिया था, उसमें कई जानकारियां गलत दी गई थीं। इसके खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका डाली गई थी। हाईकोर्ट में चुनाव आयोग के वकील ने कहा था कि शपथ पत्र की त्वरित जांच कर पाने की व्यवस्था नहीं है। इस पर हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि वादी इस मामले को लेकर सक्षम अदालत में जा सकते हैं।

    हाईकोर्ट के आदेश के बाद वकील नीरज सक्सेना व अनुज अग्रवाल ने चार फरवरी को पटियाला हाऊस कोर्ट में केजरीवाल के खिलाफ आपराधिक याचिका दायर कर दी। दस मार्च को कोर्ट ने नीरज सक्सेना के बयान भी दर्ज किए। इस मामले में चुनाव आयोग, गाजियाबाद कलक्ट्रेट व डाक व तार विभाग के तीन अफसरों के खिलाफ समन जारी करते हुए सात मई, 2014 की तारीख लगाई गई है। चुनाव आयोग से की गई शिकायत में कहा गया है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान जो गलत तथ्य शपथ पत्र में दिए गए, वही वाराणसी में नामांकन के दौरान दिए गए हैं। कहा गया कि केजरीवाल की दोबारा की गई इस गलती के खिलाफ अब स्वयं चुनाव आयोग को अदालत में जाना चाहिए और वाराणसी का नामांकन खारिज कर देना चाहिए।

    क्या है कोर्ट में विचाराधीन मामला

    पटियाला हाउस कोर्ट में विचाराधीन मामले में अरविंद केजरीवाल पर जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 125ए व धारा 31 और इंडियन पेनल कोड-1860 की धारा 177 लगाई गई है। इनके तहत केजरीवाल को संपत्तियों का मूल्य गलत बताने, शपथ पत्र में तथ्यों को छुपाने व गलत बयानी करने का आरोपी बताया गया है।

    ये आरोप हैं केजरीवाल पर

    याचिका कर्ता वकील नीरज सक्सेना ने बताया कि केजरीवाल कौशांबी में रहते हैं मगर शपथ पत्र में निवास का पता हनुमान रोड, दिल्ली दिया गया है। जून, 2013 में बिजली का बकाया न दिए जाने पर अरविंद केजरीवाल के आर-209, गिरनार, कौशांबी के फ्लैट की बिजली काट दिए जाने की खबरें अखबारों में छपी थीं। अखबारों की कटिंग्स भी कोर्ट में दी गई है। कहा गया है कि इस फ्लैट का शपथ पत्र में जिक्र तक नहीं है।

    प्लाट का पता व मूल्य गलत बताया

    केजरीवाल के पास साहिबाबाद के इंदिरापुरम में 230 वर्ग मीटर का प्लाट बताया गया है। उसका पता 11/44, इंदिरापुरम लिखा गया है, जबकि ऐसा कोई पता इंदिरापुरम में है ही नहीं। नीरज सक्सेना के मुताबिक गलत पता जानबूझ कर लिखवाया गया है। शपथ पत्र में प्लाट की कीमत 55 लाख बताई गई है जबकि सरकारी दर 63 हजार रुपये वर्ग मीटर के हिसाब से ही इसकी कीमत एक करोड़ 44 लाख 90 हजार बैठती है। हालांकि इंदिरापुरम में मार्केट रेट इससे दोगुना यानि सवा लाख रुपये प्रति मीटर तक है। पता गलत लिखवाने के पीछे कारण यही है कि कोई इसकी सही कीमत न जान ले।

    नहीं दिया वेल्थ टैक्स

    शिकायत में यह भी लिखा गया है कि इस प्रॉपर्टी पर वेल्थ टैक्स भी नहीं दिया गया है, जबकि आइआरएस होने के नाते केजरीवाल व उनकी पत्नी सुनीता दोनों ही इस नियम से वाकिफ होने चाहिए।

