Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बूंद-बूंद के लिए तरस रहे लोग, भारत के ग्रामीण इलाकों में दिख रहा क्लाइमेट चेंज का असर; कई जगहों पर पड़ रहा सूखा

    Updated: Thu, 13 Jun 2024 12:27 PM (IST)

    Water Crisis क्लाइमेट चेंज के कारण पूरे देश में लोगों को भीषण गर्मी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं कई जगहों पर पानी की भारी समस्या भी हो रही है। मुंबई से दूर एक गांव के ग्रामीणों को भी पानी के लिए 100 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। कई बार ग्रामीण पानी के लिए 5 से 6 चक्कर लगाते हैं।

    Hero Image
    भारत के ग्रामीण इलाकों में दिख रहा क्लाइमेट चेंज का असर, पड़ रहा भयंकर सूखा (फाइल फोटो)

    एएफपी, नवीनवाड़ी (महाराष्ट्र)। भारत की वित्तीय राजधानी मुम्बई की चमचमाती ऊंची इमारतों से दूर, महानगर को पानी की आपूर्ति करने वाले क्षेत्रों के गरीब गांव सूखे पड़े हैं। यहां रहने वाले लोगों को पानी की भारी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीणों को अपने गांवों से मिलों दूर जाकर पानी लाना पड़ता है। क्लाइमेट चेंज और भीषण गर्मी के कारण पानी के स्त्रोत भी सूख रहे हैं। 

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पानी को लेकर यह संकट पूरे देश में दोहराया जा रहा है, जिसके बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि यह भयावह समस्याओं का पूर्वाभास कराता है।

    सुनीता पांडुरंग सतगीर ने बदबूदार पानी से भरा एक भारी धातु का बर्तन अपने सिर पर उठाते हुए कहा, मुंबई के लोग हमारा पानी पीते हैं लेकिन सरकार सहित कोई भी हमारी ओर या हमारी मांगों पर ध्यान नहीं देता है।

    विश्व के सबसे अधिक जनसंख्या वाले 1.4 अरब देश में पानी की मांग बढ़ रही है, लेकिन आपूर्ति कम होती जा रही है। वहीं, जलवायु परिवर्तन के कारण अनियमित वर्षा और अत्यधिक गर्मी भी पड़ रही है।

    मुंबई के लिए बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे में नहरों और पाइपलाइनों से जुड़े जलाशय शामिल हैं जो 100 किलोमीटर (60 मील) दूर से पानी लाते हैं। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि बुनियादी नियोजन की विफलता का मतलब है कि नेटवर्क अक्सर क्षेत्र के सैकड़ों ग्रामीण गांवों और कई आस-पास के जिलों से जुड़ा नहीं होता है।

    इसके बजाय, वे पारंपरिक कुओं पर निर्भर हैं। लेकिन मांग सीमित संसाधनों से कहीं ज्यादा है और भूजल स्तर गिर रहा है।

    सतगीर ने कहा, हमारा हर दिन और हमारा पूरा जीवन सिर्फ पानी इकट्ठा करने, एक बार इकट्ठा करने और बार-बार इकट्ठा करने के बारे में सोचने के इर्द-गिर्द ही घूमता रहता है।

    हम प्रतिदिन पानी के लिए चार से छह चक्कर लगाते हैं... हमारे पास किसी और काम के लिए समय ही नहीं बचता है।

    हीटवेव और सूखे हुए कुएं

    जलवायु परिवर्तन मौसम के पैटर्न को लगातार बदल रहा है, जिससे लंबे समय तक चलने वाला और बहुत ज्यादा सूखा पड़ रहा है। अत्यधिक गर्मी में कुएं जल्दी सूख जाते हैं।

    पानी को लेकर हो रही मारामारी के बीच 35 वर्षीय सतगीर ने बताया कि भीषण गर्मी में वह पानी लाने में प्रतिदिन छह घंटे तक का समय लगा देती हैं।

    उन्होंने कहा, इस साल तापमान 45 डिग्री सेल्सियस (113 फॉरेनहाइट) से भी ज्यादा बढ़ गया है। जब कुआं सूख जाता है, तो गांव को सप्ताह में दो या तीन बार अनियमित आपूर्ति वाले सरकारी टैंकर पर निर्भर रहना पड़ता है।

    यह (सरकारी टैंकर) उस नदी से अनुपचारित पानी (untreated water) लेकर आते हैं जहां लोग नहाते हैं और जानवर चरते हैं।

    सतगीर का घर, कृषि प्रधान शहर शाहपुर के पास, धूल भरे गांव नवीनवाड़ी में है, जो मुंबई की व्यस्त सड़कों से लगभग 100 किलोमीटर दूर है।

