छत्तीसगढ़ में एक गांव को जनता ने घोषित किया ‘गणराज्य’
ग्रामसभा ने मंत्री और कलेक्टर पर लगाया बकरा, सूअर, मुर्गा व शराब का जुर्माना ...और पढ़ें

रायपुर (अनिल मिश्रा)। छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले का गांव साल्हेभाट इन दिनों प्रशासन के लिए पहेली बना हुआ है। कानूनन पारंपरिक या रूढ़िवादी गांव की श्रेणी में शामिल यहां के आदिवासी इसे ‘गणराज्य’ मानते हैं। इसे नाते ग्रामसभा की अनुमति के बगैर हुए कामों को असंवैधानिक करार देते हैं। फिर भले ही राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री
प्रेमप्रकाश पांडेय के हाथों कॉलेज भवन का लोकार्पण का मामला ही क्यों न हो। पहली जुलाई को हुए इस लोकार्पण के बाद नाराज लोगों ने पारंपरिक ग्रामसभा बुलाई। इसमें मंत्री, कलेक्टर और सरपंच को दोषी करार दिया। लोगों ने मंत्री, कलेक्टर और सरपंच पर बकरा, सूअर, मुर्गा और शराब का जुर्माना ठोकदिया। सरपंच ने सभी आरोप अपने ऊपर लेते हुए जुर्माना अदा भी कर दिया।
ग्राम देवता की अनुमति से कॉलेज का दोबारा लोकार्पण भी कराया गया। नरहरपुर विकासखंड के ग्राम सरोना में दो करोड़ से कॉलेज भवन की स्वीकृति मिली थी। वहां जमीन नहीं मिली तो पड़ोसी गांव साल्हेभाट से मांगी गई। वहां के ग्रामीणों ने पारंपरिक ग्रामसभा बुलाई जिसमें परगना (आदिवासी गांवों का समूह) के गायता, मांझी, मुखिया, पटेल और कोटवार जुटे। परंपरा के अनुसार परगना में शामिल 52 गांवों के प्रमुख देवता ठेमा बाबा और इन गांवों की 52 देवियों यानी जिमेदारिन दाई की अनुमति से भूमि देने की सहमति दी। लेकिन भवन बनने के बाद ग्रामसभा को बताए बिना पहली जुलाई को उच्च शिक्षा मंत्री से लोकार्पण करा दिया गया। इससे गुस्साए ग्रामीणों ने मंत्री के मंच के सामने ही ग्रामसभा की। पुलिस बुलानी पड़ी।
ग्रामीणों का कहना है कि ग्रामसभा में कलेक्टर टामन सिंह सोनवानी खुद आए और गलती मानी। ग्रामसभा अध्यक्ष राधेश्याम भास्कर, पटेल ईश्वर मंडावी, कपूरचंद कुंजाम ने 16 जुलाई को फिर ग्रामसभा बुलाई। इसमें सरोना के सरपंचजीवन नेताम से बयान लिया गया। बाद में सभा ने मंत्री, कलेक्टर और सरपंच पर जुर्माना लगा दिया।
संविधान ने दिया है अधिकार
ग्रामसभा सदस्य सुनील वट्टी ने कहा-संविधान के अनुच्छेद 244 (1) में अनुसूचित क्षेत्रों के अधिकार दिए हैं। हमने पारंपरिक रूढ़िवादी ग्रामसभा 13 (क) का पालन किया है। पांचवीं अनुसूची क्षेत्र में बिना ग्रामसभा की अनुमति कॉलेज का लोकार्पण असंवैधानिक है, इसलिए दंड लगाया।
कुछ लड़के संविधान की किताब लेकर घूम रहे हैं। साल्हेभाट गणराज्य के नाम से आदेश जारी कर रहे हैं। अलग गणराज्य है तो क्या हमें उनके साथ संधि करनी पड़ेगी? पांचवीं अनुसूची क्षेत्र के प्रशासन में रूढ़िवादी ग्रामसभा का उल्लेख है, लेकिन रूढ़ि या परंपरा क्या है, इसे जानना जरूरी है। आज भी उनका पत्र आया था। मैंने सरकार को भेज दिया है।- टामन सिंह सोनवानी, कलेक्टर कांकेर।
साल्हेभाट में कॉलेज भवन का लोकार्पण किया था। इसके लिए ग्रामसभा की अनुमति की क्या जरूरत। मेरी जानकारी में ग्रामसभा की ओर से जुर्माना लगाने वाली बात नहीं आई है।- प्रेमप्रकाश पांडेय, मंत्री, उच्च शिक्षा विभाग, छत्तीसगढ़।
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