निजी सुरक्षा एजेंसियों को मिलेगा नेशनल लाइसेंस- राजनाथ सिंह
गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि सरकार निजी सुरक्षा एजेंसियों को नेशनल लाइसेंस देने की तैयारी कर रही है। इससे न सिर्फ उन्हें हथियारों का लाइसेंस लेने में आसानी होगी जिससे उन्हें ना सिर्फ अपना काम करने में आसानी होगी, बल्कि कैश मैनेजमेंट सर्विस में इसका सबसे ज्यादा
नई दिल्ली। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि सरकार निजी सुरक्षा एजेंसियों को नेशनल लाइसेंस देने की तैयारी कर रही है। इससे उन्हें हथियारों का लाइसेंस प्राप्त करने में आसानी होगी जिससे उन्हें ना सिर्फ अपना काम करने में आसानी होगी, बल्कि कैश मैनेजमेंट सर्विस में इसका सबसे ज्यादा फायदा होगा। यह घोषणा उन्होंने इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सिक्यूरिटी एंड सेफ्टी मैनेजमेंट (आईआईएसएसएम) के सालाना समारोह का उद्घाटन करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि निजी एजेंसियों को अब भारी मात्रा में बैंकों और एटीएम के लिए कैश लाने-ले जाने का काम करना पड़ता है। इसलिए उनकी सही ट्रेनिंग की बेहद आवश्यकता है। इसके लिए सरकार देश भर के कॉरपोरेट ऑफिसों के निजी सुरक्षा गार्डों को एडवांस ट्रेनिंग मुहैया कराएगी।
उन्होंने यह स्वीकार किया कि मौजूदा निजी सुरक्षा अभिकरण (विनियमन) अधिनियम, 2005 (PASAR) जो प्रचलन में है उसमें कई खामियां हैं। सरकार इसमें संशोधन करने के लिए है। सरकार विशेष रूप से नकदी प्रबंधन सेवाओं में लगे सुरक्षा कंपनियों को अपने सामान्यतया नकदी बाहर ले जाने के लिए हथियारों का लाइसेंस प्राप्त करने में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
गृह मंत्री ने कहा कि निजी सुरक्षा गार्ड न सिर्फ कॉरपोरेट ऑफिसों की सुरक्षा करते हैं, बल्कि रिहाइशी कॉलोनियों से लेकर मोबाइल टावर और राष्ट्रीय धरोहरों की सुरक्षा की जिम्मेवारी भी उठा रहे हैं।
इस मौके पर श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि उनका मंत्रालय यह सुनिश्चित करेगा कि निजी सुरक्षाकर्मियों को सही वेतन मिले, इसलिए हम न्यूनतम वेतन से आगे का कुछ फार्मूला सोच रहे हैं। इसके अलावा हम श्रम कानून को सरल बनाने पर भी काम कर रहे हैं। हमारी सोच है कि श्रम कानून को कर्मचारियों और मालिकों दोनों के हितों को ध्यान में रखकर बनाया जाए।
निजी सुरक्षा एजेंसी सबसे तेजी से बढ़ता हुआ सेवा क्षेत्र है। आंकड़ों के मुताबिक इन दिनों सेवा के क्षेत्र में 60 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिला हुआ है। इसमें समाज के ज्यादातर गरीब और वंचित क्षेत्र के लोग काम करते हैं। इस क्षेत्र हर साल 20 फीसदी की वृद्धि हो रही है और अगले कुछ वर्षों में यह एक करोड़ होने की संभावना की है।