भीमा-कोरेगांव मामला: नवलखा की याचिका पर SC का NIA और महाराष्ट्र सरकार को नोटिस, घर में नजरबंद रखने का दिया आदेश
भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में जेल में बंद कार्यकर्ता गौतम नवलखा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने एनआइए और राज्य सरकार को आदेश दिया है कि उन्हें जेल के बजाय घर में नजरबंद रखें क्योंकि ल जेल में कई बुनियादी सुविधाओं की कमी है।
मुंबई, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) और महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) को नोटिस जारी करते हुए कहा है कि भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले (Bhima-Koregaon Violence case) में जेल में बंद कार्यकर्ता गौतम नवलखा (Gautam Navlakha) को न्यायिक हिरासत के बजाय घर में नजरबंद (House Arrest) रखा जाए। मालूम हो कि नवलखा इन दिनों तलोज कारागार में बंद हैं। न्यायमूर्ति केएम जोसेफ और ऋषिकेश रॉय की पीठ ने इस संदर्भ में एनआइए और राज्य सरकार से जवाब मांगते हुए मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख 29 सितंबर की तय की है।
पीठ ने अपने आदेश में कहा कि 70 वर्षीय कार्यकर्ता को स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें हैं। उन्हें न्यायिक हिरासत में रखने के बजाय घर में नजरबंद रखा जाए। गौरतलब है कि नवलखा ने जेल में चिकित्सा और अन्य बुनियादी सुविधाओं की पर्याप्त कमी की आशंकाओं को लेकर बंबई हाइकोर्ट (Bombay High Court) में याचिका दायर कर अपील की थी कि उन्हें जेल के बजाय घर में नजरबंद रखा जाए, लेकिन कोर्ट ने 26 अप्रैल को अपना फैसला सुनाते हुए इसे ठुकरा दिया था। इसके बाद नवलखा ने इस आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रूख किया था।
सुनवाई के दौरान पीठ ने नवलखा को जिस अपराध के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया है, उसकी प्रकृति के बारे में जानना चाहा, तो उनके वकील ने बताया कि उन पर गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम के तहत आने वाले अपराध के आरोप हैं, लेकिन इनमें से एक भी उनके खिलाफ साबित नहीं हो पाया है।
वकील ने पीठ को आगे बताया कि उनके मुवक्किल को मुंबई में, जहां उनकी दो बहनें रहती हैं या दिल्ली में नजरबंद रखा जा सकता है। इधर, दूसरी तरफ हाइकोर्ट को चिकित्सा सुविधा और अन्य बुनियादी सुविधाओं की कमी को लेकर नवलखा की आशंकाएं बेबुनियाद लगी।
क्या है भीमा-कोरेगांव मामला
यह मामला साल 2017 में पुणे में एल्गार परिषद के आयोजित कार्यक्रम में कथित भड़काऊ भाषणों से संबंधित है जिस कारण कोरेगांव-भीमा में हिंसा भड़की थी। पुलिस का यह भी दावा रहा है कि कार्यक्रम के आयोजकों का माओवादियों से संबंध हैं।
भीमा-कोरेगांव हिंसाः 10 प्वाइंट्स में पढ़ें पूरा मामला कब क्या हुआ