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    Vande Mataram: वंदे मातरम् की 150वीं वर्षगांठ आज, जानें किन कारणों के चलते नहीं बन सका

    Updated: Mon, 08 Dec 2025 02:31 PM (IST)

    भारत के राष्ट्रगीत के रूप में प्रसिद्ध "वंदे मातरम्" की आज 150वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है। Vande Mataram को बंकिम चंद्र चटर्जी ने 7 नवंबर 1876 लिखा था ...और पढ़ें

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    150th anniversary of Vande Mataram

    एजुकेशन डेस्क, नई दिल्ली। हमारे देश भारत के राष्ट्रीय गीत का दर्जा प्राप्त "वंदे मातरम्" की आज 150वीं वर्षगांठ बनाई जा रही है। इस मौके पर देश की सदन में बहस भी हो रही है जिसमें पीएम मोदी सहित विपक्ष के नेता भी अपनी राय रख रहे हैं। आपको बता दें कि Vande Mataram की रचना बंकिम चंद्र चटर्जी ने 7 नवंबर 1876 को की थी। इस गीत का अंग्रेजों के खिलाफ आजादी दिलाने में भी अहम योगदान माना जाता है क्योंकि आजादी के लिए लड़ाई के दौरान इस राष्ट्रीय गीत का उपयोग एक हथियार की तरह हुआ था।

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    आजादी के बाद क्यों नहीं बन पाया राष्ट्रगान

    वंदे मातरम् के 35 साल बाद 1911 में रवींद्र नाथ टैगोर द्वारा एक और गीत जन गण मन की रचना की गई लेकिन, फिर भी वंदे वंदे मातरम् राष्ट्रगान बनने से चूक गया और जन गण मन राष्ट्रगान घोषित किया गया। हालांकि, वंदे मातरम् को देश के राष्ट्रीय गीत का दर्जा प्राप्त हुआ। इसके पीछे कई कारण थे जिसके चलते वंदे मातरम् राष्ट्रगान नहीं बन सका जो निम्नलिखित हैं-

    • वंदे मातरम् में हिंदू देवी देवताओं जैसे दुर्गा, सरस्वती आदि हिन्दू देवी देवताओं का उल्लेख है जिसके चलते उस समय के मुस्लिम नेताओं ने धार्मिक भावना से जोड़कर इसका विरोध किया।
    • आजादी से पहले की मुस्लिम लीग ने इसका सीधा-सीधा विरोध किया।
    • भारतीय संविधान सभा के पूर्व सदस्य केटी शाह ने कहा कि अगर इस गीत के कुछ हिस्सों को लेकर आपत्ति है तो उन पदों को लिया जा सकता है, जो राष्ट्रीय भावना वाले हैं और धार्मिक भावना से नहीं जुड़े हैं।
    • पंडित जवाहर लाल नेहरू ने अपने बयान में कहा कि हमें ऐसा राष्ट्रगान का चुनाव करना चाहिए जो भारत के सभी वर्गों समुदायों को मान्य हो।

    24 अगस्त 1947 को शुरू हुई सदन में बहस

    राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत को लेकर आजादी के बाद भी लड़ाई जारी रही। इसको लेकर सदन में पहली बार 24 अगस्त 1947 बहस हुई। इसके बाद 23-24 जनवरी 1950 को संविधान सभा में राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत पर फैसला हुआ। संविधान सभा अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने 'जन गण मन' को भारत के राष्ट्रगान के और वंदे मातरम् को राष्ट्रगीत के रूप में अपनाने को कहा।

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