दिल्ली में पल्ला से ओखला के बीच 22 किमी लंबाई में 80 फीसदी यमुना प्रदूषित, क्या है सबसे बड़ा कारण?
दिल्ली में प्रदूषित यमुना को साफ करना दिल्ली सरकार के लिए बड़ा चैलेंज है। ओखला और पल्ला के बीच 22 किमी लंबाई में 80 फीसदी यमुना प्रदूषित है। सीवेज और अनधिकृत कॉलोनियां यमुना का प्रदूषण बढ़ा रही हैं। संसद की स्थायी समिति ने जब यमुना के हालात पर चर्चा की तो नगरीय निकायों की भूमिका का मुद्दा प्रमुखता से उठा।

मनीष तिवारी, नई दिल्ली। यमुना नदी को प्रदूषण से मुक्त कराने के लिए फिर से किए जा रहे प्रयासों के बीच संसदीय समिति ने नदी संरक्षण के लिए स्थानीय निकायों की जिम्मेदारी तय करने की जरूरत जताई है।
समिति का यह विचार इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि सरकारी एजेंसियों ने यह माना है कि इस नदी के प्रदूषण का कारण बन रहे दूषित जल में 80 प्रतिशत हिस्सेदारी म्युनिसिपल वेस्ट यानी नगरीय अपशिष्ट की है। यह समस्या इसलिए ज्यादा गंभीर हो जाती है, क्योंकि इसके निदान के लिए किसी एक विभाग अथवा अफसर की जिम्मेदारी तय नहीं है।
यमुना में प्रदूषण के कारणों की निगरानी की जिम्मेदारी तय हो
- इसी आधार पर यह सुझाव भी दिया गया है कि यमुना के प्रदूषण के लिए जिम्मेदार कारणों के निदान के लिए समयबद्ध कार्यक्रम बनाया जाए और उसकी निगरानी के लिए किसी की जिम्मेदारी तय की जाए। जल संसाधन और नदियों के पुनर्जीवन के मामले में संसद की स्थायी समिति ने जब यमुना के हालात पर चर्चा की तो नगरीय निकायों की भूमिका का मुद्दा प्रमुखता से उठा।
- इन राज्यों के बोर्डों ने रखे अपने पक्ष
- उत्तर प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों ने अपने-अपने पक्ष रखे, यमुना में गिरने वाले नालों की संख्या और उनके लिए लगे एसटीपी की संख्या गिनाई तभी यह सामने आया कि सारे नालों से गिरने वाले दूषित जल का तो विवरण ही नहीं है।
यूपी के हिस्से में 137 ड्रेन, हिसाब-किताब सिर्फ 35 का
उदाहरण के लिए उत्तर प्रदेश के हिस्से में कुल 137 ड्रेन हैं, लेकिन केवल 35 का हिसाब-किताब है। इनमें से 17 में पूरी तरह घरेलू सीवेज बहता है। हिमाचल प्रदेश के अधिकारियों के अनुसार, वैसे तो कोई नगरीय दूषित जल सीधे यमुना में नहीं जाता, लेकिन नगरीय सीमा में चार नाले ऐसे हैं जिनका पानी यमुना में जाता है।
दिल्ली में 9 ड्रेन वाटर ट्रीटमेंट के दायरे में
संबंधित निकाय समिति और जलशक्ति विभाग ने सुधार के लिए कोई कदम नहीं उठाए हैं। यही स्थिति हरियाणा की भी है, जिसकी दो ड्रेन बड़ी मात्रा में अपना दूषित जल यमुना में उड़ेल रही हैं। जहां तक दिल्ली की बात है तो यमुना को दूषित कर रहीं कुल 22 ड्रेन में से केवल नौ को पूरी तरह ट्रीटमेंट के दायरे में लिया जा सका है, दो को आंशिक तौर पर और बाकी बिना रोक-टोक के हैं।
पल्ला से ओखलीा के बीच यमुना सबसे ज्यादा प्रदूषित
सारे आंकड़ों और तस्वीर को देखने के बाद समिति ने कहा कि दिल्ली में हालात खास तौर पर चिंताजनक हैं। पल्ला और ओखला के बीच का 22 किलोमीटर का हिस्सा पूरी यमुना का केवल दो प्रतिशत हिस्सा है, लेकिन नदी का 75-80 प्रतिशत प्रदूषण यहीं पर है।
प्रदूषण की रोकथाम के लिए जिम्मेदारी और जवाबदेही तय करनी होगी। अधिकारों और भूमिका की ओवरलै¨पग हो रही है। दो हजार से ज्यादा अवैध बस्तियां समस्या को कई गुना बढ़ा रही हैं और हैरानी की बात है कि लोग सीवेज सिस्टम से जुड़ने के लिए उत्साहित नजर नहीं आते।
750 कॉलोनियों में सीवर लाइन बिछीं
इन दो हजार अवैध कालोनियों में 750 में से ही सीवर लाइन बिछाई जा सकी है। कहीं डीडीए की अड़चन है, कहीं राजस्व विभाग की तो कहीं वन विभाग की मंजूरी का इंतजार करना पड़ रहा है। बुनियादी जिम्मेदारी दिल्ली जल बोर्ड की है, लेकिन उसके पास प्रवर्तन की शक्तियां नहीं हैं।
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