Sunday: साल 1890 में मिली थी रविवार को छुट्टी की मंजूरी, ब्रिटिश हुकूमत ने दी थी अनुमति
Sunday सरकारी और प्राइवेट अन्य तमाम संस्थानों में भी इसी दिन छुट्टी मिलती है। पूरे सप्ताह भर काम करने के बाद आखिरकार रविवार के दिन न केवल काम से राहत मिलती है बल्कि इस दिन को सभी अपने हिसाब से भी जी पाते हैं। लेकिन क्या कभी आपने यह सोचा है कि रविवार के दिन ही छुट्टी क्यों दी जाती है किसी और डे पर क्यों नहीं।

एजुकेशन डेस्क। Sunday: अगर यह कहा जाए कि संडे अमूमन हर किसी का पसंदीदा दिन है तो यह गलत नहीं होगा। क्योंकि इस दिन पर स्कूल-कॉलेज,ऑफिस सब बंद रहते हैं। इसके अलावा, सरकारी और प्राइवेट अन्य तमाम संस्थानों में भी इसी दिन छुट्टी मिलती है। पूरे सप्ताह भर काम करने के बाद आखिरकार रविवार के दिन न केवल काम से राहत मिलती है बल्कि इस दिन को सभी अपने हिसाब से भी जी पाते हैं। लेकिन क्या कभी आपने यह सोचा है कि रविवार के दिन ही छुट्टी क्यों दी जाती है, किसी और डे पर क्यों नहीं। इसके अलावा, रविवार को छुट्टी मनाई जाएगी, इसकी शुरुआत कब हुई। अगर नहीं तो आज हम आपको इसके बारे में ही बताने जा रहे हैं।
दरअसल, मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जाता है कि आजादी के पहले जब, अंग्रेजों की सरकार थी तो उस वक्त ब्रिटिश अधिकारी समेत अन्य बाकी दिन काम करके संडे के दिन चर्च जाया करते थे। वहीं, मजूदरों को सप्ताह के सातों दिन मिल में काम करना पड़ता था। उन्हें किसी भी दिन की छुट्टी नहीं दी जाती थी। मजदूरों की इस व्यथा को उस वक्त के मजदूरों के नेता नारायण मेघाजी लोखंडे ने समझा और उन्होंने ब्रिटिश सरकार के सामने संडे को छुट्टी का प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा कि सप्ताह में छह दिन काम करने के बाद एक दिन सभी को अवकाश का मिलना चाहिए। हालांकि, इस बात के लिए पहले तो अंग्रेजों की सरकार राजी नहीं लेकिन मजदूरों के नेता नारायण मेघाजी लोखंडे के लंबे संघर्ष के बाद आखिरकार ब्रिटिश हुकूमत मान गई। इसके बाद, आखिरकार 10 जून 1890 को ब्रिटिश सरकार ने आखिरकार रविवार को छुट्टी का दिन घोषित कर दिया गया।
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