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    MVA में दरार! BMC चुनाव अकेले लड़ने की तैयारी में उद्धव की शिवसेना; वजह भी आई सामने

    Updated: Mon, 30 Dec 2024 05:59 PM (IST)

    महाराष्ट्र में हुए विधानसभा चुनाव के बाद एमवीए में फूट नजर आने लगी है। शिवसेना (यूबीटी) के प्रवक्ता ने संकेत दिया है कि उनकी पार्टी बिना किसी गठबंधन के ही मुंबई महानगरपालिका के चुनाव भाग लेगी। प्रवक्ता ने कहा कि महाराष्ट्र भर के शिवसैनिकों की ओर से पार्टी हाईकमान को यह सुझाव आ रहा है कि हमें अकेले चुनाव लड़ना चाहिए।

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    BMC चुनाव अकेले लड़ने की तैयारी में उद्धव की शिवसेना (फाइल फोटो- पीटीआई)

    राज्य ब्योरो, मुंबई। शिवसेना (यूबीटी) के प्रवक्ता आनंद दुबे ने संकेत दिया है कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली उनकी पार्टी कांग्रेस और राकांपा (शरदचंद्र पवार) से गठबंधन के बिना ही मुंबई महानगरपालिका के चुनाव अकेले लड़ सकती है।

    सोमवार को दुबे ने एक बयान में कहा है कि महाराष्ट्र भर के शिवसैनिकों की ओर से पार्टी हाईकमान को यह सुझाव आ रहा है कि हमें अकेले चुनाव लड़ना चाहिए। अकेले चुनाव लड़ने से हमें दो चीजों का लाभ मिलता है। पहला, हर जगह हमारे सभी कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ता है और दूसरा, अधिक से अधिक लोगों को चुनाव लड़ने का मौका मिलता है।

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    पार्टी कार्यकर्ताओं की मांग

    दुबे ने कहा कि शिवसैनिक पार्टी से मुंबई महानगरपालिका के चुनाव भी अकेले लड़ने का आग्रह कर रहे हैं लेकिन अंतिम निर्णय हाईकमान को लेना है। बता दें कि शिवसेना (यूबीटी) के राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय राउत भी संकेत दे चुके हैं कि शिवसेना अकेले चुनाव लड़ सकती है, क्योंकि पार्टी कार्यकर्ता इसकी मांग कर रहे हैं।

    एमवीए में दरार के संकेत

    राउत के बयान के बाद राकांपा (शरदचंद्र पवार) के नेता प्रशांत जगताप ने भी स्पष्ट कर दिया था कि यदि शिवसेना (यूबीटी) बीएमसी चुनाव अकेले लड़ने का फैसला करती है, तो उनकी पार्टी भी अकेले लड़ने को तैयार है। जबकि इसी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने कहा था कि वह राउत से पूछेंगे कि उन्होंने ऐसा निर्णय क्यों लिया।

    राज्य में अभी शिवसेना (यूबीटी) और राकांपा (शरदचंद्र पवार) महाराष्ट्र के महाविकास आघाड़ी गठबंधन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। 2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति ने 235 सीटों पर जीत दर्ज की। शिवसेना और राकांपा ने क्रमशः 57 और 41 सीटें हासिल कीं। ये नतीजे भाजपा के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुए, जो 132 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।

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