चुनाव आयोग की सख्ती के बाद 143 अनिच्छुक बीएलओ ने संभाला काम, निलंबित करने की दी गई थी चेतावनी
चुनाव आयोग की सख्ती के बाद, बंगाल में 143 अनिच्छुक बूथ-स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ) ने काम संभाल लिया है। आयोग ने उन्हें चेतावनी दी थी कि निर्देशों का उल्लंघन करने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। आयोग बंगाल के सभी विधानसभा क्षेत्रों के लिए संयुक्त पर्यवेक्षी समिति गठित करने के प्रस्ताव पर भी विचार कर रहा है, ताकि मतदाता सूची के पुनरीक्षण में पारदर्शिता लाई जा सके।

उनके विरुद्ध मामला दर्ज करने की दी गई थी चेतावनी (प्रतीकात्मक तस्वीर)
राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता। चुनाव आयोग की सख्ती के बाद 143 अनिच्छुक बूथ-स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ) ने काम संभाल लिया है। बंगाल के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) के कार्यालय के सूत्रों ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बीएलओ अपनी-अपनी ड्यूटी वाली जगह पर चले गए हैं।
इन बीएलओ को याद दिलाया गया कि चुनाव आयोग के पास राज्य सरकार को बीएलओ के रूप में नियुक्त कर्मचारियों व चुनाव अधिकारियों को निर्देश के उल्लंघन के मामलों में निलंबित करने व उनके विरुद्ध मामला दर्ज करने का निर्देश देने का अधिकार है। यह चेतावनी कारगर साबित हुई और अनिच्छुक बीएलओ काम पर चले गए।
मालूम हो कि आयोग ने इन बीएलओ को गत गुरुवार दोपहर 12 बजे तक का समय दिया था। सीईओ कार्यालय के सूत्रों के अनुसार सभी बीएलओ ने निर्धारित समय के अंदर ड्यूटी पर रिपोर्ट की है, हालांकि गुरुवार शाम को खबर आई थी कि इन बीएलओ ने निर्धारित समय तक ड्यूटी पर रिपोर्ट नहीं की है, जिसके बाद आयोग उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की तैयारी कर रहा है।
प्रस्ताव की समीक्षा कर रहा आयोग
चुनाव आयोग बंगाल के 294 विधानसभा क्षेत्रों में से प्रत्येक के लिए संयुक्त पर्यवेक्षी समिति गठित करने के प्रस्ताव की समीक्षा कर रहा है। इन समितियों के माध्यम से राज्य में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की प्रगति पर निगरानी रखी जा सकेगी। कुछ राजनीतिक दलों द्वारा आयोग के समक्ष यह प्रस्ताव रखा गया है।
समितियों में सीईओ कार्यालय के अधिकारियों व राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को शामिल करने की बात कही गई है। सीईओ कार्यालय के सूत्रों ने बताया कि प्रस्ताव में तर्क दिया गया है कि इस पहल से एसआइआर की प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सकेगी। चुनाव आयोग इसपर गंभीरता से विचार कर रहा है। आयोग का भी मानना है कि इस पहल से विभिन्न तरह के विवादों से बचा जा सकेगा।

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