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    मशहूर लेखक के घर में की चोरी, जब पता चला तो चोर ने लौटाया सामान; माफी मांगते हुए लिखा इमोशनल नोट

    Updated: Wed, 17 Jul 2024 03:25 PM (IST)

    चोरी का एक ऐसा मामला जिसमें चोर साहित्य प्रेमी निकला। जी हां आपने बिल्कुल सही सुना है मुंबई में एक ऐसा ही अजीबोगरीब मामला सामने आया जिसमें चोर को जब पता चला की जहां उसने चोरी की है वह उसके पसंदीदा कवि का घर है उसके बाद चोर ने चुराया हुआ सारा सामान वापस लौटा दिया। वहीं चोर ने अपने गलत काम के लिए कवि से माफी भी मांगी।

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    प्रसिद्ध मराठी लेखक नारायण सुर्वे के घर चोर ने की चोरी (फोटो- ऑनलाइन)

    ऑनलाइन डेस्क, मुंबई। मुंबई में एक साहित्य प्रेमी चोर के द्वारा चोरी का एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। चोर ने एक प्रसिद्ध कवि के घर से समाना चुराया और जब उसको पता चला कि जिस घर में वह चोरी किया है, वह घर एक प्रसिद्ध मराठी लेखक का है तो चोर को बहुत पछतावा हुआ। चोर ने चोरी का सारा कीमती सामान लौटा दिया।

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    पुलिस ने मंगलवार को बताया कि एक चोर को उस समय पश्चाताप हुआ जब उसे पता चला कि जिस घर से उसने कीमती सामान चुराया था वह एक प्रसिद्ध मराठी लेखक नारायण सुर्वे का है और उसने अपना कीमती सामान लौटा दिया। पुलिस ने बताया कि जिस घर से चोर ने LED टीवी समेत कीमती सामान चुराया है वह नारायण सुर्वे का था और यह रायगढ़ जिले के नेरल में स्थित है।

    चोर को चोरी करने पर हुआ पछतावा

    चोर यहीं नहीं रुका जब वह अगले दिन चोरी करने के मकसद से कुछ और सामान चुराने आया तो उसने एक कमरे में नारायण सुर्वे की तस्वीर और उनसे जुड़ी यादगार चीजें देखीं। तब चोर को पता चला कि यह मशहूर कवि का घर है। इसके बाद चोर को पछतावा हुआ और उसने जो भी सामान चुराया था, उसे वापस लौटा दिया।

    चोर ने नोट लिखकर बोला SORRY

    कवि के मौत के बाद उनकी बेटी सुजाता और उनके पति गणेश घारे अब इस घर में रहते हैं। वह अपने बेटे के पास विरार गए थे और उनका घर 10 दिनों से बंद था। नेरल पुलिस थाने के निरीक्षक शिवाजी धवले ने बताया कि सुजाता और उनके पति जब रविवार को विरार से लौटे तो उन्हें चोर का माफी वाला यह ‘नोट’ मिला।

    84 साल के उम्र में प्रसिद्ध कवि सुर्वे का हुआ था निधन 

    सुर्वे एक प्रसिद्ध कवि थे जिनका 16 अगस्त, 2010 को 84 वर्ष की आयु में निधन हो गया। सुर्वे एक प्रसिद्ध मराठी कवि का साथ-साथ एक सामाजिक कार्यकर्ता थे। मुंबई में जन्मे सुर्वे की कविताओं में शहरी मजदूर वर्ग के संघर्षों को स्पष्ट रूप से दर्शाया गया है।

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