आम आदमी पार्टी के साथ EC ने की बैठक, चुनाव प्रक्रिया पर भरोसा बढ़ाने के लिए हो रहे प्रयास
चुनाव आयोग ने चुनावी प्रक्रिया पर राजनीतिक दलों का भरोसा बढ़ाने के लिए आम आदमी पार्टी के साथ बैठक की। अरविंद केजरीवाल भी इस बैठक में शामिल हुए। आयोग प ...और पढ़ें

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश में चुनाव की भले ही एक तय प्रक्रिया है, लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव सहित कई राज्यों के विधानसभा चुनावों में हारने के बाद राजनीतिक दलों की ओर से चुनावी व्यवस्था पर जिस तरह से सवाल खड़े किए गए उससे चुनावी व्यवस्था पर संदेह बढ़ने के साथ ही राजनीतिक दलों के साथ विश्वास में कमी भी आई।
यही वजह है कि चुनाव आयोग ने अब भरोसे को मजूबती देने और संदेहों को दूर करने के लिए राजनीतिक दलों के साथ विमर्श तेज किया है। इसमें विधानसभा स्तर से लेकर जिला, राज्य और अब राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक दलों के साथ बैठकें चल रही हैं।
आम आदमी पार्टी के साथ बैठक
- आयोग ने इस कड़ी में गुरुवार को आम आदमी पार्टी के साथ बैठक की, जिसमें पार्टी प्रमुख और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी मौजूद थे। इससे पहले आयोग भाजपा, बसपा और पीपीपी जैसी राष्ट्रीय पार्टियों के साथ भी बैठक कर चुका है।
- बैठक में शंकाओं को दूर करने के साथ ही चुनावी प्रक्रिया को सशक्त और पारदर्शी बनाने के सुझाव लिए जा रहे हैं। आयोग के मुताबिक, राजनीतिक दलों की चुनावी शंकाओं को दूर करने के लिए पहली बार देश भर के बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) का प्रशिक्षण शुरू किया गया है।
- इस दौरान उन्हें मतदाता सूची तैयार करने के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों के साथ ही पहली बार उन्हें पहचान पत्र से भी लैस किया गया है। इसके साथ ही आयोग ने चुनाव प्रक्रिया से जुड़े अन्य कर्मचारियों और अधिकारियों को भी नए सिरे से प्रशिक्षण देने का अभियान छेड़ा है। इनमें ईआरओ, एआरओ, पुलिस अधिकारी आदि शामिल हैं।
बीएलओ के प्रशिक्षण का भी कार्यक्रम
आयोग के मुताबिक, राजनीतिक दलों के साथ भरोसे को बढ़ाने के लिए अब तक 4719 बैठकें हो चुकी हैं। इनमें से 3879 बैठकें विधानसभा स्तर पर हुई हैं। इनमें सभी राजनीतिक दलों से जुड़े 28 हजार प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इसके साथ ही राजनीतिक दलों के साथ आठ सौ बैठकें जिला स्तर पर जिला निर्वाचन अधिकारी के साथ और करीब 40 बैठकें राज्य स्तर पर राज्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) के साथ हो चुकी हैं।
आयोग के मुताबिक, अब बीएलओ के प्रशिक्षण और राजनीतिक दलों के साथ चर्चा का यह सिलसिला लगातार चलता रहेगा। वैसे भी इन शंकाओं के पीछे प्रशिक्षण की कमी व नियमों की ठीक तरीके से जानकारी का न होना भी है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।