PhysicsWallah: ऑनलाइन एडटेक प्लेटफार्म से यूनिकॉर्न बनने का सफर, जानें फिजिक्सवाला की Success Story
Physics wallah फिजिक्सवाला 2020 में शुरू किया गया स्टार्टअप किया गया था जो बहुत ही कम समय में यूनिकॉर्न बन चुका है। जिस कंपनी का रेवेन्यू 400 से 500 करोड़ रुपये के करीब होता है उसे यूनिकॉर्न कहा जाता है।

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। 2020 में ऑनलाइन एडटेक प्लेटफार्म ‘फिजिक्सवाला’ की नींव रखी गई थी। इसक उद्देश्य स्टूडेंट्स को कम बजट में क्वालिटी एजुकेशन प्रदान और विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में उन्हें मदद करना था, लेकिन कंपनी के संस्थापक अलख पांडे एवं प्रतीक माहेश्वरी ने कल्पना भी नहीं की थी वे इतने कम समय में एक यूनिकॉर्न बन जाएंगे।
स्टार्टअप करने के लिए मजबूत इच्छाशक्ति होना जरूरी
फिजिक्सवाला के सह-संस्थापक प्रतीक की मानें, तो विगत वर्षों में भारतीय स्टार्टअप उद्यमियों के सोच में बड़ा बदलाव आया है। वे समझ गए हैं कि देश में बिजनेस करने के लिए पश्चिमी देशों की ओर देखने के बजाय स्थानीय समस्याओं एवं जरूरतों पर ध्यान देना होगा। वैसे भी, स्टार्टअप करने के लिए मजबूत इच्छाशक्ति व उद्देश्य चाहिए होता है।
क्या होता है यूनिकॉर्न?
कंपनी के सह-संस्थापक प्रतीक माहेश्वरी की मानें, तो यूनिकॉर्न बनने के लिए कोई लक्ष्य या मानदंड निर्धारित नहीं है। निवेशक (वेंचर कैपिटलिस्ट्स) कंपनी का मूल्यांकन करते हैं, उसका मूल्य लगाते हैं। अगर वह एक बिलियन डॉलर के ऊपर होती है, उसका रेवेन्यू 400 से 500 करोड़ रुपये के करीब होता है, तो कंपनी यूनिकॉर्न कहलाने लगती है।
स्टार्टअप के 18 महीने बाद फंड रेज करने का सोचा
प्रतीक ने आगे बताया, "फिजिक्सवाला एक कैशलेस कंपनी थी। जब वह 18 महीने की हो गई, तब हमने पहली बार फंड रेज करने का सोचा, तब तक हम एक हजार लोगों की कंपनी बन चुके थे और सेल्फ मोड में ऑपरेट कर रहे थे। निवेशकों को यह जानकर काफी हैरानी हुई कि हर रोज औसतन करीब 12 लाख स्टूडेंट्स 100 मिनट के आसपास हमारे एप पर पढ़ाई कर रहे थे। इस तरह पहली राउंड की फंडिंग के तहत वेस्टब्रिज कैपिटल एवं जीएसवी वेंचर्स ने कंपनी में 100 मिलियन डॉलर यानि 750 करोड़ रुपये के आसपास निवेश किया।"
उनसे पूछा गया कि उन्होंने निवेशकों का विश्वास कैसे जीता? इस पर प्रतीक ने कहा कि अच्छा कार्यप्रदर्शन एवं पारदर्शिता के साथ काम करने वाली कंपनी को इस तरह की चुनौती का सामना नहीं करना पड़ता है। विश्वास की कमी वहां होती है, जहां विजन को लेकर स्पष्टता नहीं होती है।
इस तरह हुई फिजिक्सवाला की शुरुआत
