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    Aadi Mahotsav 2023: आदिवासी समुदाय से जुड़े आदि महोत्सव जैसे आयोजन देश के लिए हैं एक अभियान- PM मोदी

    By Versha SinghEdited By: Versha Singh
    Updated: Thu, 16 Feb 2023 12:11 PM (IST)

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में मेगा नेशनल ट्राइबल फेस्टिवल आदि महोत्सव का उद्घाटन किया। उन्होंने आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा को भी पुष्पांजलि अर्पित की। इस दौरान उनके साथ केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा भी मौजूद रहे।

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    प्रधानमंत्री मोदी ने किया "आदि महोत्सव" का उद्घाटन

    नई दिल्ली, एजेंसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में मेगा नेशनल ट्राइबल फेस्टिवल "आदि महोत्सव" का उद्घाटन किया। उन्होंने आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा को भी पुष्पांजलि अर्पित की। इस दौरान उनके साथ केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा भी मौजूद रहे।

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    इस दौरान कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 21वीं सदी का भारत 'सबका साथ, सबका विकास' के मंत्र पर चल रहा है। अब सरकार दिल्ली से उससे मिलने जाती है जिसे दूर समझा जाता था। जो खुद को दूर समझता था उसे अब मुख्यधारा में लाया जा रहा है।

    उन्होंने आगे कहा कि पिछले 8-9 सालों में आदिवासी समुदाय से जुड़े आदि महोत्सव जैसे आयोजन देश के लिए एक अभियान बन गए हैं। मैं खुद ऐसे कई कार्यक्रमों का हिस्सा बनता हूं। आदिवासी समुदाय का कल्याण मेरे लिए व्यक्तिगत संबंधों और भावनाओं का विषय भी है।

    जनजातीय समाज के योगदान का हो उचित सम्मान

    पीएमओ ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रधानमंत्री मोदी देश की जनजातीय आबादी के कल्याण के लिए कदम उठाने में सबसे आगे रहे हैं और वह देश के विकास में उनके योगदान का उचित सम्मान भी करते हैं।

    आदिवासी संस्कृति, शिल्प, व्यंजन, वाणिज्य और पारंपरिक कला की भावना का जश्न मनाने वाला आदि महोत्सव, जनजातीय मामलों के मंत्रालय के तहत जनजातीय सहकारी विपणन विकास संघ लिमिटेड (ट्राइफेड) की एक वार्षिक पहल है।

    16 से 27 फरवरी तक ध्यानचंद स्टेडियम में होंगे आयोजन

    इस साल इस कार्यक्रम का आयोजन 16 से 27 फरवरी तक दिल्ली के मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में किया जा रहा है। पीएमओ के मुताबिक कार्यक्रम स्थल पर 200 से अधिक स्टालों में देश भर की जनजातियों की समृद्ध और विविध विरासत को प्रदर्शित किया जाएगा।

    वाणिज्य और पारंपरिक कला की दिखेगी झलक

    जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा के अनुसार आदिवासियों के उत्पादों को बाजार उपलब्ध करवाने और उनकी कला-संस्कृति को पहचान दिलाने के लिए इस कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इस महोत्सव में आदिवासी शिल्प, संस्कृति, व्यंजन और व्यापार से लोगों को सीधे रूबरू होने का मौका मिलेगा। हस्तशिल्प, हथकरघा, मिट्टी के बर्तन, आभूषण आदि आकर्षण का केंद्र रहेगा।

    मिलेगा आदिवासी जायके का लुत्फ

    बता दें कि इस 11 दिवसीय मेले में 28 राज्यों के लगभग 1000 आदिवासी कारीगर और कलाकार हिस्सा लेंगे। 13 राज्यों के आदिवासी रसोइए मिलेट्स में जायके का तड़का लगाएंगे, जिसमें रागी हलवा, कोदो की खीर, मांडिया सूप, रागी बड़ा, बाजरा की रोटी, बाजरा का चुरमा, मडुआ की रोटी, भेल, कश्मीरी रायता, कबाब रोगन जोश का जायका खास तौर पर मिलेगा। तमिलनाडु, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखंड, छत्तीसगढ़, जम्मू-कश्मीर के आदिवासी जायके का लुत्फ भी मिलेगा।

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