बेटी की परवरिश के लिए इस सिंगल मदर ने शुरू की थी पढ़ाई, देश की पहली महिला इंजीनियर बन रच दिया इतिहास
Success Story ललिता कुछ समय बाद अपने मायके वापस लौट आईं। हालांकि वे अपना और बेटी दोनों की जिम्मेदारी खुद संभालना चाहती थीं। वे चाहती थीं कि वे अपना और बेटी का खर्चा वे खुद उठाएं। इसलिए उन्होंने दोबारा पढ़ाई शुरू करने के बारे में सोचा। चूंकि वे अपने पिता और भाईयों के चलते पहले से ही इंजीनियरिंग से प्रभावित थीं इसलिए उन्होंने इस फील्ड में आगे बढ़ने का सोचा।

एजुकेशन डेस्क। Success Story: सिंगल मदर होना आज के जमाने में भी आसान नहीं है। अकेले बच्चे की परवरिश करना और उसे पढ़ाना लिखाना किसी भी मां के लिए यह यकीनन यह सफर मुश्किल होता है। ऐसे में, आज हम उस दौर की एक सिंगल मदर की कहानी बात करने जा रहे हैं, जब महिलाओं को पढ़ने-लिखने की आजादी न बराबर के थी। उस वक्त में उन्होंने पति की मौत के बाद बेटी की परवरिश करने के लिए न केवल अपनी पढ़ाई शुरू की, बल्कि अपने कड़ी मेहतन और लगन के दम पर वे देश की पहली महिला इंजीनियर बन गई हैं। जी हां, इस शख्सयित का नाम है ए. ललिता। वह देश की पहली महिला इलेक्ट्रिकल इंजीनियर थीं। कैसे तय किया उन्होंने यह सफर और क्या आई थीं मुश्किलें आइए डालते हैं इस पर एक नजर।
1919 में हुआ था जन्म
ए ललिता का पूरा नाम अय्योलासोमायाजुला ललिता था। उनका जन्म 27 अगस्त 1919 को चेन्नई में हुआ था। ए ललिता के पिता का नाम पप्पू सुब्बा राव था। उनके पिता एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर थे। इस वजह से ललिता को भी इस फील्ड में दिलचस्पी थी।
13 साल की उम्र में हो गई थी शादी
ए ललिता की मैट्रिक परीक्षा पास करने के बाद उनकी शादी हो गई थी। उस वक्त, उनकी उम्र महज 15 साल थी। शादी के बाद उन्होंने एक बेटी को जन्म दिया। वे एक बेहतर जिंदगी जी रही थी। इसी बीच, उनके पति की मौत हो गई।
शुरू की दोबारा पढ़ाई
ललिता कुछ समय बाद अपने मायके वापस लौट आईं। हालांकि, वे अपना और बेटी दोनों की जिम्मेदारी खुद संभालना चाहती थीं। वे चाहती थीं कि वे अपना और बेटी का खर्चा वे खुद उठाएं। इसलिए उन्होंने दोबारा पढ़ाई शुरू करने के बारे में सोचा। अब चूंकि वे अपने पिता और भाईयों के चलते पहले से ही इंजीनियरिंग से प्रभावित थीं तो इसलिए उन्होंने इस फील्ड में आगे बढ़ने का सोचा।
इंजीनियरिंग में लिया दाखिला
फैमिली के सपोर्ट से ललिता ने मद्रास काॅलेज आफ इंजीनियरिंग में दाखिला लिया था। उस दौरान लड़कियों के लिए इंजीनियरिंग काॅलेज में हाॅस्टल तक नहीं थे। हालांकि, उनके साथ एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक दो और लड़कियों ने इंजीनियरिंग में दाखिला लिया और इस तरह ये तीनों ने हाॅस्टल में रहे। ललिता ने पढ़ाई में बेहतर प्रदर्शन किया। इसके बाद, वे सितंबर 1943 में ऑनर्स के साथ इंजीनियरिंग पूरी की और देश की पहली महिला इलेक्ट्रिकल इंजीनियर बन गईं।
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