1971 के युद्ध में शहीद हुए भारतीय जवानों को बांग्लादेश ने अब दिया सम्मान, 7 साल पुरानी शेख हसीना की चिट्ठी भी आई
1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में शहीद हुए भारतीय सैनिकों के परिवारों को बांग्लादेश सरकार की ओर से सम्मान पत्र और शील्ड प्रदान किए गए। भिंड जिले के 12 बलिदानियों के घरों तक यह सम्मान पहुंचा जिससे उनके परिवारजन भावुक हो गए। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने शहीदों को सम्मानित करने की घोषणा की थी।

जेएनएन, भिंड। 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में बलिदान हुए भारतीय जवानों के परिवारों को बांग्लादेश सरकार की ओर से सम्मान पत्र और शील्ड प्रदान किए गए हैं। मध्य प्रदेश के भिंड जिले में 12 बलिदानियों के घर यह सम्मान पहुंचा, जिससे उनके स्वजन की आंखों में आंसू आ गए।
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस युद्ध में बलिदानियों को सम्मानित करने की घोषणा की थी। 2017 में भारत दौरे पर आई शेख हसीना ने दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में सात बलिदानियों के परिवारों को सम्मानित भी किया था। भिंड के परिवारों को जो सम्मान पत्र प्राप्त हुआ है, उसमें 27 नवंबर 2018 की तिथि अंकित है।
1600 से ज्यादा सैनिकों ने दिया था बलिदान
इस युद्ध में देशभर से 1600 से अधिक भारतीय सैनिकों ने बलिदान दिया था। भिंड के 12 जवानों ने इस युद्ध में अपने प्राणों की आहुति दी थी। सम्मान के साथ भेंट की गई पुस्तक में उन सभी वीर सपूतों के नाम दर्ज हैं, जिन्होंने इस युद्ध में बलिदान दिया। भिंड से बलिदानियों की सूची में रामलखन गोयल, जगदीश फूफ, रणवीर सिंह मंसूरी, मुलायम सिंह पांडरी, हाकिम सिंह, असरफ गांद, भीकम सिंह, जंग बहादुर सिंह, मोहन सिंह, जय सिंह, जनवेद सिंह और राज बहादुर सिंह शामिल हैं।
हालांकि, 2018 में भेजे गए इस सम्मान के पहुंचने में देरी हुई है, जिसके बारे में परिवारों को कोई जानकारी नहीं थी। पूर्व सैनिक संघ के अध्यक्ष रिटायर्ड सूबेदार राकेश सिंह कुशवाह ने बताया कि यह सम्मान सीधे सेना की ओर से भेजा गया है।
मुक्तियुद्ध सम्मान पत्र के लिखित अंश
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के हस्ताक्षर से मुक्तियुद्ध सम्मान पत्र में उल्लेख किया गया है कि बांग्लादेश का इतिहास वीर स्वतंत्रता सेनानियों और भारतीय बलिदानियों के खून से लिखा गया है। बांग्लादेश की जनता और अपनी ओर से मैं 1971 के हमारे मुक्ति संग्राम में सर्वोच्च बलिदान देने वाले भारतीय सशस्त्र बलों के बलिदानियों को श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं। बांग्लादेश-भारत मित्रता अमर रहे।
लीला देवी को नहीं हो सका था पति के पार्थिव शरीर का अंतिम दर्शन
बलिदानी रामलखन गोयल की 70 वर्षीय पत्नी लीला देवी ने बताया कि पति का न पार्थिव शरीर घर आया, न कपड़े और न ही उनके आखिरी दर्शन हुए। उन दिनों उनकी उम्र 14 साल थी। शादी के बाद गौना भी नहीं हुआ था। पति के बलिदान की जानकारी मिली तो माता-पिता ससुराल लेकर आए, तब से यहीं हैं। लीला देवी ने बताया कि कुछ दिन पहले उनके घर के सामने सेना की गाड़ी आकर रुकी। गाड़ी से उतरे जवानों ने पति का नाम लेते घर पूछा। मैंने पहचान बताई तो दोनों जवान सम्मान में झुक गए। यह सम्मान मिला तो ऐसा लगा मानो पति ने पत्र भेजा हो।
राजेश्वरी बोलीं, बांग्लादेश भी याद रखे भारतीय जवानों का बलिदान
बलिदानी जय सिंह की पत्नी राजेश्वरी ने बताया कि यह सम्मान देश के लिए भी महत्वपूर्ण है। बांग्लादेश के प्रत्येक नागरिक को याद रखनी चाहिए कि भारत के वीर सपूतों की वजह से ही उन्हें आजादी मिली है। पति बलिदान हुए उस समय राजेश्वरी की भी उम्र 14 वर्ष थी। पति 19 साल के थे। उन्हें फौज में भर्ती हुए सिर्फ एक साल हुआ था कि युद्ध शुरू हो गया। पति की यादें उनके दिल में आज भी अमिट हैं।
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