Asset Allocation किसे कहते हैं? पोर्टफोलियो में रिस्क और रिटर्न को कैसे करता है यह बैलेंस
Asset Allocation के जरिए कोई इन्वेस्टर बाजार में हो रहे सभी घटनाक्रमों फायदा उठा सकता है। प्रत्येक इन्वेस्टर के लिए एसेट एलोकेशन अलग-अलग होता है। इसके पीछे की वजह हर इन्वेस्टर की जोखिम लेने की क्षमता भिन्न होना है।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। अगर आप इन्वेस्टर हैं तो एसेट एलोकेशन (Asset Allocation) के बारे में जानना आपके लिए बहुत जरूरी है।आसान शब्दों में कहें तो अपने पैसे को इक्विटी, गोल्ड, बांड या ऐसे दूसरे एसेट क्लास में अलग -अलग करना ही एसेट एलोकेशन है। एसेट एलोकेशन आपके पोर्टफोलियो में बहुत मायने रखता है।अच्छे एसेट एलोकेशन आपकी बेहतर से बेहतर कमाई कर सकता है। बता दें कि, यह रिस्क और रिटर्न, दोनों में बैलेंस बनाने में बहुत काम आता है। यह रिस्क को कम करता है और ज्यादा से ज्यादा रिटर्न दिलाने में मदद करता है।
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हालांकि, प्रत्येक इन्वेस्टर के लिए एसेट एलोकेशन अलग-अलग होगा, ये फॉर्मूला सभी इन्वेस्टर के लागू नहीं हो सकता है। यह इन्वेस्टर की उम्र, फाइनेंशियल लक्ष्य और रिस्क लेने की क्षमता समेत कई बातों को ध्यान में रखते हुए किया जाता है। लेकिन,आज के दौर में भी बहुत से इन्वेस्टर एसेट एलोकेशन नहीं करते हैं। बहुत से लोग स्टॉक मार्केट में तेजी देखकर अपना पूरा पैसा लगा देते है। इसी तरह गोल्ड में तेजी आने पर बहुत से लोग अपना पैसे को लगा देते है।
ऐसे करें एसेट एलोकेशन
बता दें कि एसेट एलोकेशन का कोई तय पैटर्न नहीं है होता है। हर इन्वेस्टर के लिए यह अलग-अलग तरीके से किया जाता है। साथ ही, एसेट अलोकेशन एक निवेशक के फाइनेंशियल लक्ष्य, इन्वेस्टमेंट टर्म, रिस्क लेने की क्षमता और लिक्विडिटी के आधार पर किया जाता है। उदाहरण के तौर पर अगर कोई इन्वेस्टर अधिक रिस्क उठा सकता है तो वह अपनी कुल इन्वेस्टमेंट योग्य कैपिटल में से 70% इक्विटी में, 20% एफडी में और 10% गोल्ड में लगा सकते है। कम से कम रिस्क क्षमता वाला इन्वेस्टर इस अनुपात को 40:40:20 रख सकते है। वहीं, अगर कोई इन्वेस्टर बिल्कुल भी रिस्क नहीं उठाना चाहता तो वह एफडी में 70%, इक्विटी में 20 % और गोल्ड में 10% का इन्वेस्टमेंट कर सकता है।
फांइनेंशियल लक्ष्य हासिल करने में एसेट एलोकेशन की महत्वपूर्ण भूमिका है। एक्सपर्ट के मुताबिक, साल में कम से कम दो बार अपने एसेट अलोकेशन की एनालिसिस करना बहुत जरूरी होता है। यदि किसी एसेट क्लास में 10% से ज्यादा का उतार-चढ़ाव होता है तो पोर्टफोलियो को बैलेंसिंग करनी चाहिए।
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