टोरेस घोटाला: निवेशकों को बेचे गए नकली हीरे और रत्न, 11 विदेशी नागरिक फरार; लुकआउट नोटिस जारी
टोरेस निवेश घोटाले की जांच कर रही आर्थिक अपराध शाखा ने बताया कि निवेशकों को बेचे गए हीरे और रत्न नकली थे। अधिकारियों ने कहा कि पांच सौ से एक हजार मूल्य के पत्थरों को रत्न बताकर बेचा गया था। इस मामले में गिरफ्तार तानिया खतासोवा समेत तीन आरोपितों को अदालत में पेश किया गया। अब हिरासत की अवधि को 18 जनवरी तक के लिए बढ़ा दिया गया है।

जेएनएन, मुंबई। हजारों निवेशकों को ठगने वाले टोरेस निवेश घोटाले की जांच कर रही आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने अदालत को बताया है कि निवेशकों को बेचे गए हीरे और रत्न नकली थे। जांच एजेंसी के अधिकारियों ने बताया कि पांच सौ से एक हजार रुपये मूल्य के पत्थरों को मूल्यवान रत्न बताकर अत्याधिक कीमतों पर बेचा गया।
इनकी जांच रिपोर्ट में यह साफ हो गया है जबकि सोने के आभूषणों की विस्तृत रिपोर्ट अभी आनी है। अधिकांश पीड़ित मुख्य रूप से निम्न मध्यम वर्ग से हैं। उन्हें वेबसाइट ग्रा-जेम्स डाट काम पर प्रदर्शित प्रमाणपत्र दिखाकर ठगा गया। इस वेबसाइट को यूक्रेनी ठगों द्वारा बनाया गया था।
तीन आरोपितों को अदालत में पेश किया गया
मामले में गिरफ्तार तानिया खतासोवा, वैलेंटिना कुमारी समेत तीन आरोपितों को अदालत में पेश किया गया। कोर्ट ने उनकी पुलिस हिरासत की अवधि को 18 जनवरी तक के लिए बढ़ा दिया है। ईओडब्ल्यू ने पाया है कि यह घोटाला यूक्रेनियों द्वारा चलाई गई एक सुनियोजित पोंजी स्कीम थी, जिसका मुख्य लक्ष्य भारतीय निम्न मध्यम वर्ग था जो कि 40,000 से 50,000 रुपये के बीच निवेश कर सकते थे।
वेबसाइट के माध्यम से बेचा पत्थर
ठगों ने एक वेबसाइट बनाई, जिसमें बेचे जा रहे रत्नों का विवरण और ग्राहकों को दिए गए प्रमाणपत्र प्रदर्शित किए गए थे। प्रत्येक प्रमाणपत्र में एक यूनिक नंबर होता था, जिसे स्मार्ट कार्ड का उपयोग करके स्कैन किया जा सकता था ताकि खरीदारों को आश्वस्त किया जा सके। प्रत्येक ग्राहक को स्कैनर कोड के साथ स्मार्ट कार्ड दिए गए थे। इसके जरिये ग्राहक अपने पत्थर की जांच कर सकते थे।
11 विदेशी नागरिक फरार
ईओडब्ल्यू के एक अधिकारी ने बताया कि वास्तव में रत्नों और हीरों की प्रामाणिकता अंतरराष्ट्रीय संगठनों जैसे जीआईए और आईजीआई द्वारा प्रमाणित की जाती है। ईओडब्ल्यू के अनुसार, ठगी के मामले में शामिल 11 विदेशी नागरिक वर्तमान में फरार हैं और उनके खिलाफ लुक आउट सर्कुलर (एलओसी) जारी किए गए हैं।
हालांकि उनमें से अधिकांश पहले ही देश छोड़ चुके हैं। ओलेना स्टोइन इस घोटाला का मास्टरमाइंड है। ठगों ने इस पूरी जालसाजी की बारीकी से साजिश रची थी और उन्हें दिसंबर के अंत तक देश छोड़ना था। जो लोग भाग गए हैं, उनके वीजा अगले कुछ समय में वैसे भी समाप्त होने वाले थे।

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