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    सर्जिकल स्ट्राइक में 'कार्टोसेट' से मिली तस्वीरों का हुआ इस्तेमाल

    By kishor joshiEdited By:
    Updated: Fri, 30 Sep 2016 06:06 PM (IST)

    पीओके में सेना द्वारा की गयी सर्जिकल स्ट्राइक में पहली बार कार्टोसेट सैटेलाइट से तस्वीरों का भी इस्तेमाल किया गया था।

    नई दिल्ली (जेएनएन)। भारतीय सेना द्वारा पीओके में की गयी सर्जिकल स्ट्राइक में पहली बार कार्टोसेट सैटेलाइट द्वारा ली गयी तस्वीरों का प्रयोग किया गया। इसरो ने गुरूवार को एलओसी के पार हुए सर्जिकल स्ट्राइक के लिए सैन्य बलों को बेहतरीन क्वालिटी की तस्वीरे प्रदान की थीं। इसरो के अधिकारी ने बताया कि कार्टोसेट के जरिए सैन्य बलों को तस्वीरें मुहैया करायी गईं। इससे अधिक इस विषय में कुछ और बताना मुनासिब नहीं होगा।

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    इसरो और रक्षा मंत्रालय ने उपग्रहों से ली गयी तस्वीरों के उपयोग पर चुप्पी साधी है। विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत अपनी रक्षा के लिए जमीन के साथ-साथ 'आसमान' से भी नजर रख रहा है। सूत्रों का कहना है कार्टोसेट सैन्य बलों को एरिया ऑप इंट्रेस्ट (AOI)आधारित तस्वीरें भी प्रदान कर रहा है। सशस्त्र बलों की मांग के अनुसार तस्वीरों को प्रदान किया जाता है।

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    आपको बता दें कि पहला कार्टोसेट उपग्रह कार्टोसैट-1 जो श्रीहरिकोटा में नव निर्मित दूसरा लॉन्च पैड से 5 मई 2005 पर पीएसएलवी-सी6 द्वारा लांच किया गया था। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने इसी साल जून में पीएसएलवी सी34 के ज़रिए एक साथ जिन 20 उपग्रहों को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित कर नया इतिहास रचा था उनमें कार्टोसेट 2 सीरीज़ के सैटेलाइट को भी अंतरिक्ष कक्षा में स्थापित किया गया था, जिसके जरिए ये तस्वीरें मिली हैं।

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    क्या है कार्टोसेट सैटेलाइट की खूबियां

    विशेषज्ञों के अनुसार, इसकी मदद से आसमान से ज़मीन की बेहतरीन क्वालिटी की तस्वीरें ली जा सकती है। यदि भारत के प्रधानमंत्री चाहें तो अपने दफ़्तर में बैठे-बैठे दुनिया के किसी भी कोने की तस्वीरें देख सकते हैं। इस सैटेलाइट के माध्यम से सैन्य और असैन्य हवाईअड्डे पर कितने हवाई जहाज खड़े हैं, इसका भी आसानी से पता लगाया जा सकता है। आने वाले समय में यह आगे भी सीमा सुरक्षा में यह यह एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा।

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