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    Shaheed Diwas 2025: महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर देशभर में मनाया जाता है शहीद दिवस, जानें 30 जनवरी का इतिहास और महत्व

    Updated: Thu, 30 Jan 2025 08:43 AM (IST)

    30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे द्वारा दिल्ली के बिड़ला हाउस में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। उनकी पुण्यतिथि के चलते 30 जनवरी को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भारत के राष्ट्रपति प्रधानमंत्री एवं अन्य लोग गांधी जी के समाधि स्थल पर पुष्पांजलि अर्पित करके उनको याद करते हैं।

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    Shaheed Diwas 2025- महात्मा गांधी की पुण्यतिथि।

    एजुकेशन डेस्क, नई दिल्ली। देश के इतिहास में 30 जनवरी का दिन बेहद खास है। इस दिन प्रतिवर्ष देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि मनाई जाती है। महात्मा गांधी जी ने देश को आजादी दिलाने के लिए अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा खोलकर कई आंदोलन चलाये। आंदोलनों के चलते उन्हें कई बार जेल में भी रहना पड़ा। उनके द्वारा देश की आजादी के लिए किये गए कार्यों को देखते हुए ही 30 जनवरी के दिन उनकी पुण्यतिथि को शहीद दिवस (Martyr's Day) के रूप में मनाया जाता है।

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    30 जनवरी का इतिहास

    15 अगस्त 1947 को देश को आजादी मिलने के कुछ महीने बाद ही 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे द्वारा दिल्ली के बिड़ला हाउस में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की गोली मार कर हत्या कर दी गई। इसी के चलते 30 जनवरी प्रतिवर्ष महात्मा गांधी की पुण्यतिथि मनाई जाती है और साथ ही इसे महात्मा गांधी के शहीद होने पर शहीद दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था।

    शहीद दिवस का महत्व

    शहीद दिवस के दिन भारत के लिए अपने प्राणों को न्योछाबर करने वाले वीर सपूतों को याद किया जाता है। शहीद दिवस पर भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री एवं अन्य उच्च अधिकारी/ नेता राजघाट पर जाकर गांधी जी के समाधि स्थल पर पुष्पांजलि अर्पित करके उनको याद करते हैं। इसके बाद पूरे देश में 2 मिनट का मौन रखकर महात्मा गांधी सहित अन्य वीर शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती है।

    30 जनवरी एवं 23 मार्च के शहीद दिवस में क्या है अंतर

    चूंकि 30 जनवरी को महात्मा गांधी की हत्या हुई थी, इसके चलते इस दिन को उनकी पुण्यतिथि के रूप में मनाया जाता है। इसके अलावा 23 मार्च को देश के वीर क्रांतिकारियों- भगत सिंह, सुखदेव एवं राजगुरु को अंग्रेजी हुकूमत द्वारा फांसी दी गई थी। इन तीनों की क्रांतिकारियों को यह सजा लाला लाजपत राय की हत्या का बदला लेने के लिए ब्रिटिश अधिकारी सांडर्स को गोली मरने को लेकर दी गई थी। इसके चलते 23 मार्च 1931 को भी देश में शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। ऐसे में हमारे देश में प्रतिवर्ष दो बार शहीद दिवस मनाया जाता है।

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