NCW के आदेश पर यूजीसी ने सभी कॉलेजों से मांगी पीओएसएच रिपोर्ट, यहां देखें पूरी जानकारी
एनसीडब्ल्यू के आदेश पर यूजीसी ने सभी कॉलेजों से POSH कार्यान्वयन और आंतरिक शिकायत समिति के लिए रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं। इसके साथ ही राष्ट्रीय महिला आयोग ने युवामंथन के सहयोग से 'कैंपस कॉलिंग प्रोगाम' भी शुरू किया है, जिसके जरिये युवाओं को कानूनी साक्षरता और डिजिटल सुरक्षा के प्रति जागरूक किया जाएगा।

यहां देखें पूरी जानकारी।
एजुकेशन डेस्क, नई दिल्ली: राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) की ओर से उच्च शैक्षणिक संस्थानों सहित वर्कप्लेस में महिलाओं के यौन उत्पीड़न (POSH अधिनियम) 2013 के तहत नए तरह से जांच करने के आदेश दिए गए हैं। दरअसल यह आदेश एनसीडब्ल्यू की ओर से अनुपालन में निरंतर आ रही कमियों को दूर के लिए जारी किया गया है। जिसके बाद विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने एक ऑफिशियल नोटिफिकेशन जारी करते हुए सभी उच्च शिक्षण संस्थानों से POSH कार्यान्वयन और आंतरिक शिकायत समिति (ICC) और शिकायत निवारण के प्रति सही ढंग से काम करने के लिए एक रिपोर्ट मांगी है। सभी उच्च शिक्षण संस्थान यूजीसी की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर सकते हैं।
कैंपस कॉलिंग प्रोगाम
यूजीसी ने आधिकारिक अधिसूचना जारी करते हुए यह भी बताया है कि 'राष्ट्रीय महिला आयोग' ने 'युवामंथन' के सहयोग से 'कैंपस कॉलिंग प्रोगाम' भी शुरू किया है। एनसीडब्ल्यू द्वारा शुरू किए गए इस प्रोग्राम का मुख्य उद्देश्य उच्च शिक्षण संस्थानों में युवाओं के बीच प्रशिक्षण, जागरूकता, कानूनी साक्षरता, डिजिटल सुरक्षा और नेतृत्व विकास क्षमता के प्रति युवाओं को जागरूक करना है।
800 प्रोग्राम का आयोजन
राष्ट्रीय महिला आयोग युवामंथन के सहयोग से देश की युवा को यौन उत्पीड़न, जागरूकता, कानूनी साक्षरता, डिजिटल सुरक्षा के प्रति जागरूक करने के लिए लगभग 800 प्रोग्राम आयोजित करेगा। बता दें, यह एक राष्ट्रीय पहल है, जिसके जरिये छात्रों और शिक्षकों को महिला सशक्तिकरण, लिंग संवेदनशीलता और POSH अनुपालन के प्रति जागरूक किया जाएगा।
कैंपस कॉलिंग प्रोगाम का उद्देश्य
कैंपस कॉलिंग प्रोगाम के तहत उच्च शिक्षण संस्थानों में महिला सशक्तिकरण और नेतृत्व के प्रति युवाओं को जागरूक किया जाएगा। साथ ही युवाओं को POSH अधिनियम के अनुपालन, लिंग संवेदनशीलता के प्रति भी जागरूक किया जाएगा। इस प्रोग्राम में कई एक्टिविटी भी शामिल होगी, जैसे हैकथॉन, प्रश्नोत्तरी, पोस्टर डिजाइनिंग, नुक्कड़ नाटक, रीहनाकिंग, विज्ञापन शो, एपीआई, पॉडकास्ट, कविता पाठ, खेल, थिएटर प्रतियोगिताएं आदि। इन प्रतियोगिताओं के जरिये युवाओं की रचनात्मकता विकसित होगी। साथ ही यह लैंगिक समानता और बाल शोषण के प्रति उनकी जागरूकता को भी विकसति करेगी।

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