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    क्रिप्टोकरेंसी में करते हैं इन्वेस्टमेंट? ITR फॉर्म में हुए ये बदलाव चेक कर लें

    By Siddharth PriyadarshiEdited By: Siddharth Priyadarshi
    Updated: Tue, 21 Feb 2023 09:10 PM (IST)

    VDA के लिए बनाए गए इस नए शेड्यूल में आपको बताना होगा कि आपने वर्चुअल डिजिटल एसेट कब खरीदा है कब बेचा है। अगर आपने FY 2022-23 में VDA की खरीद-बिक्री से कमाई की है तो ये सारी जानकारियां आपको ITR भरने से पहले जमा करना होगा।

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    Invest in cryptocurrency Know changes in ITR form

    नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। Virtual Digital Asset यानी कि ऐसे ऐसेट जो डिजिटल फॉर्म में इस्तेमाल किए जाते हैं। ये ऐसेट्स इंडियन या फॉरेन करेंसी नहीं होते हैं। बल्कि डिजिटल फॉर्मेट इस्तेमाल किए जाते हैं। वर्तमान समय में VDA के सबसे बड़े उदाहरण हैं क्रिप्टोकरेंसी जैसे बिटकॉइन, इथीरियम आदि। दरअसल, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने क्रिप्टो और अन्य वर्चुअल डिजिटल एसेट (VDA) से कमाई करने वाले लोगों के लिए ITR फॉर्म में बदलाव किए हैं। 2022 के बजट में क्रिप्टोकरेंसी पर टैक्स लगाए जाने का ऐलान किया गया।

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    वहीं इस ऐलान के बाद सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स  यानी CBDT ने जब Assessment Year 2023-24  यानी FY 2022-23 के लिए नए फॉर्म जारी किए तो इन फॉर्म्स में वर्चुअल डिजिटल एसेट जैसे कि क्रिप्टोकरेंसी के लिए अलग से सेक्शन रखा गया है।

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    दरअसल, VDA के लिए बनाए गए इस नए शेड्यूल में आपको बताना होगा कि आपने वर्चुअल डिजिटल एसेट कब खरीदा है, कब बेचा है, परचेस कोस्ट क्या है और इसकी बिक्री से आपको कितना मुनाफा हुआ। ऐसे में अगर आपने FY 2022-23 में VDA की खरीद-बिक्री से कमाई की है तो ये सारी जानकारियां आपको ITR भरने से पहले जमा करना होगा। आपको बता दें कि VDA को इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 2(47) में रखा गया है और इसमें क्रिप्टोकरेंसी, नॉन फंजिबल एसेट और सरकार से नोटिफाई किए गए अन्य वर्चुअल डिजिटल एसेट आते हैं। सरकार ने पिछले साल के बजट में VDA पर टैक्स लगाने का ऐलान किया, जिसे देखते हुए FY 2022-23 के फॉर्म में ये बदलाव किए गए हैं। VDA के लिए लाए गए नए शेड्यूल से सारी जरूरी जानकारियां रहेगी।

    वैसे लोग जिनकी वर्चुअल डिजिटल एसेट से कमाई हुई होगी वो ITR 1 और ITR 4 का उपयोग नहीं कर पाएंगे।

    आइये जानते है कि किन फॉर्म्स में नहीं हुए बदलाव?

    ITR-1 और ITR-4 भरने वाले टैक्सपेयर्स के लिए कोई बदलाव नहीं किया गया है। आपको बता दें कि ITR-1 में ऐसे टैक्सपेयर्स आते हैं जिनकी सालाना कमाई 50 लाख रुपये तक है और उन्हें सैलरी, एक हाउस प्रॉपर्टी या किसी अन्य जरिए जैसे कि ब्याज से कमाई होती है। वहीं ITR-4 में ऐसे टैक्सपेयर्स को कवर किया जाता है लेकिन उन्हें इनकम टैक्स के सेक्शन 44AD, 44ADA या 44AE के तहत बिजनेस या प्रोफेशन से भी आय होती है।

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    लेखक- सुमित रजक