    स्थानीय सरकारी अधिकारियों का कहना है कि यह क्षेत्र मुंबई को लगभग 60 प्रतिशत पानी की आपूर्ति करने वाले प्रमुख जलाशयों का स्रोत भी है।

    मुंबई भारत का दूसरा सबसे बड़ा और तेजी से विस्तार करने वाला शहर है, जिसकी अनुमानित आबादी 22 मिलियन है।

    सतगीर ने कहा कि हमारे आस-पास का सारा पानी बड़े शहर के लोगों के पास जाता है और हमारे लिए कुछ भी नहीं बदला है।

    उन्होंने कहा, हमारी तीन पीढ़ियाँ उस एक कुएँ से जुड़ी हुई हैं। यह हमारे लिए पानी का एकमात्र स्रोत है।

    26 वर्षीय उप ग्राम प्रधान रूपाली भास्कर सदगीर ने बताया कि गांव के लोग अक्सर पानी के कारण बीमार हो जाते हैं। लेकिन यह उनके लिए एकमात्र विकल्प है।

    उन्होंने कहा, हम कई सालों से सरकारों से अनुरोध कर रहे हैं कि वे यह सुनिश्चित करें कि बांधों में उपलब्ध पानी हम तक भी पहुंचे। लेकिन स्थिति और खराब होती जा रही है।

    राज्य स्तर पर तथा नई दिल्ली में सरकारी अधिकारियों का कहना है कि वे इस समस्या से निपटने के लिए प्रतिबद्ध हैं और उन्होंने जल संकट से निपटने के लिए बार-बार योजनाओं की घोषणा की है।

    लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि वे अभी तक उन तक नहीं पहुंचे हैं।

    2030 तक मीठे पानी में आएगी 40% की कमी 

    भारत के सरकारी नीति आयोग सार्वजनिक नीति केंद्र ने जुलाई 2023 की रिपोर्ट में अनुमान लगाया है कि 2030 तक मीठे पानी की उपलब्धता में लगभग 40 प्रतिशत की भारी गिरावट आएगी।

    इसमें बढ़ती जल कमी, घटते भूजल स्तर और संसाधनों की गुणवत्ता में गिरावट की भी चेतावनी दी गई है।

    इसमें कहा गया है कि भूजल संसाधन "अस्थायी दरों पर समाप्त हो रहे हैं", तथा यह भी कहा गया है कि कुल जल आपूर्ति में इनका हिस्सा लगभग 40 प्रतिशत है।

    दिल्ली स्थित जल अधिकार अभियान समूह, साउथ एशिया नेटवर्क ऑन डैम्स, रिवर्स एंड पीपल के हिमांशु ठक्कर ने कहा कि यह कहानी पूरे भारत में दोहराई जाती है।

    ठक्कर ने कहा कि यह देश भर में होने वाली घटनाओं की एक सामान्य घटना है और उन्होंने यह भी कहा कि यह भारत में बांध बनाने की राजनीतिक अर्थव्यवस्था में गड़बड़ी को दिखाता है।

    उन्होंने कहा, जबकि परियोजनाओं की योजना और औचित्य सूखाग्रस्त क्षेत्रों और वहां के लोगों के नाम पर बनाया जाता है, उनमें से अधिकांश केवल दूरवर्ती शहरी क्षेत्रों और उद्योगों के लिए ही उपयोगी साबित होती हैं।

    नवीनवाड़ी गांव में, निवासियों को सख्त राशन वाली आपूर्ति पर जीने के लिए मजबूर होना पड़ा है। जब पानी का टैंकर आता है, तो दर्जनों महिलाएं और बच्चे बर्तन, तवे और बाल्टियाँ लेकर बाहर निकल पड़ते हैं।

    50 वर्षीय दिहाड़ी मजदूर संतोष त्रंबख ढोनर ने बताया कि उस दिन उन्हें काम नहीं मिला था, इसलिए वे इस भागदौड़ में शामिल हो गए।

    उन्होंने कहा, ज्यादा हाथ होने का मतलब है घर में ज्यादा पानी आना।

    25 वर्षीय गणेश वाघे ने कहा कि निवासियों ने शिकायत की और विरोध किया, लेकिन कुछ नहीं किया गया।

    वाघे आगे कहते हैं कि हम किसी भी तरह की बड़ी इच्छा के साथ नहीं जी रहे हैं। हमें बस अगली सुबह पानी मिलने की उम्मीद रहती है।

    यह भी पढ़ें- Mumbai Ice Cream Case: आइसक्रीम के कोन में मिली कटी उंगली, ऑनलाइन ऑर्डर मिलने के बाद हड़कंप; देखते ही महिला पहुंची थाने

    यह भी पढ़ें- Kuwait Fire Incident: 'वहां पहुंचने पर ही स्थिति हो पाएगी साफ': राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह आग त्रासदी के बाद कुवैत हुए रवाना

    comedy show banner
    comedy show banner