नासिक में लगेगा अगला कुंभ, तैयारियों में जुटी फडणवीस सरकार; महाकुंभ की तर्ज बनेगा मेला प्राधिकरण
महाकुंभ के बाद अगला कुंभ महाराष्ट्र के नासिक में लगेगा। इसको लेकर अभी से फडणवीस सरकार तैयारियों में लग गई है। सीएम देवेंद्र फडणवीस ने रविवार को नासिक-त्र्यंबकेश्वर का दौरा कर अधिकारियों एवं मंत्रियों के साथ बैठक की। कुंभ को देखते हुए राज्य सरकार ने मेला प्राधिकरण बनाने की तैयारी कर दी है। नासिक में गोदावरी नदी का पानी स्वच्छ रखने के लिए एसटीपी स्थापित किए जा रहे हैं।

राज्य ब्यूरो, मुंबई। उत्तर प्रदेश में महाकुंभ के सफल आयोजन से सीख लेकर महाराष्ट्र सरकार भी 2027 के नासिक कुंभ के प्रबंधन के लिए मेला प्राधिकरण के गठन का विचार कर रही है। इसकी घोषणा वर्तमान विधानमंडल सत्र में ही हो जाने की उम्मीद है।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने रविवार को नासिक-त्र्यंबकेश्वरका दौरा कर अधिकारियों एवं मंत्रियों के साथ बैठक की। उन्होंने 2027 में नासिक-त्र्यंबकेश्वर में लगने वाले सिंहस्थ कुंभ मेला की तैयारियों पर विचार विमर्श किया। बाद में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि कुंभ के लिए नासिक में क्या-क्या करना है, इसका मास्टर प्लान बनाकर उस पर काम शुरू कर दिया गया है।
मेला प्राधिकरण के गठन की तैयारी
राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि हमने यह देखा है कि प्रयागराज के महाकुंभ में जितने लोगों के आने की उम्मीद थी, उससे ज्यादा लोग वहां पर आए। नासिक में भी उसी प्रकार अपेक्षा से अधिक लोगों के आने की उम्मीद की जा रही है। इसलिए, यहां भी हमने मेला प्राधिकरण के गठन की तैयारी शुरू कर दी है। ताकि कुंभ से संबंधित सभी निर्णय त्वरित गति से लिए जा सकें और उन पर समय रहते अमल भी किया जा सके।
स्थापित किए जा रहे एसटीपी
फडणवीस ने कहा कि संभव होगा तो मेला प्राधिकरण के गठन का प्रस्ताव विधानमंडल के चालू सत्र में ही पास कर दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने बताया कि नासिक में गोदावरी नदी का पानी स्वच्छ रखने के लिए एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) स्थापित किए जा रहे हैं। साधु ग्राम के लिए भूखंड अधिगृहीत किए जा रहे हैं। पुल एवं सड़कों के निर्माण का काम भी शुरू हो गया है।
सिंहस्थ कुंभ दो जगहों पर होता है आयोजित
गौरतलब है कि नासिक का सिंहस्थ कुंभ नासिक और त्र्यंबकेश्वर दो स्थानों पर आयोजित होता है। नासिक में गोदावरी नदी के तटों पर सभी वैष्णव अखाड़े स्नान करते हैं। जबकि, त्र्यंबकेश्वर के कुशावर्त कुंड में सभी शैव अखाड़े स्नान करते हैं। इसे ध्यान में रखते हुए सरकार इस बार त्र्यंबकेश्वर के विकास पर भी विशेष ध्यान दे रही है।
मुख्यमंत्री फडणवीस ने त्र्यंबकेश्वर के विकास के लिए 1100 करोड़ रुपये खर्च किए जाने की घोषणा करते हुए कहा कि त्र्यंबकेश्वर में स्थित ज्योतिर्लिंग का विशेष महत्त्व है। त्र्यंबकेश्वर ही गोदावरी नदी का उद्गम स्थल भी है। इसलिए, यहां के भी नदी घाटों एवं अलग-अलग कुंडों के विकास की योजना बनाई जा रही है।

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