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    Bombay High Court का नाम बदलने की पूर्व जज की मांग सुप्रीम कोर्ट से खारिज

    By AgencyEdited By: Sachin Kumar Mishra
    Updated: Thu, 03 Nov 2022 04:11 PM (IST)

    Bombay High Court सुप्रीम कोर्ट ने बांबे हाई कोर्ट का नाम बदलकर महाराष्ट्र हाई कोर्ट करने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है। न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने एक पूर्व न्यायाधीश द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया है।

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    सुप्रीम कोर्ट ने बांबे हाई कोर्ट का नाम बदलने की मांग वाली याचिका खारिज की। फाइल फोटो

    नई दिल्ली, एजेंसी। Bombay High Court: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बांबे हाई कोर्ट (Bombay High Court) का नाम बदलकर महाराष्ट्र हाई कोर्ट (Maharashtra High Court) करने की मांग वाली याचिका वीरवार को खारिज कर दी है। न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने एक पूर्व न्यायाधीश द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया है। पीठ ने कहा कि ये कानून निर्माताओं को तय करने के लिए मुद्दे हैं। इसे यहां लाने के लिए आपके लिए किस मौलिक अधिकार का पूर्वाग्रह है।

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    ठाणे के पूर्व जज ने दायर की थी याचिका

    प्रेट्र के मुताबिक, ठाणे के वीपी पाटिल ने यह याचिका दायर की थी। उन्होंने 26 वर्षों तक न्यायाधीश के रूप में कार्य किया था। उन्होंने अधिकारियों को महाराष्ट्र अनुकूलन कानून (राज्य और समवर्ती विषय) आदेश के एक खंड के कार्यान्वयन के लिए प्रभावी कदम उठाने का निर्देश देने की भी मांग की थी। पाटिल ने कहा कि अन्य राज्यों के संबंधित अधिकारियों को भी निर्देश दिया जाना चाहिए कि वे अपने हाई कोर्ट के नाम उन राज्यों के नाम के अनुसार बदलें, जहां वे स्थित हैं। उन्होंने कहा कि 'महाराष्ट्र' शब्द का उच्चारण महाराष्ट्रियन के जीवन में विशेष महत्व को दर्शाता है। इसके उपयोग को हाई कोर्ट के नाम पर भी अभिव्यक्ति मिलनी चाहिए।

    पुलिस थाने के अंदर वीडियो शूट करना अपराध नहीं

    बांबे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने गत दिनों कहा था कि आधिकारिक गोपनीयता कानून के तहत पुलिस थाना प्रतिबंधित जगह के रूप में शामिल नहीं है, इसलिए पुलिस थाने के अंदर वीडियो शूट करना अपराध नहीं हो सकता है। इस साल जुलाई में जस्टिस मनीष पिटाले व वाल्मीकि मेनेजेस की खंडपीठ ने मार्च, 2018 में एक पुलिस स्टेशन के अंदर एक वीडियो रिकार्ड करने के लिए आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम  के तहत एक रवींद्र उपाध्याय के खिलाफ दर्ज मामले को खारिज कर दिया है। पीठ ने अपने आदेश में निषिद्ध स्थानों पर जासूसी से संबंधित ओएसए की धारा 3 और धारा 2 (8) का उल्लेख किया व कहा कि अधिनियम में एक पुलिस स्टेशन को विशेष रूप से निषिद्ध स्थान के रूप में वर्णित नहीं किया गया।

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