Maharashtra: गैर मुस्लिमों पर हमले की योजना बना रहे थे पुणे के आईएस माड्यूल के सदस्य, लोकतंत्र को 'हराम' बताते थे आतंकी
पुणे आईएस माड्यूल के सात सदस्यों के खिलाफ एनआईए द्वारा हाल ही में दायर आरोप पत्र से चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। इसमें कहा गया है कि इस आतंकी संगठन के सदस्य गैर-मुस्लिमों पर हमले की योजना बना रहे थे। ये लगातार विभिन्न तरीकों से गैर-मुस्लिमों को जान से मारने पर चर्चा कर रहे थे। इनका लक्ष्य मुस्लिम युवाओं को शिक्षा देकर देश में शरिया कानून स्थापित करना था।
मिड डे, मुंबई। पुणे आईएस माड्यूल के सात सदस्यों के खिलाफ एनआईए द्वारा हाल ही में दायर आरोप पत्र से चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। इसमें कहा गया है कि इस आतंकी संगठन के सदस्य गैर-मुस्लिमों पर हमले की योजना बना रहे थे। ये लगातार विभिन्न तरीकों से गैर-मुस्लिमों को जान से मारने पर चर्चा कर रहे थे।
आरोप पत्र के अनुसार, इनका लक्ष्य मुस्लिम युवाओं को शिक्षा देकर देश में शरिया कानून स्थापित करना था। उन्होंने मुस्लिमों के बीच यह धारणा बनाने की कोशिश की कि इस्लाम में लोकतंत्र 'हराम' है और केवल आईएस ही शरिया का पालन करता है। इसके अलावा उन्होंने सभी मुस्लिमों से आईएस का समर्थन करने का आह्वान किया था।
गवाहों ने आईएस सदस्यों की योजनाओं का पर्दाफाश किया
आरोप पत्र में कई गवाहों के बयान दर्ज हैं। इन गवाहों ने एनआईए द्वारा गिरफ्तार किए गए आतंकी संगठन आईएस के सदस्यों की योजनाओं का पर्दाफाश किया है। इन्हीं गवाहों में से एक ने एनआईए को बताया है कि उसे कुछ वाट्सएप ग्रुप में शामिल किया गया था। इन ग्रुपों पर हमेशा मुस्लिमों पर अत्याचार किए जाने की चर्चा कर समुदाय के लोगों को भड़काने का प्रयास किया जा रहा था।
खिलाफत, जिहाद और आईएस विषयों पर भड़काया
गवाह ने बताया है कि उसकी मुलाकात आरोपित सिमाब काजी से हुई थी। साल 2021 में उसका परिचय आरोपित जुल्फिकार अली बड़ौदावाला और अब्दुल कादिर पठान से भी हुआ। बेरोजगार होने के चलते वह उनके संपर्क में रहने लगा। गवाह ने दावा किया है कि शुरुआती मुलाकातों में इन लोगों से उसकी केवल सतही बात होती थी। कोई गंभीर बात नहीं होती थी। धीरे-धीरे जुल्फिकार, सिमाब काजी आदि ने खिलाफत, जिहाद और आईएस आदि विषयों पर चर्चा शुरू कर दी।
'शरिया कानून को भारत के संविधान से सर्वोच्च बताते थे'
उसने बताया कि कई बार उन्होंने आतंकी संगठन आईएस में शामिल होने के लिए न सिर्फ प्रेरित किया बल्कि इसके लिए दबाव भी बनाया। यही नहीं, वे शरिया कानून को भारत के संविधान से सर्वोच्च बताते थे। इसके साथ ही वे यह भी कहते थे कि सीरिया में आईएस इसका अनुसरण कर रहा है।
'घर से निकलना मुस्लिम महिलाओं के लिए हराम'
उन्होंने यह भी समझाने का प्रयास किया कि किसी भी तरह के चुनाव में वोट डालना इस्लाम के खिलाफ है। उन्होंने यह भी प्रचारित करने का प्रयास किया कि घर से बाहर निकलना मुस्लिम महिलाओं के लिए हराम है। गवाह ने बताया है कि जुल्फिकार ने आईएस के दूसरे सदस्यों को काफिरों की हत्या करने के लिए भी प्रेरित किया।