‘बहुभाषी शिक्षा है पीढ़ीगत शिक्षा का आधार’ थीम के साथ मनाया जा रहा है इस बार का अंतर्राष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस
अंतर्राष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस 2024 (International Mother Language Day 2024) के थीम को लेकर यूनेस्को की तरफ से कहा गया है कि स्थायी समाज के लिए सांस्कृतिक व भाषाई विविधता जरूरी है। शांति की स्थापना के लिए यह जरूरी है कि संस्कृतियों और भाषाओं में अंतर को संरक्षित करें जो दूसरों के प्रति सहिष्णुता और सम्मान को बढ़ावा देता है।

एजुकेशन डेस्क, नई दिल्ली। आज, 21 फरवरी 2024 को पूरे विश्व में अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस (International Mother Language Day) मनाया जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र (UN) के संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) की महासभा द्वारा वर्ष 1999 में पारित किए जाने के बाद वर्ष 2000 से हर साल 21 फरवरी को मनाए जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस के लिए इस साल का मुख्य विषय (Theme) ‘बहुभाषी शिक्षा है पीढ़ीगत शिक्षा का आधार (Multilingual Education is a Pillar of Intergenerational Learning) घोषित किया गया है।
International Mother Language Day 2024: क्या है कहता है इस बार का थीम?
अंतर्राष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस 2024 के थीम को लेकर यूनेस्को की तरफ से कहा गया है कि स्थायी समाज के लिए सांस्कृतिक व भाषाई विविधता जरूरी है। शांति की स्थापना के लिए यह जरूरी है कि संस्कृतियों और भाषाओं में अंतर को संरक्षित करें, जो दूसरों के प्रति सहिष्णुता और सम्मान को बढ़ावा देता है। बहुभाषी (Multi-Lingual) और बहुसांस्कृतिक (Multi-Cultural) समाज अपनी भाषाओं के माध्यम से अस्तित्व में हैं जो पारंपरिक ज्ञान और संस्कृतियों को स्थायी तरीके से प्रसारित और संरक्षित करते हैं।
यूनेस्को के मुताबिक वैश्विक स्तर पर 40 फीसदी जनसंख्या ऐसी है जिसके लिए उनकी अपनी (मातृ)भाषा में शिक्षा की उपलब्धता नहीं है। हालांकि, अब बहुभाषी शिक्षा की आवश्यता की बढ़ती समझ के साथ इस दिशा में, विशेषतौर पर शुरूआती विद्यालयी शिक्षा में, प्रगति देखी जा रही है।
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International Mother Language Day 2024: दुनिया में 250 मिलियन को नहीं मिलती शिक्षा
अंतर्राष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस 2024 (International Mother Language Day) के अवसर पर यूनेस्को द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर 250 मिलियन बच्चों और युवा स्कूल भी नहीं जा पाते, जबकि 763 मिलियन व्यस्कों में मूलभूत साक्षरता भी नहीं है। ऐसे में मातृभाषा शिक्षा सीखने, साक्षरता और अतिरिक्त भाषाओं को सीखने में मदद करती है।
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