Maharashtra: हाईकोर्ट के आदेश के बाद छात्रा ने दी कॉलेज की परीक्षा, आपत्तिजनक पोस्ट मामले में गई थी जेल
Operation Sindoor महाराष्ट्र में हाईकोर्ट के आदेश के बाद आपत्तिजनक पोस्ट मामले में जेल गई 19 वर्षीय छात्रा ने कॉलेज की सेमेस्टर परीक्षा दी। कॉलेज ने उसके लिए विशेष व्यवस्था की। बांबे हाईकोर्ट ने उसे रिहा करने का आदेश दिया ताकि वह परीक्षा में शामिल हो सके। कोर्ट ने कॉलेज की आलोचना की क्योंकि उसे निष्कासित करने से पहले स्पष्टीकरण का मौका नहीं दिया गया।

पीटीआई, पुणे। हाल ही में भारत-पाकिस्तान संघर्ष के बारे में इंटरनेट मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट करने के कारण एक पखवाड़े से अधिक समय तक जेल में रहने वाली 19 वर्षीय छात्रा गुरुवार को अपने कॉलेज की सेमेस्टर परीक्षा में शामिल हुई।
इसके लिए उसके कॉलेज ने विशेष व्यवस्था की थी। बांबे हाईकोर्ट ने मंगलवार को उसे तत्काल रिहा करने का आदेश दिया था ताकि वह अपने कालेज की परीक्षाओं में बैठ सके। कोर्ट ने सिंहगढ़ एकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग की भी तीखी आलोचना की थी क्योंकि संस्थान ने उसे स्पष्टीकरण देने का मौका दिए बिना जल्दबाजी में उसे निष्कासित कर दिया था।
हाईकोर्ट ने दिया था आदेश
सिंहगढ़ एकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग के प्रिंसिपल किशोर पाटिल ने कहा, 'हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार, उसकी परीक्षा एक अलग कक्षा में आयोजित की गई।' बुधवार को कॉलेज के अधिकारियों ने कहा था कि सेमेस्टर पेपर देने के लिए उसके लिए अलग से व्यवस्था की जाएगी।
गौरतलब है कि सात मई को छात्रा ने इंस्टाग्राम पर 'रिफार्मिस्तान' नामक अकाउंट पर पोस्ट की गई सामग्री को री-पोस्ट कर दिया था। उस पोस्ट में पाकिस्तान के खिलाफ 'युद्ध भड़काने' के लिए भारत सरकार की आलोचना की गई थी। हालांकि, दो घंटे के भीतर उसे अपनी गलती का एहसास हुआ और धमकियां मिलने के बाद उसने पोस्ट को हटा दिया।
नौ मई को निष्कासन पत्र में कालेज ने कहा था कि चूंकि छात्रा ने संस्थान को बदनाम किया है, इसलिए संस्थान के लोकाचार को बनाए रखना उचित है। कॉलेज ने कहा था कि याचिकाकर्ता की भावनाएं राष्ट्र विरोधी हैं जो संस्थान और समाज के लिए खतरा पैदा करती हैं। इसके बाद छात्रा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद उसी दिन कोंढवा पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया था।
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