‘फिजिक्सवाला’ की शुरुआत की कहानी कम दिलचस्प नहीं है। वर्ष 2018 की बात है। प्रतीक एक सैप टेक्नोलाजी कंपनी चला रहे थे और अलख का पूरा फोकस अपने यूट्यूब चैनल पर था। 2020 के आते-आते उन्हें एक टेक पार्टनर की आवश्यकता पड़ी। उस दौरान कोविड-19 ने दस्तक दे दी थी और टेक्नोलॉजी की मांग एकदम से बढ़ गई थी। उसी दौरान उन्होंने प्रतीक से एक एप विकसित करने के लिए संपर्क किया और दोनों पार्टनर बन गए।
प्राइस प्वाइंट से मिली बढ़त
प्रतीक ने बताया, "उस समय अधिकांश एजुकेशन स्टार्टअप्स 80 से 90 हजार रुपये के प्राइस प्वाइंट पर ऑपरेट करते थे, लेकिन हमने महसूस किया कि जब भारत के 80 प्रतिशत बच्चे व युवा परीक्षा के फार्म भर रहे हैं और वे प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने के लिए कोचिंग की भारी भरकम फीस अदा करने की स्थिति में नहीं हैं, तो हमने बहुत सोच-विचार कर बच्चों के लिए एक एप लॉन्च किया। अपने प्राइस प्वाइंट को एक से चार हजार रुपये के बीच रखा।
पहले बैच में आए 75 हजार स्टूडेंट्स
इस तरह से उनका मार्केट एकदम से ऊपर की ओर चला गया। पहले बैच में ही 75 हजार स्टूडेंट्स ने एडमिशन ले लिया। इस तरह पहले वर्ष के अंत तक डेढ़ लाख से अधिक बच्चे तैयारी कर सके। कंपनी के कर्मचारियों की संख्या भी 100 को पार हो गई। दूसरे वर्ष में इन्होंने जेईई, नीट की तैयारी कराने वाले प्लेटफॉर्म के रूप में खुद को स्थापित किया। साथ ही आठवीं, नौवीं एवं दसवीं कक्षा की कक्षाएं शुरू कर दी गई, ताकि कुल साढ़े पांच लाख बच्चे विभिन्न परीक्षाओं की तैयारी कर सके।
ऑनलाइन के साथ ऑफलाइन सुविधाएं
फंड मिलने के बाद प्रतीक एवं अलख ने कंपनी के विस्तार पर ध्यान देना शुरू किया। कर्मचारियों की बेहतरी, उनके कौशल विकास एवं नए लोगों को काम पर रखने के लिए दोनों ने खुलकर खर्च किया। आज इनकी कंपनी में 7500 के करीब कर्मचारी हैं,16 लाख बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। जेईई, नीट के अलावा अब यहां एसएससी, बैंकिंग, सीटीईटी, सीए, सीएस, यूपीएससी जैसी तमाम अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराई जा रही है। ये कक्षाएं ऑनलाइन के साथ-साथ ऑफलाइन मोड में भी संचालित की जाती हैं।
12 भाषाओं में संचालित करने की योजना
पिछले साल इन्होंने कोटा, पटना, लखनऊ, कानपुर, कोलकाता, दिल्ली, नोएडा में सात ऑफलाइन सेंटर शुरू किए। इसके साथ ही अगले साल इनकी 60 और सेंटर खोलने की योजना है। प्रतीक ने कहा, "फिलहाल हम छह भाषाओं में कोर्स उपलब्ध करा रहे हैं। आगे 12 अन्य भाषाओं में भी कराने पर विचार चल रहा है। साथ ही, गरीब एवं जरूरतमंद छात्रों के कल्याण के लिए फिजिक्सवाला फाउंडेशन बनाने की योजना पर भी काम चल रहा है।"
डिग्री से अधिक जानकारी आती है काम
