नई घोषणाओं की बजाय NEP को ही पूरा उतारने की कोशिश, सरकार ने अच्छी स्कूली शिक्षा देने का संकल्प दोहराया
बजट में सरकार ने भले शिक्षा को लेकर कोई बड़ी नीतिगत घोषणा नहीं की है लेकिन उसने सबको अच्छी स्कूली शिक्षा देने के संकल्प को जाहिर करके यह बता दिया है कि वह देश की शिक्षा को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) की राह पर ही आगे लेकर बढ़ेगी। मौजूदा समय में शिक्षा के क्षेत्र में नीति से जुड़ी करीब तीन सौ से अधिक सिफारिशों पर काम चल रहा है।

अरविंद पांडेय, नई दिल्ली। बजट में सरकार ने भले शिक्षा को लेकर कोई बड़ी नीतिगत घोषणा नहीं की है लेकिन उसने सबको अच्छी स्कूली शिक्षा देने के संकल्प को जाहिर करके यह बता दिया है कि वह देश की शिक्षा को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) की राह पर ही आगे लेकर बढ़ेगी। ऐसे में नीति के तहत अब तक जो भी काम हाथ में लिए गए है उन्हें पूरा करना ही उसकी पहली प्राथमिकता है।
22 सालों में विकसित बनाने का जो लक्ष्य रखा
मौजूदा समय में शिक्षा के क्षेत्र में नीति से जुड़ी करीब तीन सौ से अधिक सिफारिशों पर काम चल रहा है। यह अच्छी बात है कि सरकार पहले के काम को पूरी तरह जमीन पर उतारने में लगी है। हालांकि देश को 2047 तक यानी अगले 22 सालों में विकसित बनाने का जो लक्ष्य रखा है, उस लिहाज से शिक्षा में सुधारों से जुड़े कामों को और रफ्तार देना होगा।
बजट में शनिवार को स्कूलों में 50 हजार अटल टिंकरिंग लैब की स्थापना, सरकारी माध्यमिक स्कूलों को ब्राडबैंड से जोड़ने और आईआईटी के क्षमता विस्तार को लेकर जो घोषणा की गई है, वह भी नीति की जुड़ी सिफारिशों में से ही एक है। जिसमें स्कूलों स्तर पर ही बच्चों नवाचार से जोड़ने की सिफारिश की गई है।
अटल टिंकरिंक लैंब स्कूलों में खोले जा चुके है
देश में पहले से ही दस हजार से अधिक अटल टिंकरिंक लैंब स्कूलों में खोले जा चुके है। इसके लिए अब तक एक करोड़ से अधिक छात्र अब अपने नवाचार को धार दे चुके है। यह बात अलग है कि इन बदलावों को जमीन पर दिखने पर एक लंबा वक्त लगेगा, क्योंकि देश में शिक्षा का ढांचा बहुत व्यापक है।
अकेले स्कूली शिक्षा में ही मौजूदा समय में 24 करोड़ से अधिक छात्र पढ़ाई कर रहे है। वहीं उच्च शिक्षा से भी मौजूदा समय में चार करोड़ से अधिक छात्र जुड़े है। शिक्षा सुधारों की पहल का असर फिलहाल इंफ्रास्ट्रक्चर के स्तर पर दिखने लगा है।
पहले के मुकाबले ड्रॉप आउट कम हुआ
हाल ही में आयी यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इन्फॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन प्लस (यू-डाइड प्लस) की रिपोर्ट में यह देखने को मिला है। जिसमें स्कूलों में नामांकन के स्तर पर में सुधार हुआ है। पहले के मुकाबले ड्रॉप आउट कम हुआ है। इसके साथ बिजली, पानी, इंटरनेट, कंप्यूटर जैसी मूलभूत सुविधाओं में भी वह पहले से बेहतर हुए है।
उच्च शिक्षा में मौजूदा समय में प्रवेश की एक बड़ी चुनौती है, लेकिन सरकार ने इस दिशा में तेजी से काम शुरू किया है। जिसमें 2040 तक देश के सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को बहुविषयक संस्थान में तब्दील किया जाना है। हाल ही विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने इसे लेकर एक गाइडलाइन भी जारी की है।
एनईपी की सिफारिशों के तहत उठाए गए कदमों पर आगे बढ़ने के लिए बजट में स्कूली शिक्षा के बजट में करीब 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है जबकि उच्च शिक्षा के बजट को भी साढ़े सात प्रतिशत तक बढ़ाया है। यह स्थिति तब है जब देश की मौजूदा महंगाई दर छह प्रतिशत के आसपास है।
देश में शिक्षा पर जीडीपी का कुल करीब तीन प्रतिशत ही खर्च
हालांकि इसके बाद भी देश में शिक्षा पर जीडीपी का कुल करीब तीन प्रतिशत ही खर्च है। जबकि अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन जैसे देशों में यह पांच प्रतिशत से अधिक है। वैसे तो एनईपी में इसे छह प्रतिशत तक करने की सिफारिश की गई है।
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