इस गांव में 90 दिनों में 80 आत्महत्या, जानें कारण
मात्र 2500 जनसंख्या वाले मध्यप्रदेश के एक गांव में न सूखा पड़ा है, न खेती में कमी फिर भी पिछले तीन महीनों में 80 आत्महत्या के मामले अाए, इसमें गां ...और पढ़ें

नई दिल्ली। मध्यप्रदेश के खरगोन जिले में स्थित बाडी गांव में न सूखा पड़ा है, न किसी तरह की प्राकृतिक आपदा फिर भी यहां के प्रत्येक परिवार से कम से कम एक सदस्य ने आत्महत्या का रास्ता अपना लिया है यहां तक कि गांव के सरपंच ने भी पेड़ से लटक कर जान दे दी।
फौजी की पत्नी ने पंखे से लटककर की आत्महत्या
इस वर्ष के शुरुआती तीन महीनों के भीतर ही गांव में 80 लोगों ने आत्महत्या कर लिया। गांव के नए सरपंच राजेंद्र सिसोदिया ने गांव पर ‘प्रेतात्मा के साया’ होने की बात कही है।
खरगोन जिला भारत के पिछड़े जिलों में से एक है यहां गरीबी भी है। अंधविश्वास और इस तरह के अन्य बातों पर लोगों का विश्वास है। पिछले वर्ष यहां 381 आत्महत्या के मामले दर्ज किए गए थे। पूर्व सरपंच जीवन के आत्महत्या करने के बाद दो माह पहले ही सिसोदिया को नया सरपंच नियुक्त किया गया था।
कर्ज में डूबे तीन किसानों ने दे दी जान
सिसोदिया ने कहा, ‘हमारे गांव में 320 परिवार रहते हैं और प्रत्येक परिवार से कम से कम एक सदस्य ने खुद की जान ली है।‘
2,500 की जनसंख्या वाले इस गांव में हाल के वर्षों में 350 लोगों ने आत्महत्या कर ली। पुलिस सुपरिटेंडेंट अमित सिंह ने कहा, ‘इस वर्ष के शुरुआती तीन महीनों में बाडी के 80 ग्रामीणों ने आत्महत्या की है।‘
हालांकि गांव वालों का विश्वास प्रेतात्मा पर है पर मनोचिकित्सकों ने टाइम्स ऑफ इंडिया को आत्महत्या का कारण डिप्रेशन या साइजोफ्रेनिक बताया है जो खेतों में अधिक कीटनाशकों के प्रयोग के कारण हो सकता है।
कुछ वर्षों पहले चीन के एक क्षेत्र में भी इस तरह का मामला सामने आया था। वहां के किसानों ने भी आत्महत्या की थी, और इसका कारण था वहां के कीटनाशकों में आर्गनफॉस्फेट की मात्रा। यह काफी जहरीला होता है और डिप्रेशन का कारण बनता है।
बाडी गांव में लोग कपास जैसे अनाजों पर निर्भर हैं और यदि फसल के पैदावार में कमी होती है तो लोग आर्थिक रूप से तनाव में आ जाता हैं। अशोक वर्मा ने आत्महत्या के इन मामलों की पड़ताल के लिए कमेटी का गठन किया है।

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