'टेक्नोलॉजी और परंपरा को साथ-साथ चलना चाहिए', Waves Summit 2025 में बोले विदेश मंत्री एस जयशंकर
विदेश मंत्री एस.जयशंकर आज वर्ल्ड आडियो विजुअल एंड एंटरटेनमेंट समिट (वेव्स) 2025 में सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव के साथ एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने मजबूत रचनात्मकता में योगदान देने के लिए प्रतिभाओं की स्वतःस्फूर्त सक्रियता की जरूरत पर भी जोर दिया। जयशंकर ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता के युग की अपार संभावनाओं पर भी प्रकाश डाला और कहा कि प्रौद्योगिकी और परंपरा को साथ-साथ चलना चाहिए।
राज्य ब्यूरो, मुंबई। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि अतीत में उपनिवेशवाद और बड़ी शक्तियों के प्रभुत्व के कारण बहुलतावाद को दबा दिया गया। अब विश्व व्यवस्था को लोकतांत्रिक बनाने के प्रयासों के बीच परंपराओं, विरासत और विचारों को आवाज देना आवश्यक है।
प्रौद्योगिकी और परंपरा को साथ-साथ चलना चाहिए: जयशंकर
एस.जयशंकर आज वर्ल्ड आडियो विजुअल एंड एंटरटेनमेंट समिट (वेव्स) 2025 में सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव के साथ एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने मजबूत रचनात्मकता में योगदान देने के लिए प्रतिभाओं की स्वतःस्फूर्त सक्रियता की जरूरत पर भी जोर दिया। जयशंकर ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के युग की अपार संभावनाओं पर भी प्रकाश डाला और कहा कि प्रौद्योगिकी और परंपरा को साथ-साथ चलना चाहिए।
एआई के बढ़ते प्रभाव के बीच विदेश मंत्री ने आगाह किया कि उभरती प्रौद्योगिकियों का गैर-जिम्मेदाराना उपयोग बढ़ती चिंता का विषय होगा और पूर्वाग्रह को कम करना, विषय-वस्तु का लोकतंत्रीकरण करना तथा इसकी नैतिकता को प्राथमिकता देना, ये सभी उभरते विमर्श का हिस्सा होंगे। जयशंकर ने लगभग 60 देशों के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा कि सच्चाई यह है कि विश्व मूलतः आंतरिक रूप से विविधतापूर्ण है।
अतीत में उपनिवेशवाद और बड़ी शक्तियों के प्रभुत्व द्वारा बहुलतावाद को दबा दिया गया है। अब जब हम अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली का लोकतंत्रीकरण करना चाहते हैं, तो केवल राजनीतिक और आर्थिक स्वतंत्रता का दावा करना ही पर्याप्त नहीं है। यह भी उतना ही आवश्यक है कि हम अपनी परंपराओं, अपनी विरासत, विचारों, प्रथाओं और अपनी रचनात्मकता को आवाज दें।
आधुनिकता अतीत की अस्वीकृति नहीं है: विदेश मंत्री
जयशंकर ने कहा कि दुनिया में कई आवाजें, कई अनुभव और कई सत्य हैं, और हर किसी को अपनी बात कहने का अधिकार है और ऐसा करने में उन्हें सुविधा दी जानी चाहिए।
विदेश मंत्री ने अभिव्यक्ति के अधिकार को सुगम बनाने के लिए प्रौद्योगिकी की शक्ति का अधिक प्रभावी ढंग से उपयोग करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इसके प्रयोग और विकास में हमें इस विश्वास से काम करना चाहिए कि आधुनिकता अतीत की अस्वीकृति नहीं है, बल्कि मानवीय उपलब्धियों पर आधारित एक निरंतर खोज है। इस कारण से प्रौद्योगिकी और परंपरा को साथ-साथ चलना चाहिए।
प्रौद्योगिकी विशाल विरासत के बारे में जागरूकता को मजबूत कर सकती है और इसके बारे में विशेष रूप से युवा पीढ़ी की चेतना को और गहरा कर सकती है। जयशंकर ने इस बात पर भी जोर दिया कि ऐसे युग में जहां सूचना का प्रवाह अत्यधिक है, युवा प्रतिभाओं का ध्यान कैसे आकर्षित किया जाए। जयशंकर ने कहा कि एआई का युग कल्पना से परे संभावनाओं से भरा है और इतने बड़े क्षेत्र में इतने गहरे बदलावों की कभी कल्पना नहीं की गई थी।
उन्होंने कहा कि प्रत्येक प्रगति के साथ कुछ समस्याएं भी आती हैं और एआई भी इससे अलग नहीं है। उनके अनुसार उभरती प्रौद्योगिकियों का जिम्मेदारी से उपयोग एक बड़ी चिंता है। पूर्वाग्रह को कम करना, विषय-वस्तु का लोकतंत्रीकरण करना और इसकी नैतिकता को प्राथमिकता देना,ये सभी उभरते विमर्श का हिस्सा हैं।
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