Republic Day 2025 Speech: गणतंत्र दिवस पर दें ये शानदार भाषण, तालियों से होगा अभिवादन
गणतंत्र दिवस पर सभी चाहते हैं कि वे स्कूल कॉलेज या किसी कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाएं और वहां पर मौजूद लोग आपकी सराहना करें। ऐसा करने के लिए आप इस पेज पर दिए गए भाषण का उपयोग कर सकते हैं। यहां पर हरिवंश राज्य बच्चन जी की कविता से लैस स्पीच दी गई है जिसे सुनने के बाद लोग अवश्य ही तालियों से अभिवादन करेंगे।

एजुकेशन डेस्क, नई दिल्ली। देशभर में 26 जनवरी का दिन गणतंत्र दिवस के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है। इस वर्ष हमारा देश 76वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। गणतंत्र दिवस के मौके पर स्कूल, कॉलेज सहित विभिन्न जगहों पर बच्चे व बड़े इसकी महत्ता बताने के लिए भाषण देते हैं। अगर आप भी स्कूल, कॉलेज या किसी भी सभा में भाषण देना चाहते हैं तो यह पेज आपके लिए बेहद उपयोगी है। यहां पर आसान एवं सरल भाषा में 76वें गणतंत्र दिवस के मौके पर भाषण दिया गया है।
गणतंत्र दिवस पर भाषण
नमस्कार, मैं _____(नाम), गणतंत्र दिवस के इस मौके पर यहां पर उपस्थित सभी महानुभावों/ अतिथिगण/ टीचर एवं सभी भैया बहनों का अभिवादन करता हूं। जैसे कि हम सभी जानते हैं कि हम यहां पर गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में उपस्थित हुए हैं। इस दिन भारत ने अपने संविधान को अपनाया और 26 जनवरी 1950 को भारत एक संप्रभु गणराज्य के रूप में अस्तित्व में आया। इस वर्ष भारत गणतंत्र देश के रूप में 76वें वर्ष में प्रवेश कर गया है। इन 76 वर्षों के अंदर ही हमारा देश दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश बन गया है। 76वां गणतंत्र दिवस "स्वर्णिम भारत: विरासत और विकास" थीम के साथ मनाया जा रहा है।
आपको बता दें कि भारत 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ था। दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के चलाने के लिए संविधान महत्वपूर्ण होता है। ऐसे में डॉ भीमराव अंबेडकर ने भारत के संविधान को तैयार किया। संविधान को तैयार होने में 2 वर्ष 11 माह 18 दिन लगे। इसे 26 नवंबर 1949 को पूरा कर राष्ट्र को समर्पित किया गया था और इसके बाद 26 जनवरी 1950 को इसे देशभर में लागू कर दिया गया।
हमारा संविधान दुनिया का सबसे बेहतरीन संविधान माना जाता है क्योंकि इसमें गरीब हो अमीर सभी के लिए स्वतंत्रता, समानता और न्याय का अधिकार देता है। संविधान में किसी भी प्रकार की ऊंच नीच को स्थान नहीं दिया गया है जो मजबूत राष्ट्र को मजबूती प्रदान करता है। यह दिन हमें हमारे अधिकारों और कर्तव्यों की याद दिलाता है और सभी लोगों के प्रति समान व्यवहार करने का उचित पाठ पढ़ाता है।
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(Image-freepik)
तो आइये हम सब अपने संविधान का पालन करें और इस समाज में व्याप्त ऊंच नीच, जाति पांति से आगे बढ़कर सोचें और देश को पूरी दुनिया में नए पटल पर प्रदर्शित करें। इस मौके पर मैं कवि एवं लेखक हरिवंश राय बच्चन की कविता से अपनी वाणी को विराम देना चाहूंगा-
- एक और जंजीर तड़कती है, भारत मां की जय बोलो
- इन जंजीरों की चर्चा में कितनों ने निज हाथ बंधाए,
- कितनों ने इनको छूने के कारण कारागार बसाए,
- इन्हें पकड़ने में कितनों ने लाठी खाई, कोड़े ओड़े,
- और इन्हें झटके देने में कितनों ने निज प्राण गंवाए!
- किंतु शहीदों की आहों से शापित लोहा, कच्चा धागा।
- एक और जंजीर तड़कती है, भारत मां की जय बोलो।
| जय बोलो उस धीर व्रती की जिसने सोता देश जगाया, जिसने मिट्टी के पुतलों को वीरों का बाना पहनाया, जिसने आज़ादी लेने की एक निराली राह निकाली, और स्वयं उसपर चलने में जिसने अपना शीश चढ़ाया, घृणा मिटाने को दुनिया से लिखा लहू से जिसने अपने, जो कि तुम्हारे हित विष घोले, तुम उसके हित अमृत घोलो। एक और जंजीर तड़कती है, भारत मां की जय बोलो। |
- कठिन नहीं होता है बाहर की बाधा को दूर भगाना,
- कठिन नहीं होता है बाहर के बंधन को काट हटाना,
- ग़ैरों से कहना क्या मुश्किल अपने घर की राह सिधारें,
- किंतु नहीं पहचाना जाता अपनों में बैठा बेगाना,
- बाहर जब बेड़ी पड़ती है भीतर भी गाँठें लग जातीं,
- बाहर के सब बंधन टूटे, भीतर के अब बंधन खोलो।
- एक और जंजीर तड़कती है, भारत मां की जय बोलो।
| कटीं बेड़ियां औ’ हथकड़ियां, हर्ष मनाओ, मंगल गाओ, किंतु यहां पर लक्ष्य नहीं है, आगे पथ पर पांव बढ़ाओ, आजादी वह मूर्ति नहीं है जो बैठी रहती मंदिर में, उसकी पूजा करनी है तो नक्षत्रों से होड़ लगाओ। हल्का फूल नहीं आजादी, वह है भारी जिम्मेदारी, उसे उठाने को कंधों के, भुजदंडों के, बल को तोलो। एक और जंजीर तड़कती है, भारत मां की जय बोलो। |
-हरिवंश राय बच्चन

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