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    अफ्रीकी देशों से इस साल आएगी चीतों की नई खेप, मध्य प्रदेश और राजस्थान के ये अभयारण्य हो सकते नया ठिकाना

    इस साल अफ्रीकी देशों से चीतों की नई खेप लाने की तैयारी है। मगर इस बार इन चीतों को नई जगह पर रखा जाएगा। अभी तक लाए गए 20 चीतों को मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में रखा गया है। प्रोजेक्ट चीता के तहत पांच साल में कुल 50 चीतों को लाने की योजना पर केंद्र सरकार काम कर रही है।

    By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Mon, 15 Jul 2024 08:25 PM (IST)
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    चीतों की नई खेप लाने की तैयारी। (फाइल फोटो)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। शुरुआती झटके के बाद चीता प्रोजेक्ट फिलहाल अब संकट से ऊबर गया है। देश में इनकी संख्या न सिर्फ बढ़ रही है बल्कि वह यहां के वातावरण में अब वह पूरी तरह से रच-बस भी गए है। यही वजह है कि प्रोजेक्ट के तहत अफ्रीकी देशों से चीतों की नई खेप को लाने की तैयारी शुरू कर दी गई है, जो संकेत मिले है, उसके तहत केन्या या फिर दक्षिण अफ्रीका से यह नई खेप लाई जा जाएगी। जो इस साल के अंत तक यानी अक्टूबर-नवंबर तक आ सकती है।

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    अब तक कुल 20 चीता आ चुके हैं भारत

    2022 में चीता प्रोजेक्ट की शुरूआत हुई थी। इसके तहत अगले पांच सालों में कुल 50 चीतों को लाया जाना है। इनमें से 2022 में नामीबिया से आठ चीते लगाए गए थे, जबकि 2023 में दक्षिण अफ्रीका से 12 चीते लाए गए थे। ऐसे में अब तक कुल 20 चीते लाए जा चुके है। यह बात अलग है कि इनमें से सात चीतों की अब तक मौत हो गई है। मौजूदा समय में इनमें से 13 चीते बचे है, लेकिन इनकी प्रगति व सक्रियता न सिर्फ प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियों को बल्कि दुनिया के वन्यजीव विशेषज्ञों को भी चौंका रही है।

    इस बार केन्या से लाए जा सकते हैं चीता

    मौजूदा समय में कूनो में चीतों की संख्या कुल 27 हो गई है। इनमें 13 व्यस्क और 14 शावक है। इनमें करीब छह शावक साल भर के होने वाले है। विशेषज्ञों की मानें तो किसी भी वन्यजीव को नए सिरे से बसाने या विकास के लिए उनकी संख्या सौ के आसपास होनी चाहिए। सूत्रों की मानें तो इस बार चीतों की नई खेप लाने में केन्या को महत्व दिया जा रहा है, क्योंकि केन्या की जलवायु भारतीय वन्यजीवों अभयारण्यों से कुछ-कुछ मिलती है। साथ ही वहां चीता खुले में रहते है।

    1980 में केन्या ने दिया था प्रस्ताव

    वहीं दक्षिण अफ्रीका के साथ भारत ने पिछले साल ही समझौता किया है। जिसके तहत वह भारत को पर्याप्त चीतों को देने के लिए सहमत है। गौरतलब है कि केन्या ने भारत को चीते देने का प्रस्ताव वर्ष 1980 में उस समय दिया था, जब वह अपने यहां इन्हें फिर से बसाने की योजना पर काम कर रहा था। हालांकि उस समय देश में सिर्फ एशियाई चीते ही लाने की सोच थी। जो उस समय ईरान में थे। इसलिए उसके प्रस्ताव को उस समय ज्यादा तवज्जो नहीं दी गई थी।

    कूनो से राजस्थान के अभयारण्यों तक चीता लगा रहे है दौड़

    चीतों का अभी एक मात्र ठिकाना मध्य प्रदेश का कूनो अभयारण्य है, जहां अब तक लायी गई चीतों को दोनों ही खेप को रखा गया है, लेकिन चीतों की आने वाली नई खेप को अब किसी दूसरे अभयारण्य में रखा जाएगा। वैसे भी कूनो के पास कुल क्षमता 25- 30 चीतों को रखने की है।

    अब यहां रखे जा सकते हैं चीता

    फिलहाल नई खेप को रखने के लिए जो संभावित ठिकाने चिन्हित किए गए है, उनमें मध्य प्रदेश का नोरादेही व गांधी सागर अभयारण्य है, वहीं राजस्थान के भैंसरोड़गढ़ को भी चिन्हित किया गया है। विशेषज्ञों के मुताबिक कूनो में रखे गए चीता अब उससे सटे राजस्थान के अभयारण्य तक दस्तक दे रहे है।

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