प्रतीक के मुताबिक, यह जरूरी नहीं है कि सिर्फ एमबीए की डिग्री हासिल करके कोई सफल बिजनेसमैन बन जाएगा, उसके पास मार्केट की व्यावहारिक जानकारी होना जरूरी है। यही कारण है कि आज बहुत से ऐसे उद्यमी हैं, जो एमबीए की औपचारिक डिग्री न रखने के बावजूद अपने आसपास की समस्याओं का समाधान निकालने की इच्छा रखने के कारण कंपनी को सफलता के साथ चला पा रहे हैं।
आसान नहीं था सफर
प्रतीक ने कहा, "मैंने 2011 में आईआईटी (बीएचयू), वाराणसी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल करने के बाद चार साल नौकरी की और ऐसा करने के दौरान ही समझ में आ गया था कि मैं नौकरी के लिए नहीं बना हूं। वहां अच्छी सैलरी, सुविधाएं सब थीं, नहीं थी तो संतुष्टि और शांति, इसलिए नौकरी छोड़कर स्टार्टअप में हाथ आजमाना शुरू किया।"
उन्होंने कहा, "2015 में मैंने क्लाउड किचन से लेकर दूसरे कई प्रयोग किए, लेकिन उनमें नाकामी मिली। इसकी वजह से आर्थिक संकट व चुनौती भी झेलनी पड़ी, फिर भी खुश था क्योंकि वह कर रहा था, जो करना चाहता था। इस तरह गलतियों से सबक लेते हुए यही आभास हुआ कि करना तो स्टार्टअप ही है और फिर ये यात्रा भी सुगम रही।"
मजबूत टीम के बिना स्टार्टअप की कल्पना नहीं
किसी भी बिजनेस या स्टार्टअप की शुरुआत में उद्यमियों के लिए अपने विजन के अनुसार टीम का निर्माण करना चुनौतीपूर्ण होता है। खासकर अगर बजट सीमित हो, तो काफी एहतियात के साथ हायरिंग करनी होती है। प्रतीक अपने अनुभव से बताते हैं, "शुरुआत में हमारे पास इतना फंड नहीं था, तो हमने वैसे लोगों को नियुक्त किया, जिनमें सीखने की भूख थी और काबिलियत होते हुए भी जिन्हें अवसर नहीं मिल रहे थे। जैसे, हमारे पहले कर्मचारी दसवीं पास भी नहीं थे, लेकिन आज वे प्राइमस यूएक्स डिजाइनर हैं। सीटीओ कॉमर्स ग्रेजुएट हैं, जिन्होंने एक इंटर्न के तौर पर कंपनी ज्वाइन की थी।"
टीम के सदस्यों को मोटिवेट करना जरूरी
उन्होंने कहा, "कहने का तात्पर्य यह है कि जब पैसे ज्यादा नहीं होते हैं, तो हमें बिजनेस को आगे बढ़ाने के लिए समय देना पड़ता है। टीम के सदस्यों को कंपनी के विजन के साथ मोटिवेट करना होता है। कार्यस्थल पर उन्हें एक पारिवारिक माहौल एवं स्नेह देना होता है, क्योंकि अगर आप टीम नहीं बना सकते हैं, तो स्टार्टअप करना भी मुश्किल है। यह एक बुनियादी आवश्यकता है।"
अलख पांडे और प्रतीक महेश्वरी मिलकर बनाते हैं योजनाएं
अगर प्रतीक और अलख की बात करें, तो दोनों की कंपनी में अपनी तय भूमिकाएं हैं। प्रतीक बिजनेस, इनवेस्टमेंट, फंड रेज, टेक्नोलॉजी आदि देखते हैं और अलख ब्रांडिंग, मार्केटिंग, एकेडेमिक्स और यूट्यूब देखते हैं। छात्रों के कल्याण के लिए योजनाएं दोनों मिलकर बनाते हैं। कंपनी के सीईओ एवं चेयरपर्सन होने के नाते बहुत से निर्णय अलख के अनुसार लिए जाते हैं, लेकिन सभी उसका पूरा सम्मान करते हैं।
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