Teacher’s Day 2023: जानें डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की वो बातें जो करती हैं छात्रों को प्रेरित
Teacher’s Day 2023 महान विचारक शिक्षाविद और दार्शनिक के तौर पर जाने जाने वाले डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को हुआ था। कहा जाता है कि स्वयं उन्होंने ने ही एक बार इच्छा जाहिर की थी उनके जन्म-दिवस को शिक्षक के तौर पर मनाया जाए। भारत सरकार द्वारा घोषणा के बाद वर्ष 1962 से हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जा रहा है।
Teacher’s Day 2023: आज यानी मंगलवार, 5 सितंबर 2023 को हम शिक्षक दिवस मना रहे हैं। हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है, जो कि भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के शिक्षा क्षेत्र में किए गए योगदानों को समर्पित है। महान विचारक, शिक्षाविद और दार्शनिक के तौर पर जाने जाने वाले डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को हुआ था। कहा जाता है कि स्वयं उन्होंने ने ही एक बार इच्छा जाहिर की थी उनके जन्म-दिवस को शिक्षक के तौर पर मनाया जाए। भारत सरकार द्वारा घोषणा के बाद वर्ष 1962 से हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जा रहा है।
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने अपने जीवन काल में न सिर्फ भारतीय शिक्षा व्यवस्था के उत्थान के लिए काम किया बल्कि वे युवाओं को भी हमेशा प्रेरित करते रहे। उनके विचार युवाओं के लिए प्रेरणादायक हैं। वे युवाओं में खासे लोकप्रिय थे। जब उन्हें मैसूर विश्वविद्यालय भेजा रहा था, उस समय उनके एक छात्र ने व्यवस्था की और रेलवे स्टेशन पर एक फूलों से सजी गाड़ी उनके लिए भेजी। इस साल शिक्षक दिवस के अवसर आइए जानते हैं डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की वो कौन-कौन से बाते हैं जो आज के युवाओं को प्रेरित करती हैं:-
- किताबें पढ़ने से हमें एकांत में विचार करने की आदत और सच्ची खुशी मिलती है।
- पुस्तकें वह साधन हैं जिनके माध्यम से हम विभिन्न संस्कृतियों के बीच पुल का निर्माण कर सकते हैं।
- जब हम सोचते हैं कि हम जानते हैं तो हम सीखना बंद कर देते हैं।
- सच्चे शिक्षक वे हैं जो हमें अपने बारे में सोचने में मदद करते हैं।
- शिक्षक वह नहीं जो छात्र के दिमाग में तथ्यों को जबरन ठूंसे, बल्कि वास्तविक शिक्षक तो वह है जो उसे आने वाले कल की चुनौतियों के लिए तैयार करें।
- ज्ञान और विज्ञान के आधार पर ही आनंद और प्रसन्नता का जीवन संभव है।
- शिक्षा का अंतिम परिणाम एक स्वतंत्र रचनात्मक व्यक्ति होना चाहिए, जो ऐतिहासिक परिस्थितियों और प्रकृति की प्रतिकूलताओं से लड़ सके।
- विश्वविद्यालय का मुख्य कार्य डिग्री और डिप्लोमा प्रदान करना नहीं है, बल्कि विश्वविद्यालय की भावना विकसित करना और शिक्षा को आगे बढ़ाना है।
- सहिष्णुता वह श्रद्धांजलि है जो सीमित मन अनंत की अक्षयता को अर्पित करता है।
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