ASER 2024: एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट्स जारी, जानें देश में शिक्षा की स्थिति की प्रमुख बातें
प्रथम फाउंडेशन की ओर से The Annual Status of Education Report (ASER 2024) जारी कर दी गई है। इस रिपोर्ट को तैयार करने के लिए 605 ग्रामीण जिलों के 649491 बच्चे शामिल किये गए थे। इसमें कोरोना के बाद शिक्षा के क्षेत्र में हुए बदलावों को बताया गया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि केवल 57 प्रतिशत स्टूडेंट ही एजुकेशन के लिए फोन यूज कर रहे हैं।

एजुकेशन डेस्क, नई दिल्ली। राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण शिक्षा की वार्षिक स्थिति की रिपोर्ट (The Annual Status of Education Report-ASER) 2024 जारी कर दी गई है। यह रिपोर्ट प्रथम फाउंडेशन की ओर से जारी की गई है। इस रिपोर्ट के माध्यम से ग्रामीण भारत के राज्यों/ जनपदों में बच्चों की स्कूली शिक्षा की स्थिति का सर्वेक्षण किया जाता है। इस रिपोर्ट के लिए 605 ग्रामीण जिलों के 6,49,491 बच्चे शामिल किये गए थे। इसी के आधार पर एएसईआर रिपोर्ट को तैयार किया। इस वर्ष की रिपोर्ट की कुछ प्रमुख बातें आप यहां से जान सकते हैं।
कोरोना काल से उबर रहे हैं छात्र
ASER 2024 की वार्षिक रिपोर्ट में बताया गया है कि छात्र कोविड काल से बाहर आ रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों के कक्षा 3 और 5वीं के छात्रों में बुनियादी पढ़ाई की स्थिति एवं अंकगणित में सुधार देखने को मिला है। इसके अलावा देश शिक्षा के क्षेत्र में अन्य बदलाव भी देखने को मिले हैं।
82.2 फीसदी छात्र कर रहे स्मार्टफोन का इस्तेमाल, 76 प्रतिशत किशोर सोशल मीडिया पर एक्टिव
ASER 2024 की रिपोर्ट के मुताबिक देश के 82.2 फीसद छात्र वर्तमान समय में स्मार्टफोन का इस्तेमाल कर रहे हैं। इन स्टूडेंट्स की संख्या में 76 फीसदी स्टूडेंट्स ऐसे हैं जो सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहे हैं।
केवल 57 फीसदी स्टूडेंट्स एजुकेशन संबंधित जानकारी के लिए फोन कर रहे उपयोग
रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि केवल 57 प्रतिशत किशोर शिक्षा-संबंधी गतिविधियों के लिए स्मार्ट डिवाइस का उपयोग करते हैं। लेकिन इसमें भी इसी पढ़ाई के दौरान ज्यादातर बच्चे सोशल मीडिया का उपयोग भी करते हैं।
सीखने के स्तर में पिछले वर्षों के मुताबिक हुआ सुधार
ASER 2024 की रिपोर्ट के मुताबिक पूरे भारत में सीखने के स्तर में तेजी से सुधार देखने को मिला है। सीखने का स्तर जो 2010 तक स्थिर था। इसके बाद इसमें और कमी देखने को मिली। केवल 2014 और 2018 के बीच धीरे-धीरे सुधार हुआ। अब कोरोना से उबरने के बाद इसमें तेजी से सुधार देखने को मिला है। इस स्तर में तेजी से बदलाव का कारण निजी स्कूल नामांकन में की बढ़ती संख्या को भी बताया गया है।
सरकारी स्कूलों में हो रहा विकास
इस रिपोर्ट में सरकारी स्कूलों के बेहतर विकास को भी बताया गया है। पहले जो बच्चे 5वीं के स्तर पर पाठ पढ़ते थे वे अब 2nd क्लास में हुई उसे पढ़ने में सक्षम हैं। हालांकि रिपोर्ट में काखा गया है कि निजी स्कूलों अपने पूर्व स्तर पर नहीं पहुंच पाए हैं। 2024 में प्राइवेट स्कूलों का पढ़ाई का स्तर 59.3% था, जो 2022 में 56.8% था, लेकिन फिर भी 2018 में 65.1% से कम है।
प्राइमरी लेवल पर इन राज्यों में हुए सबसे ज्यादा नामांकन
एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट्स के मुताबिक पांच वर्ष की आयु के बच्चों के लिए प्री-प्राइमरी स्कूलों में, कर्नाटक, गुजरात, महाराष्ट्र, केरल और नागालैंड 90% से ऊपर नामांकन दर वाले राज्यों में से हैं।
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