    छह माह में रत्तीभर भी लोन नहीं उतरा

    शिकायत के मुताबिक दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान शपथ पत्र में केजरीवाल ने अपनी पत्नी सुनीता के नाम 30 लाख का एसबीआइ होम लोन बताया था। करीब छह महीने बाद वाराणसी में दाखिल शपथ पत्र में भी लोन की यही राशि बताई गई है। दोनों शपथ पत्रों में सुनीता केजरीवाल के गुड़गांव स्थित फ्लैट का पता अलग-अलग बताया गया है।

    14 अगस्त तक फ्लैट करना होगा खाली

    दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 14 अगस्त तक फ्लैट खानी करना होगा। 14 फरवरी 2014 को केजरीवाल ने दिल्ली सरकार से इस्तीफा दे दिया था। जिसके बाद फरवरी में ही लोक निर्माण विभाग ने उन्हें मुख्यमंत्री की हैसियत से रहने के लिए दिए गए फ्लैट को खाली करने के लिए नोटिस भेजा था। जिस पर केजरीवाल ने पारिवारिक वजहों का हवाला देते हुए कुछ माह तक रहने देने का अनुरोध किया था। केजरीवाल ने कहा था कि यदि संभव हो तो उन्हें एक साल तक के लिए फ्लैट दे दिया जाए। जिसके बाद लोक निर्माण विभाग ने इस बारे में केंद्रीय शहरी विकास मंत्रलय से अनुमति मांगी थी। सूत्रों का कहना है कि मंत्रालय से छह माह तक के लिए अनुमति मिली थी। जिसमें कहा गया कि सरकार से इस्तीफा देने के छह माह तक वह इस फ्लैट में रह सकते हैं। 14 अगस्त को छह महीने की अवधि पूरी हो रही है। ज्ञात हो कि दिल्ली के मुख्यमंत्री रहने के दौरान 18 जनवरी को अरविंद केजरीवाल को शहरी विकास मंत्रालय ने 3 शयनकक्षों का एक फ्लैट लुटियंस क्षेत्र के तिलक लेन में आवंटित किया है। शहरी विकास मंत्रालय के अधीन संपदा निदेशालय ने केजरीवाल को तिलक लेन में टाइप-छह का सी-11, 23 नंबर का फ्लैट आवंटित किया था। 1600 वर्गफीट क्षेत्र में फैले इस फ्लैट में लॉन की सुविधा भी है। उस समय दिल्ली सरकार ने शहरी विकास मंत्रलय को दिल्ली के मुख्यमंत्री के रहने के लिए उपयुक्त मकान दिल्ली के बीच में आवंटित करने के लिए आवेदन किया था। केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय की पहल पर केंद्रीय लोक निर्माण विभाग ने केजरीवाल के लिए यह फ्लैट आवंटित कर दिया था। जिसके रखरखाव की जिम्मेदारी दिल्ली सरकार के तहत लोक निर्माण विभाग को दी गई। फ्लैट खाली होने के बाद केंद्रीय लोक निर्माण विभाग को लौटा दिया जाएगा। इस फ्लैट का किराया 84 हजार रुपये प्रति माह है।

    मनीष सिसोदिया ने नहीं दिया है जवाब

    दिल्ली सरकार में लोक निर्माण मंत्री बनने के बाद मनीष सिसोदिया को मयूर विहार फेज 2 में फ्लैट आवंटित किया गया। 14 फरवरी को सरकार से इस्तीफा देने के बाद दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग ने इस फ्लैट को खाली करने के लिए नोटिस भेजा था। मगर, सूत्रों का कहना है कि अभी तक सिसोदिया की ओर से फ्लैट खाली करने को लेकर कोई जवाब नहीं आया है। बताया जा रहा है कि सिसोदिया इस समय दिल्ली से बाहर हैं और लोकसभा चुनाव के बाद वह इसे खाली कर सकते हैं।

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