Independence Day 2025: स्वतंत्रता दिवस पर प्रसिद्ध कवियों की रचनाएं
इस वर्ष देश अपना 79वां स्वतंत्रता दिवस सेलिब्रेट करेगा वहीं स्वतंत्रता दिवस की 78वीं वर्षगांठ मनाई जाएगी। जो भी इस स्वतंत्रता दिवस पर कोई कविता तैयार करके सुनाना चाहते हैं वे हमारे देश के प्रसिद्ध कवियों- हरिवंश राय बच्चन रामधारी सिंग दिनकर सहित अन्य द्वारा लिखित कविताएं प्राप्त कर सकते हैं।

एजुकेशन डेस्क, नई दिल्ली। देशभर में स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) की तैयारियां स्टार्ट हो गई हैं। प्रतिवर्ष इस त्योहार को देशभर में बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। इस बार भारत अपना 79वां स्वतंत्रता दिवस सेलिब्रेट करेगा वहीं स्वतंत्रता दिवस की 78वीं वर्षगांठ मनाई जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल किला से ध्वजारोहण करेंगे। इस दिन कॉलेज, स्कूल साथ ही विभिन्न स्थलों पर कविता, नाटक, भाषण आदि का मंचन किया जाता है।
अगर आप भी इस स्वतंत्रता दिवस पर कविता पाठ करना चाहते हैं तो यह पेज आपके लिए बेहद उपयोगी है। यहां पर हमारे देश के प्रसिद्ध कवियों द्वारा लिखित कविताएं दी जा रही हैं जिनको तैयार कर आप सभा में कविता पाठ कर सकते हैं।
हरिवंश राय बच्चन द्वारा लिखित कविता
- आज से आजाद अपना देश फिर से
- ध्यान बापू का प्रथम मैंने किया है।
- क्योंकि मुर्दों में उन्होंने भर दिया है
- नव्य जीवन का नया उन्मेष फिर से!
- आज से आजाद अपना देश फिर से!
दासता की रात में जो खो गये थे, भूल अपना पंथ, अपने को गये थे, वे लगे पहचानने निज वेश फिर से! आज से आजाद अपना देश फिर से! |
- स्वप्न जो लेकर चले उतरा अधूरा,
- एक दिन होगा, मुझे विश्वास, पूरा,
- शेष से मिल जाएगा अवशेष फिर से!
- आज से आजाद अपना देश फिर से!
देश तो क्या, एक दुनिया चाहते हम, आज बँट-बँट कर मनुज की जाति निर्मम, विश्व हमसे ले नया संदेश फिर से! आज से आजाद अपना देश फिर से! |
कवि मुहम्मद इकबाल द्वारा लिखित कविता
- सारे जहां से अच्छा
- हिंदुस्तान हमारा
- हम बुलबुलें हैं उसकी
- वो गुलसितां हमारा।
परबत वो सबसे ऊंचा
हमसाया आसमां का
वो संतरी हमारा
वो पासबां हमारा।
- गोदी में खेलती हैं
- जिसकी हजारों नदियां
- गुलशन है जिनके दम से
- रश्क-ए-जिनां हमारा।
मजहब नहीं सिखाता
आपस में बैर रखना
हिंदी हैं हम वतन है
हिंदुस्तान हमारा।
कवि डॉ परशुराम शुक्ला द्वारा लिखित कविता
- भारत मां के अमर सपूतो, पथ पर आगे बढ़ते जाना
- पर्वत, नदियां और समन्दर, हंस कर पार सभी कर जाना।
- तुममे हिमगिरी की ऊंचाई सागर जैसी गहराई है
- लहरों की मस्ती और सूरज जैसी तरुनाई है तुममें।।
- भगत सिंह, राणा प्रताप का बहता रक्त तुम्हारे तन में
- गौतम, गांधी, महावीर सा रहता सत्य तुम्हारे मन में।।
- संकट आया जब धरती पर तुमने भीषण संग्राम किया
- मार भगाया दुश्मन को फिर जग में अपना नाम किया।।
- आने वाले नए विश्व में तुम भी कुछ करके दिखाना
- भारत के उन्नत ललाट को जग में ऊंचा और उठाना।।
कवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ द्वारा रचित कविता
- नमो, नमो, नमो।
- नमो स्वतंत्र भारत की ध्वजा, नमो, नमो
- नमो नगाधिराज – शृंग की विहारिणी
- नमो अनंत सौख्य, शक्ति, शील, धारिणी
- प्रणय – प्रसारिणी, नमो अरिष्ट, वारिणी
- नमो मनुष्य की शुभेषणा, प्रचारिणी
- नवीन सूर्य की नई प्रभा, नमो, नमो
- हम न किसी का चाहते तनिक अहित, अपकार।
- प्रेमी सकल जहान का भारतवर्ष उदार।
- सत्य न्याय के हेतु, फहर-फहर ओ केतु
- हम विचरेंगे देश-देश के बीच मिलन का सेतु
- वित्र सौम्य, शांति की शिखा, नमो, नमो
- तार-तार में हैं गुंथा ध्वजे, तुम्हारा त्याग
- दहक रही है आज भी, तुम में बलि की आग।
- सेवक सैन्य कठोर, हम चालीस करोड़
- कौन देख सकता कुभाव से ध्वजे, तुम्हारी ओर
- करते तव जय गान, वीर हुए बलिदान,
- अंगारों पर चला तुम्हें ले सारा हिंदुस्तान
- प्रताप की विभा, कृषानुजा, नमो, नमो
कवि माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा लिखित कविता
- प्यारेभारत देश
- गगन-गगन तेरा यश फहरा
- पवन-पवन तेरा बल गहरा
- क्षिति-जल-नभ पर डाल हिंडोले
- चरण-चरण संचरण सुनहरा
- ओ ऋषियों के त्वेष
- प्यारे भारत देश।।
वेदों से बलिदानों तक जो होड़ लगी प्रथम प्रभात किरण से हिम में जोत जागी उतर पड़ी गंगा खेतों खलिहानों तक मानो आंसू आये बलि-महमानों तक सुख कर जग के क्लेश प्यारे भारत देश।। |
- तेरे पर्वत शिखर कि नभ को भू के मौन इशारे
- तेरे वन जग उठे पवन से हरित इरादे प्यारे!
- राम-कृष्ण के लीलालय में उठे बुद्ध की वाणी
- काबा से कैलाश तलक उमड़ी कविता कल्याणी
- बातें करे दिनेश
- प्यारे भारत देश।।
जपी-तपी, संन्यासी, कर्षक कृष्ण रंग में डूबे हम सब एक, अनेक रूप में, क्या उभरे क्या ऊबे सजग एशिया की सीमा में रहता केद नहीं काले गोरे रंग-बिरंगे हममें भेद नहीं श्रम के भाग्य निवेश प्यारे भारत देश।। |
- वह बज उठी बासुंरी यमुना तट से धीरे-धीरे
- उठ आई यह भरत-मेदिनी, शीतल मन्द समीरे
- बोल रहा इतिहास, देश सोये रहस्य है खोल रहा
- जय प्रयत्न, जिन पर आन्दोलित-जग हँस-हँस जय बोल रहा,
- जय-जय अमित अशेष
- प्यारे भारत देश।।
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