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    JEE Advanced 2025: जेईई एडवांस के टाई ब्रेकर के नए नियमों से हुआ टॉपर सहित पूरी रैंक का निर्धारण

    Updated: Wed, 04 Jun 2025 09:38 AM (IST)

    जेईई एडवांस 2025 का रिजल्ट जारी हो चुका है और एडमिशन के लिए काउंसिलिंग प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। इस बार रैंक का निर्धारण टाई ब्रेकर के नए नियमों के तहत किया गया है। जेईई एडवांस ने रैंक निर्धारण को लेकर किसी तरह का विवाद न खड़ा हो इससे निपटने के लिए परीक्षा से पहले ही एक टाई ब्रेकर नियम तैयार किया गया था।

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    JEE Advanced रिजल्ट जारी होने के साथ ही काउंसिलिंग शुरू।

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जेईई एडवांस 2025 का परिणाम घोषित होने के साथ ही आईआईटी के इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए मंगलवार से काउंसिलिंग की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसके रजिस्ट्रेशन की विंडो को खोल दिया गया है। यह बात अलग है कि इसके प्रवेश में नंबरों से ज्यादा रैंक की अहमियत होती है, क्योंकि इसके आधार पर प्रवेश में प्राथमिकता दी जाती है। जिसका निर्धारण इस बार टाई ब्रेकर के नए नियमों से किए जाने का दावा किया गया है। इसके आधार पर टॉपर सहित पूरी रैंक तैयार की गई है।

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    टाई ब्रेकर नियम का कब होता है इस्तेमाल

    टाई ब्रेकर नियमों का इस्तेमाल तब किया जाता है जब दो या उससे अधिक छात्रों के समान अंक आ जाते है। जेईई एडवांस 2025 के टॉपर रजित गुप्ता भी टाई ब्रेकर नियमों से ही टॉपर बने है, क्योंकि इस परीक्षा में उनके बराबर 332 अंक दूसरे नंबर के छात्र सक्षम जिंदल के भी थे। जेईई एडवांस ने रैंक निर्धारण को लेकर किसी तरह का विवाद न खड़ा हो, इससे निपटने के लिए परीक्षा से पहले ही एक टाई ब्रेकर नियम तैयार किया गया था। जो दो चरणों में है।

    पहले चरण में यदि दो या दो से अधिक छात्रों के कुल अंक समान है, तो उसे उच्च रैंक दी जाती है, जिसके उच्च सकारात्मक अंक सर्वाधिक होते है। इसे ऐसे भी समझ सकते है कि जिसके निगेटिव अंक सबसे कम होते है, उसे ही उच्च रैंक दिया जाता है। यदि इसके बाद भी दोनों के बीच की अंकों की टाई खत्म नहीं होती है तो दूसरे चरण का इस्तेमाल किया जाता है। दूसरे चरण में गणित में जिसके उच्च अंक होते है, उसे उच्च रैंक दी जाती है यदि इसके बाद भी टाई नहीं खत्म होती है तो जिस छात्र के भौतिकी में सर्वाधिक अंक होते है, उसे उच्च रैंक दिया जाता है। यदि इसके बाद भी टाई होता है, तो दोनों को ही छात्रों को एक समान रैंक दे दिया जाता है। गौरतलब है कि टाई ब्रेकर नियमों से इससे पहले आयु और प्रयासों की संख्या को भी शामिल किया जाता था। यानी यदि कोई वरिष्ठ है या फिर उसके प्रयासों की संख्या अधिक है, तो उसे उच्च रैंक दिया जाता था।

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