समझिए कैट और जेईई मेंस सहित अन्य एग्जाम में कैसे निकाला जाता है पर्सेंटाइल, क्या होता है टाई ब्रेकर रुल ?
पर्सेंटाइल के साथ-साथ टाइ ब्रेकिंग पॉलिसी को लेकर भी कंफ्यूज रहते हैं। अगर इस रुल के बारे में नीट यूजी परीक्षा के संदर्भ में बात करें तो सबसे पहले जीव विज्ञान में मिलने वाले अंको को देखा जाता है। इसके बाद अगर किसी अभ्यर्थी बॉयो में दोनों के अंक समान है तो फिर केमिस्ट्री सब्जेक्ट के मार्क्स देखे जाते हैं।

एजुकेशन डेस्क, नई दिल्ली। कैट, जेईई मेंस, सीयूईटी यूजी, नीट यूजी सहित अन्य परीक्षाओं में परिणाम जारी होने के बाद सुनने को मिलता है कि इतने स्टूडेंट्स ने 100 पर्सेंटाइल स्कोर किया है। यूं तो आमतौर पर सभी छात्र-छात्राओं को पर्सेंटाइल के बारे में जानकारी होती है लेकिन कभी-कभी कुछ स्टूडेंट्स कंफ्यूज भी जाते हैं। इन्हें समझ नहीं आता है कि percentile कैलकुलेट कैसे किया जाता है। स्टूडेंट्स की इसी उलझन को सुलझाने के लिए आज, हम उनको आसान भाषा में यह समझाने जा रहे हैं कि पर्सेंटाइल कैसे निकाला जाता है। आइए समझते हैं।
पर्सेंटाइल
सभी पालियों के लिए पर्सेंटाइल स्कोर एग्जाम बॉडी द्वारा तय किया जाता है। इसके आधार पर अलग-अलग पालियों में हुए एग्जाम में उम्मीदवार के प्रदर्शन के आधार पर उसके रॉ स्कोर को निकाला जाता है। रॉ स्कोर हर पाली के लिए अलग-अलग 0-100 के बीच निर्धारित किया जाता है। रॉ स्कोर के आधार पर उम्मीदवार का नॉर्मलाइज्ड स्कोर तैयार किया जाता है, जो कि उसके कुल पर्सेंटेंज से अलग हो सकता है। इस विधि में अलग-अलग पालियों में परीक्षा दिए उम्मीदवारों में पक्षपात की संभावना समाप्त हो जाती है।
पर्सेंट
पर्सेंट की बात करें तो टोटल नंबर में से 70 या 80 प्रतिशत जवाब आपके सही है तो इसका आशय यह हुआ है कि आपको 70 या 80 अंक मिले हैं। वहीं, आपने अस्सी या सत्तर प्रतिशत अंक परीक्षा में हासिल किए हैं।
टाई ब्रेकिंग पॉलिसी
पर्सेंटाइल के साथ-साथ टाइ ब्रेकिंग पॉलिसी को लेकर भी कंफ्यूज रहते हैं। अगर इस रुल के बारे में नीट यूजी परीक्षा के संदर्भ में बात करें तो सबसे पहले जीव विज्ञान में मिलने वाले अंको को देखा जाता है। इसके बाद अगर, किसी अभ्यर्थी बॉयो में दोनों के अंक समान है तो फिर केमिस्ट्री सब्जेक्ट के मार्क्स देखे जाते हैं। अगर यहां भी दो परीक्षार्थी के अंक समान है तो फिर फिजिक्स के अंक देखे जाते हैं। अगर यह तीनों विषयों के अंक समान हैं तो फिर अभ्यर्थियों के गलत उत्तरों की संख्या को देखा जाता है। इसके बाद रैंक डिसाइड की जाती है।
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