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    किसान मरता रहा.... केजरीवाल और सिसोदिया देखते रहे

    By Rajesh NiranjanEdited By:
    Updated: Thu, 23 Apr 2015 11:03 AM (IST)

    जंतर-मंतर पर आम आदमी पार्टी (आप) की किसान रैली बुधवार को काला अध्याय लिख गई। बारिश और ओले से बर्बाद हुए राजस्थान के एक किसान गजेंद्र सिंह ने रैली के दौरान मंच के सामने पेड़ पर चढ़कर फांसी लगा ली और मंच पर बैठे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत अन्य नेता

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    नई दिल्ली [राज्य ब्यूरो]। जंतर-मंतर पर आम आदमी पार्टी (आप) की किसान रैली बुधवार को काला अध्याय लिख गई। बारिश और ओले से बर्बाद हुए राजस्थान के एक किसान गजेंद्र सिंह ने रैली के दौरान मंच के सामने पेड़ पर चढ़कर फांसी लगा ली और मंच पर बैठे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत अन्य नेता उसे देखते रहे।

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    गजेंद्र आत्महत्या कांड से जुड़ी हर खबर पढ़ें

    दुखद यह है कि किसान की आत्महत्या के बाद भी रैली जारी रही, नेता भाषण देते रहे। केजरीवाल भी भाषण के दौरान किसानों से वादे करते रहे, लेकिन गजेंद्र को बचाने के लिए खुद अपना कदम आगे नहीं बढ़ाया।

    केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह के निर्देश पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है। वहीं, भाजपा ने केजरीवाल पर असंवेदनशीलता का आरोप लगाया है। किसान की मौत पर राजस्थान कांग्रेस ने दो लाख रुपए शुुरुआती मदद देने का ऐलान किया है। इसके अलावा ये भी कहा गया है कि सचिन पायलट गजेंद्र सिंह के अंतिम संस्कार में शामिल होंगे।

    राजस्थान के दौसा का रहने वाला गजेंद्र किसान रैली में शामिल होने आया था। केजरीवाल गजेंद्र को अस्पताल में देखने गए, लेकिन जाने वाला तो जा चुका था। इस पूरी घटना ने पुलिसिया सिस्टम पर भी सवाल खड़े किए हैं। मंच से आप नेताओं द्वारा बार-बार आवाज देने और खरी-खोटी सुनाने के बाद भी कोई सिपाही भी गजेंद्र को बचाने नहीं गया। आप के कार्यकताओं ने गजेंद्र को पेड़ से उतारा। किसान ने सुसाइड नोट में आत्महत्या का कारण फसल बर्बाद होना बताया है। यह भी लिखा कि पिता ने उन्हें घर से बाहर निकाल दिया है।

    साफा बांधने में माहिर था गजेंद्र

    -पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी समेत अनेक मशहूर हस्तियों को साफा पहना चुका था।

    -33 तरीकों से बांधता था साफा, कई प्रतियोगिताएं जीत चुका था।

    -उसकी नौ बीघा जमीन है। फसल को 40 फीसद नुकसान हुआ है।

    -उसके चाचा गोपालसिंह नांगल गांव के सरपंच हैं।

    -गजेंद्र के छोटे भाई की दो बेटियों की बुधवार को ही शादी थी।

    राजनीति में भी सक्रिय था

    गजेंद्र सिंह राजनीति में भी दिलचस्पी रखता था। वह भाजपा, कांग्रेस और सपा में सक्रिय रहा। पहले भाजपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव लडऩा चाहा, लेकिन टिकट नहीं मिलने पर सपा से बांदीकुई विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा। सपा में भी वह अधिक दिन नहीं रह सका और पिछले दिनों ही आम आदमी पार्टी में शामिल हुआ था।

    किसने क्या कहा

    'गजेंद्र की मौत से पूरा देश दुखी है। भगवान उनके परिजनों को दुख सहन करने की शक्ति प्रदान करें। भारत के किसान खुद को अकेला ना समझें। उनका बेहतर भविष्य बनाने के लिए हम सब साथ हैं।'

    -नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री

    'यह दुख का समय है। मैं कोई बयान नहीं देना चाहता। सिर्फ किसानों से कहना चाहता हूं कि वे घबराएं नहीं, हम उनके साथ खड़े हैं।' -राहुल गांधी, कांग्रेस उपाध्यक्ष

    'हम मंच से बार-बार दिल्ली पुलिस को कहते रहे कि आप उसे बचा लीजिए, लेकिन पुलिस ने कोई कदम नहीं उठाया। पुलिस हमारे कंट्रोल में नहीं है, लेकिन भगवान के कंट्रोल में तो है। इतनी इंसानियत तो हो कि वह पेड़ पर चढ़कर उसकी जान बचा लेती।' -अरविंद केजरीवाल, मुख्यमंत्री

    घर में बज रही थी शहनाई

    राजस्थान के दौसा जिले में नांगलझापरवाड़ा गांव के किसान गजेंद्र सिंह के दिल्ली में फांसी लगाने की घटना से पूरा देश स्तब्ध है। उसके घर में बुधवार को शहनाई बज रही थी, महिलाएं मंगलगीत गा रही थी। उसकी दो भतीजियों का विवाह समारोह होने के कारण घरवाले बरात के स्वागत की तैयारियों में लगे हुए थे। इस बीच गजेंद्र की खुदकुशी की खबर गांव पहुंची तो हाहाकार मच गया। सूचना मिलने के तुरंत बाद उसके चाचा सरपंच गोपाल सिंह नांगल, छोटा भाई श्याम सिंह और अन्य परिजन दिल्ली के लिए रवाना हो गए।

    पिता से चल रहा था विवाद

    ग्रामीणों के अनुसार, गजेंद्र सिंह करीब दस दिनों से दिल्ली में ही था। पिता के साथ उसका विवाद चल रहा था। उसने अपने सुसाइड नोट में भी इस बात की तरफ इशारा किया था, जिसमें लिखा कि मेरे पिता ने मुझे घर से निकाल दिया, इससे वह परेशान था। गजेंद्र दसवी तक पढ़ा था। उसके दो पुत्र और एक पुत्री हैं। गजेंद्र का एक भाई दिल्ली और दूसरा जयपुर में नौकरी करता है।

    संपन्न परिवार से था गजेंद्र : प्रशासन

    वहीं, दौसा प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि गजेंद्र सिंह संपन्न परिवार से ताल्लुक रखता था। उनके पास कई फार्म हाउस हैं। फसल बर्बाद होने की वजह से उसने जान नहीं दी है। हालांकि किसान के घरवालों का यही कहना है कि गजेंद्र ने फसल बर्बाद होने के चलते खुदकुशी की है।

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