शिक्षा मंत्रालय ने सीबीएसई, केवी, नवोदय स्कूलों में पीएम मोदी के बचपन से प्रेरित फिल्में दिखाने का दिया निर्देश
शिक्षा मंत्रालय की की ओर से सेन्ट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (सीबीएससी) बोर्ड से सम्बद्ध स्कूलों के साथ ही केवीएस और नवोदय विद्यालयों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बचपन से प्रेरित फिल्म को दिखाने का निर्देश दिया गया है। स्कूल फिल्म 17 सितंबर से 2 अक्टूबर के बीच दिखा सकते हैं।

एजुकेशन डेस्क, नई दिल्ली। मिनिस्ट्री ऑफ एजुकेशन की ओर से केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE), केंद्रीय विद्यालय संगठन (KVS) और नवोदय विद्यालय समिति (NVS) के तहत देशभर के स्कूलों को निर्देश दिया गया है। शिक्षा मंत्रालय द्वारा इन सभी स्कूलों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जीवन की बचपन की घटनाओं से प्रेरित फिल्म "चलो जीते हैं" दिखाने के निर्देश मिला है। स्कूल अपने स्कूल में फिल्म 16 सितंबर से 2 अक्टूबर 2025 तक दिखा सकते हैं।
स्कूलों को लिखा गया था पत्र
फिल्म दिखाने के लिए शिक्षा मंत्रालय की ओर से 11 सितंबर को स्कूलों को पत्र लिखा गया था जिसमें निर्देश देते हुए कहा गया की "यह युवा शिक्षार्थियों को चरित्र, सेवा और उत्तरदायित्व जैसे विषयों पर चिंतन करने में मदद करेगी। यह फिल्म नैतिक तर्क के लिए एक केस स्टडी के रूप में भी काम कर सकती है और सामाजिक-भावनात्मक शिक्षा, सहानुभूति, आत्म-चिंतन, आलोचनात्मक सोच और प्रेरणा के विकास के लक्ष्यों का समर्थन कर सकती है।" इसलिए बच्चों को इसे दिखाया जाना चाहिए।
प्रेरणा नाम से चलाया जा रहा कार्यक्रम
एजुकेशन मिनिस्ट्री की ओर से जारी किये गए पत्र में कहा गया है कि इसे 'प्रेरणा' नाम के कार्यक्रम के तहत दिखाया जाना है। आपको बता दें कि प्रेरणा कार्यक्रम 1888 में स्थापित गुजरात के वडनगर के एतिहासिक वर्नाक्युलर स्कूल से संचालित किया जा रहा है। यह वही संस्थान है जहां से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी शुरुआती शिक्षा प्राप्त की थी।
प्रेरणा कार्यक्रम 9 प्रमुख मानवीय मूल्यों- स्वाभिमान और विनय, शौर्य और साहस, परिश्रम और समर्पण, सत्यनिष्ठा और शुचिता, करुणा और सेवा, नवचार और जिज्ञासा, विविधता और एकता, श्रद्धा और विश्वास, स्वतंत्रता और कर्तव्य पर आधारित है।
जारी किये गए पत्र में बताया गया है कि प्रेरणा के अंतर्गत नियमित रूप से प्रदर्शित होने वाली एक फिल्म "चलो जीते हैं" सच्ची घटनाओं से प्रेरित है और नौ मूल्यों और स्वामी विवेकानंद के इस कथन, 'केवल वे ही वास्तव में जीते हैं जो दूसरों के लिए जीते हैं', को मूर्त रूप देती है।"
शिक्षा मंत्रालय के पत्र में फिल्म का यूट्यूब लिंक दिया गया है और बताया गया है कि इसे 66वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में 'पारिवारिक मूल्यों पर सर्वश्रेष्ठ गैर-फीचर फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार' मिला है, "और युवा मन को प्रेरित करने की इसकी क्षमता के लिए इसकी सराहना की गई है।"
इसमें कहा गया है, “प्रेरणा कार्यक्रम के अंतर्गत, फिल्म ने प्रतिभागियों पर गहरी छाप छोड़ी है, जिन्होंने इसके संदेश को आत्मसात किया है और इसे अपने व्यवहार और कार्यों में प्रतिबिंबित किया है।” यह फिल्म 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक सिनेमाघरों में प्रदर्शित की जा रही है।
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