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    4 फरवरी तक टली 69000 सहायक शिक्षकों की भर्ती मामले की सुनवाई, अब तक क्या-क्या हुआ?

    Updated: Tue, 16 Dec 2025 10:39 PM (IST)

    उत्तर प्रदेश में 69000 सहायक शिक्षकों की भर्ती मामले की सुनवाई 4 फरवरी तक टल गई है। न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति अगस्टिन जार्ज मसीह की पीठ ...और पढ़ें

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    इलाहाबाद हाई कोर्ट की खंडपीठ ने 13 अगस्त 2024 को मेरिट लिस्ट रद कर दी थी (फाइल फोटो)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में 69000 सहायक शिक्षकों की भर्ती मामले की सुनवाई चार फरवरी तक के लिए टल गई है। मंगलवार को यह मामला न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति अगस्टिन जार्ज मसीह की पीठ के समक्ष सुनवाई पर लगा था लेकिन मामले पर सुनवाई नहीं हो पाई और अगली तारीख चार फरवरी तय हुई है।

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    उत्तर प्रदेश में 2018 में हुई 69000 सहायक शिक्षकों की भर्ती मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट की खंडपीठ ने 13 अगस्त 2024 को मेरिट लिस्ट रद कर दी थी और तीन महीने में नई मेरिट लिस्ट बनाने का आदेश दिया था। इस फैसले को सामान्य वर्ग के नौकरी ज्वाइन कर चुके अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। सुप्रीम कोर्ट ने शुरुआती सुनवाई में याचिकाओं पर नोटिस जारी करते हुए हाई कोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी।

    अंतरिम रोक आदेश का विरोध

    हालांकि इस मामले में आरक्षित वर्ग ने भी हस्तक्षेप अर्जियां दाखिल कर खंडपीठ के आदेश का समर्थन करते हुए अंतरिम रोक आदेश का विरोध किया है। इस मामले में भर्ती नियमों के मुताबिक सामान्य वर्ग को एटीआरई में 65 प्रतिशत और आरक्षित वर्ग के लिए 60 प्रतिशत अंक की कटआफ तय थी। इसके अलावा 40 प्रतिशत अंक हाईस्कूल, इंटर, स्नातक और बीटीसी की परीक्षा के औसत से लिए गए थे।

    ऐसे में आरक्षित वर्ग के जिन अभ्यर्थियों के ये सभी अंक मिलाकर सामान्य वर्ग की मेरिट सूची से ज्यादा हो गए उन्हें सामान्य वर्ग श्रेणी में गिने जाने की मांग की गई है। हाई कोर्ट ने ये दलीलें स्वीकार कर ली थीं। पिछली सुनवाई पर सामान्य वर्ग की ओर से बहस शुरू हुई थी जिसमें दलील थी कि एक बार कम कटआफ अंकों का फायदा ले चुके आरक्षित वर्ग को बाद में अधिक अंकों के आधार पर सामान्य श्रेणी का नहीं माना जा सकता।

    कहा गया था कि अगर कोई उम्र या फीस आदि में छूट लेता है तो वह मेरिट में आने पर बाद में सामान्य वर्ग में स्थानांतरित हो सकता है लेकिन अगर कोई परीक्षा में अंकों की छूट लेता है तो वह बाद में अधिक अंकों की दलील देकर सामान्य श्रेणी में शामिल होने का दावा नहीं कर सकता। जबकि आरक्षित वर्ग भर्ती में आरक्षण नियमों के उल्लंघन का आरोप लगा रहा है और हाई कोर्ट की खंडपीठ के आदेश को सही ठहरा रहा है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट में अभी आरक्षित वर्ग की हस्तक्षेप अर्जियों पर सुनवाई का नंबर नहीं आया है।

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