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    Aditya-L1: देश के सोलर मिशन को लेकर अच्छी खबर, ISRO ने पृथ्वी से 9.2 लाख किलोमीटर दूर फिर कर दिखाया यह कारनामा

    By AgencyEdited By: Amit Singh
    Updated: Sat, 30 Sep 2023 09:23 PM (IST)

    इसरो ने बताया कि अंतरिक्ष यान अब सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंज प्वाइंट-1 की ओर बढ़ रहा है। यह लगातार दूसरी बार है कि इसरो पृथ्वी के प्रभाव क्षेत्र के बाहर अंतरिक्ष यान भेजने में सफल रहा है। पहली बार मार्स ऑर्बिटर मिशन के दौरान इसरो ने यह कीर्तिमान स्थापित किया था। इससे पहले इसरो ने बताया था कि आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान ने डेटा एकत्र करना शुरू कर दिया है।

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    डाटा की सहायाता से वैज्ञानिकों को पृथ्वी के आसपास के कणों की स्टडी करने में मदद मिलेगी।

    पीटीआई, नई दिल्ली: इसरो के आदित्य-एल1 मिशन को लेकर एक अच्छी खबर आई है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने एक्स पर किए एक पोस्ट में बताया है कि आदित्‍य-एल1 धरती से लगभग 9.2 लाख किलोमीटर से ज्‍यादा की दूरी तय कर चुका है। अंतरिक्ष यान ने यह दूरी पृथ्वी के प्रभाव वाले क्षेत्र से सफलतापूर्वक बचकर तय की है।

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    लैग्रेंज प्वाइंट-1 की ओर बढ़ रहा अंतरिक्ष यान

    एक्स पर किए पोस्ट में इसरो ने बताया कि अंतरिक्ष यान अब सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंज प्वाइंट-1 की ओर बढ़ रहा है।

    यह लगातार दूसरी बार है कि इसरो पृथ्वी के प्रभाव क्षेत्र के बाहर अंतरिक्ष यान भेजने में सफल रहा है। पहली बार मार्स ऑर्बिटर मिशन के दौरान इसरो ने यह कीर्तिमान स्थापित किया था। इससे पहले इसरो ने बताया था कि आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान ने डेटा एकत्र करना शुरू कर दिया है। इस डाटा की सहायाता से वैज्ञानिकों को पृथ्वी के आसपास के कणों की स्टडी करने में मदद मिलेगी।

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    इसरो ने दो सितंबर को किया प्रक्षेपण

    इसरो द्वारा बीती 2 सितंबर को पीएसएलवी-सी57 रॉकेट की सहायता से आदित्य-एल1 का प्रक्षेपण किया गया था। जिसके बाद वो मंगलवार 19 सितंबर को ट्रांस-लैग्रेजियन प्वाइंट 1 इंसर्शन की प्रक्रिया पूरी कर पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से बाहर पहुंचाया गया था। इसके साथ ही क्रूज चरण की शुरुआत हो गई थी। क्रूज चरण के बाद लैग्रेजियन प्वाइंट 1 (एल1) के पास पहुंचेगा। एल1 पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर है।

    आदित्य-एल1 में सात पेलोड हैं

    पांच साल के मिशन के दौरान अंतरिक्ष यान एल-1 से ही सूर्य का अध्ययन करेगा। एल1 अंतरिक्ष में स्थित वह स्थान है, जहां सूर्य और पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल समान होता है। एल-1 के पास की कक्षा में रखे गए सेटेलाइट से सूर्य को बिना किसी छाया लगातार देखा जा सकेगा। आदित्य-एल1 में सात पेलोड हैं।

    ये पेलोड फोटोस्फेयर (प्रकाशमंडल), क्रोमोस्फेयर (कोरोना और फोटोस्फेयर के बीच की परत) और सूर्य की सबसे बाहरी परत (कोरोना) का अध्ययन करेंगे। एल-1 का उपयोग करते हुए चार पेलोड सीधे सूर्य की ओर होंगे। शेष तीन पेलोड एल-1 पर ही क्षेत्रों का अध्ययन करेंगे।

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