2020 Delhi Riots Case: अभी जेल में ही रहेगा उमर खालिद, SC ने जमानत याचिका पर सुनवाई 4 सप्ताह के लिए की स्थगित
दिल्ली दंगों की बड़ी साजिश मामले में उमर खालिद की मुश्किलें बढ़ गई है। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका 4 सप्ताह के लिए स्थगित कर दी है। न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी की पीठ ने यह कहते हुए सुनवाई स्थगित कर दी कि मामले में विस्तृत सुनवाई की आवश्यकता है। खालिद की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से मामले में दस्तावेज दाखिल करने को कहा।

नई दिल्ली, एजेंसी। दिल्ली दंगों की बड़ी साजिश मामले में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र उमर खालिद की मुश्किलें बढ़ गई है। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका 4 सप्ताह के लिए स्थगित कर दी है।
जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस बेला त्रिवेदी की पीठ ने सुनवाई स्थगित करते हुए कहा कि मामले में विस्तृत सुनवाई की आवश्यकता है। साथ ही खालिद की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से इस मामले में दस्तावेज दाखिल करने को कहा है।
कोर्ट ने क्या कहा?
पीठ ने सिब्बल से कहा, 'इस मामले को चार सप्ताह के बाद सूचीबद्ध करें। इस मामले में हमें दस्तावेज-दर-दस्तावेज देखना होगा। आपको हमें दिखाना होगा कि कौन से सबूत उपलब्ध हैं और यह आपके खिलाफ लगाए गए आरोपों से कैसे मेल नहीं खाते।' सिब्बल ने कहा कि यूएपीए के कुछ प्रावधान, जिनमें आतंकवाद, आतंकवादी कृत्य के लिए धन जुटाना और साजिश से संबंधित प्रावधान शामिल हैं, उमर खालिद के मामले में लागू नहीं होते हैं।
खालिद ने कब दायर की थी याचिका?
बता दें कि खालिद ने अक्टूबर 2022 के दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। इससे पहले उन्होंने मार्च 2022 में ट्रायल कोर्ट द्वारा उनकी जमानत याचिका खारिज किए जाने को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
खालिद पर क्या लगा है आरोप?
गौरतलब है कि, फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों के पीछे कथित साजिश से संबंधित यूएपीए मामले में सितंबर 2020 में दिल्ली पुलिस ने उमर खालिद को गिरफ्तार किया था। इसके बाद खालिद ने उच्च न्यायालय में इस आधार पर जमानत मांगी थी कि शहर के उत्तर-पूर्व इलाके में हिंसा में उसकी न तो कोई 'आपराधिक भूमिका' थी और न ही किसी अन्य आरोपी के साथ उसका कोई 'षड्यंत्रकारी संबंध' था।
दिल्ली पुलिस ने खालिद की जमानत याचिका का विरोध किया था। उन पर आपराधिक साजिश, दंगा, गैरकानूनी सभा के साथ-साथ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की कई धाराओं के आरोप लगाए गए थे।
खालिद के अलावा और किस पर दर्ज मामला?
खालिद के अलावा, शरजील इमाम, कार्यकर्ता खालिद सैफी, जेएनयू के छात्र नताशा नरवाल और देवांगना कलिता, जामिया समन्वय समिति के सदस्य सफूरा जरगर, पूर्व आप पार्षद ताहिर हुसैन और कई अन्य लोगों पर मामले में कड़े कानून के तहत मामला दर्ज किया गया था। बता दें कि 2020 को दिल्ली में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क उठी थी और इसमें 53 लोगों की मौत हो गई थी और 700 से अधिक घायल हो गए थे।
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