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    केरल में पैर पसार रहा निपाह वायरस, निगरानी में रखे गए 425 लोग; स्वास्थ्य मंत्री ने की हाई लेवल मीटिंग

    Updated: Sun, 06 Jul 2025 11:56 AM (IST)

    केरल में निपाह वायरस के प्रकोप के कारण 425 लोग निगरानी में हैं जिनमें मलप्पुरम के 228 लोग शामिल हैं। स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने इसकी पुष्टि की है। प्रभावित क्षेत्रों में रोकथाम के उपाय शुरू किए गए हैं मलप्पुरम में फील्डवर्क जारी है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने घर-घर जाकर जागरूकता अभियान चलाया है।

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    केरल में तेजी से फैल रहा निपाह वायरस, 400 से ज्यादा लोगों पर रखी जा रही निगरानी।

    तिरुवनंतपुरम, आईएएनएस। केरल में निपाह वायरस ने कहर बरपाया हुआ है। इसके चलते 425 लोगों पर निगरानी रखी गई है। इस बात की पुष्टि राज्य के स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने की। उन्होंने बताया कि सबसे ज्यादा 228 लोग मलप्पुरम जिले में पलक्कड़ में 110 और कोझिकोड में 87 लोग निगरानी में रखे गए हैं। एक शख्स का टेस्ट नेगेटिव आया है। 

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    प्रभावित इलाकों में व्यापक निगरानी और रोकथाम के उपाय शुरू कर दिए गए हैं। मलप्पुरम में इस प्रकोप का पता लगाने और आगे फैलने से रोकने के लिए फील्डवर्क शुरू कर दिया गया है। मक्करापारम्बा, कुरुवा, कूट्तिलांगडी और मांकडा की पंचायतों के 20 वार्डों में निगरानी अभियान चलाया गया है। कुल 65 टीमों ने घर-घर जाकर जागरुकता अभियान चलाया और 1655 घरों का दौरा किया।

    टीम ने मेडिकल अफसर को सौंपी रिपोर्ट

    इस टीम का नेतृत्व डॉ. एनएन पामीला ने किया और सीके सुरेश कुमार, एम. शाहुल हमीद और डॉ. किरण राज ने सपोर्ट किया। टीम ने जिला चिकित्सा अधिकारी डॉ. रेणुका को एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपी है। पलक्कड़ में एक शख्स को आइसोलेशन में रखा गया है, जबकि 61 स्वास्थ्य कर्मियों की पहचान करीबी संपर्क के रूप में की गई।

    स्वास्थ्य मंत्री ने की हाई लेवल मीटिंग

    स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज की अध्यक्षता में एक हाई लेवल रिव्यू मीटिंग की गई। इस बैठक में स्वास्थ्य विभाग के अलावा मुख्य सचिव, एनएचएम स्टेट मिशन के डायरेक्टर, मेडिकल एजूकेशन के डायरेक्टर, एडिशनल डायरेक्टर्स, जिला कलेक्टर, जिला चिकित्सा अधिकारी, पुलिस अधिकारी और अलग-अलग विभागों के प्रतिनिधियों समेत वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया।

    निपाह वायरस (NiV) एक बेहद घातक जूनोटिक वायरस है और यह जानवरों से इंसानों में फैलता है। यह एन्सेफलाइटिस (मस्तिष्क की सूजन), सांस लेने में तकलीफ और कई मामलों में मौत का कारण बनता है। इस वायरस की पहचान सबसे पहले 1999 में मलेशिया में हुई थी और तब से दक्षिण के साथ-साथ दक्षिण-पूर्व एशिया में ये फैल चुका है।

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