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Navratri 2022: आदिशक्ति मां दुर्गा क्‍यों करती हैं शेर की सवारी, इससे जुड़ा है रोचक किस्‍सा

Durga Puja 2022 नवरात्र (Navratri 2022) के नौ दिन हर घर में मां दुर्गा की पूजा की जाती है। शेर उनका वाहन होने के कारण मां दुर्गा को शेरोवाली भी कहा जाता है। क्‍या आप जानते हैं कि वाहन के रूप में उन्‍होंने शेर ही क्‍यों चुना। पढ़ें पौराणिक कथा...

By Babita KashyapEdited By: Published: Tue, 27 Sep 2022 12:28 PM (IST)Updated: Tue, 27 Sep 2022 12:28 PM (IST)
Navratri 2022: शेर पर सवार होने के कारण ही मां का नाम शेरोवाली पड़ा है

मुंबई, जागरण आनलाइन डेस्‍क। नवरात्र (Navratri 2022) में हर घर में मां दुर्गा (Maa Durga) का वास होता है। भक्त उपवास रखते हैं और बड़ी भक्ति के साथ मां दुर्गा की पूजा करते हैं। इस बार शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) 26 सितंबर से शुरू हुए हैं जो 4 अक्‍टूबर तक हैं। इन नौ दिनों में मां के नौ रूपों की पूजा की जाती है। दुर्गा मां के प्रत्येक रूप की एक विशिष्ट महिमा होती है।

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क्‍यों शेर बना मां का वाहन

मां दुर्गा के सभी रूपों के वाहन अलग-अलग हैं, लेकिन अपने मूल रूप में मां आदिशक्ति दुर्गा हमेशा शेर की सवारी करती हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि शेर कैसे मां दुर्गा का वाहन बन गया। तो आइए जानते हैं नवरात्रि के इस पावन अवसर पर आइए जानते हैं कि कैसे मां दुर्गा ने शेर को अपना वाहन बनाया था।

भगवान शिव के मजाक से नाराज हो गई थी मां

मां दुर्गा के वाहन सिंह के बारे में पौराणिक कथा के अनुसार, मां पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कई वर्षों तक कठोर तपस्या की थी। एक दिन कैलाश पर माता पार्वती और भगवान शिव हंसी-मजाक

कर रहे थे, तभी भगवान शिव ने माता पार्वती को काली कहा, जिससे नाराज होकर वह कैलाश पर्वत को छोड़कर तपस्या करने चली गईं। जब मां तपस्या में लीन थीं, तो उन्‍हें देखकर एक शेर वहीं बैठ उनका इंतजार करने लगा।

मां के इंतजार में वर्षों तक बैठा रहा शेर

शेर माता पार्वती को अपना भोजन बनाने के लिए तपस्या पूरी होने का इंतजार करने लगा। इस तरह काफी बीत गया और शेर वहीं बैठा रहा। जब माता पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए और माता

पार्वती की तपस्या पूरी हुई, तो उन्होंने देखा कि शेर भी उनके साथ भूखे प्यासे इतने दिनों से तपस्या में बैठा था। लंबे समय तक मां दुर्गा का ध्यान करने के बाद भूखे-प्यासे बैठे रहने के कारण मां ने इसे सिंह की तपस्या और पूजा माना।

शेर की तपस्‍या से प्रसन्‍न हुईं मां दुर्गा

शेर की इस कठिन तप से खुश हो माता ने उसे अपनी सेवा में लिया और सिंह को अपना वाहन बनाया। मां शेर की सवारी करती हैं इसलिए उन्‍हें शेरोवाली कहा जाता है। देवी दुर्गा शक्ति, तेज और शक्ति की प्रतीक हैं। उनकी शक्ति से मुकाबला करने का सामर्थ्‍य किसी में भी नहीं है।

शेर में आक्रामकता, ताकत और बहादुरी होती है। उसकी दहाड़ के आगे हर आवाज कमजोर लगती है। इसलिए कहा जा सकता है कि शेर में मां दुर्गा का वाहन बनने के लिए पर्याप्त गुण हैं।

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