'शिवाजी ने अपने पराक्रम से पराजय की परंपरा को ध्वस्त किया', मोहन भागवत ने औरंगजेब को लेकर कही ये बात
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि महान मराठा राजा छत्रपति शिवाजी महाराज सदियों से भारत में आक्रमणकारियों से लगातार युद्ध हारने का समाधान बनकर उभरे। बुधवार को नागपुर में एक पुस्तक विमोचन समारोह के दौरान उन्होंने कहा कि विदेशी आक्रमणकारियों से युद्ध हारने की परंपरा सिकंदर के समय से चली आ रही थी और यह इस्लाम फैलाने की आड़ में बड़े हमलों के साथ जारी रही।
पीटीआई, नागपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि महान मराठा राजा छत्रपति शिवाजी महाराज सदियों से भारत में आक्रमणकारियों से लगातार युद्ध हारने का समाधान बनकर उभरे।
इस्लाम फैलाने की आड़ में हुए बड़े हमले
बुधवार को नागपुर में एक पुस्तक विमोचन समारोह के दौरान उन्होंने कहा कि विदेशी आक्रमणकारियों से युद्ध हारने की परंपरा सिकंदर के समय से चली आ रही थी और यह इस्लाम फैलाने की आड़ में बड़े हमलों के साथ जारी रही।
भागवत ने कहा, ''युद्ध हारने और व्यवस्थाओं के विनाश को देखने की यह परंपरा सदियों तक जारी रही..इसका कोई समाधान नहीं निकला। यहां तक कि विजयनगर साम्राज्य या राजस्थान के नेताओं द्वारा भी नहीं।''
आक्रमणों का मजबूत जवाब देने वाले पहले योद्धा थे शिवाजी
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि 17वीं शताब्दी में मराठा साम्राज्य की स्थापना करने वाले शिवाजी महाराज ऐसे आक्रमणों का मजबूत जवाब देने वाले पहले योद्धा थे। उन्होंने कहा कि शिवाजी महाराज पहले व्यक्ति थे जिन्होंने ऐसे आक्रमणों का सशक्त समाधान दिया।
संघ प्रमुख ने कहा, ''विदेशी आक्रमणकारियों से लगातार परास्त होने का दौर शिवाजी महाराज के उदय के साथ ही समाप्त हो गया क्योंकि उन्होंने अपने पराक्रम से इन समस्याओं का समाधान पेश किया।''
शिवाजी महाराज को 'युगपुरुष' कहा जाता है
भागवत ने कहा कि शिवाजी महाराज को 'युगपुरुष' कहा जाता है क्योंकि उन्होंने देश में आक्रमणों के चक्र को रोका, जिनमें मुगल आक्रमण भी शामिल था।उन्होंने उस घटना का भी स्मरण किया कि कैसे शिवाजी महाराज आगरा से भाग निकले, जहां उन्हें मुगल शासक औरंगजेब ने कैद कर रखा था। वहां से सुरक्षित फरार होने के कारण ही उन्होंने सफलतापूर्वक उन क्षेत्रों पर फिर से कब्जा किया जो उन्होंने शांति समझौते में देने पर सहमति जताई थी।
शिवाजी ने आक्रमणकारियों का अंत किया
भागवत ने कहा, ''शिवाजी ने शांति समझौते में जो कुछ भी देने पर सहमति जताई थी, उसे उन्होंने वापस जीत लिया और खुद को छत्रपति शिवाजी महाराज के रूप में स्थापित किया और इसके साथ ही देश में ऐसे आक्रमणकारियों का अंत हो गया।''
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।