एक बार आरक्षित वर्ग का लाभ लेने के बाद सामान्य वर्ग में नहीं जा सकते, SC में याचिकाकर्ताओं की दलील
सुप्रीम कोर्ट में 69000 सहायक शिक्षक भर्ती मामले की सुनवाई में सामान्य वर्ग के याचिकाकर्ताओं ने कहा कि आरक्षित वर्ग, जिसने कम कटऑफ अंकों का लाभ उठाया, उन्हें बाद में सामान्य श्रेणी में नहीं गिना जा सकता। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि आरक्षित वर्ग को टीईटी में छूट मिली थी और एटीआरई परीक्षा में कम कटऑफ का लाभ लेने के बाद, उन्हें सामान्य श्रेणी में स्थानांतरित नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने अगली सुनवाई 16 दिसंबर को तय की है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। उत्तरप्रदेश में 69000 सहायक शिक्षक भर्ती मामले में सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को शुरू हुई सुनवाई के दौरान सामान्य वर्ग के याचिकाकर्ताओं ने कहा कि एक बार कम कटआफ अंकों का फायदा ले चुके आरक्षित वर्ग को बाद में अधिक अंकों के आधार पर सामान्य श्रेणी का नहीं माना जा सकता।
मामले में न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और एजी मसीह की पीठ अब 16 दिसंबर को आगे सुनवाई करेगी। उत्तरप्रदेश में 2018 में हुई 69000 सहायक शिक्षकों की भर्ती मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट की खंडपीठ ने 13 अगस्त 2024 को मेरिट लिस्ट रद कर दी थी और तीन महीने में नई मेरिट लिस्ट बनाने का आदेश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट में शिक्षक भर्ती मामला
इस फैसले को सामान्य वर्ग के नौकरी ज्वाइन कर चुके अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। सुप्रीम कोर्ट ने शुरुआती सुनवाई में याचिकाओं पर नोटिस जारी करते हुए हाईकोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी। हालांकि इस मामले में आरक्षित वर्ग ने भी हस्तक्षेप अर्जियां दाखिल कर खंडपीठ के आदेश का समर्थन करते हुए अंतरिम रोक आदेश का विरोध किया है।
मंगलवार को मामले पर नियमित सुनवाई शुरू हुई। सामान्य वर्ग के याचिकाकर्ताओं की ओर से बहस शुरू करते हुए वरिष्ठ वकील मनीष सिंघवी ने कहा कि हाईकोर्ट की खंडपीठ के आदेश से उनकी नौकरी पर संकट आ गया है और उनकी नौकरी जा सकती है। यहां मुद्दा आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के सामान्य श्रेणी में गिने जाने का है।
आरक्षित वर्ग को छूट का विरोध
हाईकोर्ट के आदेश का विरोध करते हुए कहा कि आरक्षित वर्ग को टीईटी में उम्र आदि चीजों में छूट मिली थी। हालांकि टीईटी पात्रता परीक्षा है इसलिए उस पर उन्हें कोई ऐतराज नहीं है लेकिन इसके बाद सहायक शिक्षकों की सीधी भर्ती के लिए होने वाली एसोसिएट टीचर रिक्रूटमेंट एग्जामिनेशन (एटीआरई) परीक्षा होती है जो खुली प्रतिस्पर्धा है।
उसमें सामान्य वर्ग के लिए 65 प्रतिशत और आरक्षित वर्ग के लिए 60 प्रतिशत अंकों की कटआफ थी। जब आरक्षित वर्ग ने एटीआरई में कम अंक की छूट ले ली है तो उसे बाद में सामान्य श्रेणी में स्थानांतरित नहीं किया जा सकता।
याचिकाकर्ताओं ने ये भी कहा कि हाई कोर्ट में वे पक्षकार नहीं थे, उन्हें सुने बगैर आदेश दिया गया है। जब पीठ ने इस बारे में जानना चाहा तो प्रतिवादी आरक्षित वर्ग के वकील निधेश गुप्ता ने कहा कि यह कहना गलत है क्योंकि हाईकोर्ट में सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी भी पक्षकार थे। कोर्ट के आदेश पर इस संबंध में पब्लिक नोटिस भी छपा था।
16 दिसंबर को अगली सुनवाई
मनीष सिंघवी ने आरक्षित वर्ग के एक बार लाभ लेने के बाद सामान्य वर्ग में स्थानांतरण का विरोध करते हुए कई पूर्व फैसलों का हवाला दिया। कहा कि अगर कोई उम्र या फीस आदि में छूट लेता है तो वह मेरिट में आने पर बाद में सामान्य वर्ग में स्थानांतरित हो सकता है।
लेकिन अगर कोई परीक्षा में अंकों की छूट लेता है तो वह बाद में अधिक अंकों की दलील देकर सामान्य श्रेणी में शामिल होने का दावा नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि वे लोग 2020 से लगातार नौकरी कर रहे हैं और अब उनकी नौकरी पर संकट है। सुनवाई का समय समाप्त होने पर कोर्ट 16 दिसंबर की अगली तारीख तय कर दी।

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