महाराष्ट्र के दो किलों के हूबहू मॉडल का मोहन भागवत ने किया उद्घाटन, भौगोलिक स्थिति को जस का तस दिखाने की कोशिश
किलों के माडल सांगली जिले के निवासी रमेश बहुर्गी ने एक साल के अंदर तैयार किए हैं। मूलतः फाइबर से तैयार इन माडलों में वर्तमान समय में इनके अंदर और बाहर स्थित सभी भौगोलिक स्थितियों को जस का तस दिखाने की कोशिश की गई है।
राज्य ब्यूरो, मुंबई: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने महाराष्ट्र के दो प्रमुख किलों के हूबहू (टु द स्केल) माडल का उद्घाटन किया। इनके साथ-साथ राज्य के और भी किलों के माडल अब महाराष्ट्र के विभिन्न संग्रहालयों में पर्यटकों के दर्शनार्थ रखे जाएंगे।
स्मारकों को संरक्षित करने का भाव
महाराष्ट्र में छोटे-बड़े मिलाकर 600 वर्ष से अधिक पुराने करीब 450 किले हैं। अब तक कुछ संग्रहालयों में इनमें से कुछ प्रमुख किलों की तस्वीरें प्रदर्शित की जाती रही हैं। अब महाराष्ट्र पर्वतारोहण महासंघ ने इनमें से दो दर्जन किलों के हूबहू (टु द स्केल) माडल बनाने का लक्ष्य तय किया है। इन्हीं में से दो माडल विजय दुर्ग एवं सिंधु दुर्ग किलों किए गए हैं। गुरुवार को मालवण में इनका उद्घाटन करते हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि इन किलों को देखना अपने आप में एक प्रेरणादायक अनुभव होता है। इससे इन स्मारकों को संरक्षित करने का भाव उत्पन्न होता है। बता दें कि विजय दुर्ग का निर्माण 11वीं शताब्दी में शिलाहार वंश के राजा भोज ने करवाया था और सिंधु दुर्ग किले का निर्माण छत्रपति शिवाजी महाराज ने 1664 ईसवी में करवाया था।
फाइबर से तैयार किए गए माडल
इन दो किलों के माडल सांगली जिले के निवासी रमेश बहुर्गी ने एक साल के अंदर तैयार किए हैं। मूलतः फाइबर से तैयार इन माडलों में वर्तमान समय में इनके अंदर और बाहर स्थित सभी भौगोलिक स्थितियों को जस का तस दिखाने की कोशिश की गई है। महाराष्ट्र पर्वतारोहण महासंघ के अध्यक्ष उमेश झिरपे का कहना है कि भविष्य में इसी तरह करीब दो दर्जन और प्रमुख किलों के माडल तैयार किए जाएंगे। इनमें से कुछ किले ऊंचे पर्वतों पर हैं, तो कुछ समुद्र के बीच में। माडल बनाने के लिए इन किलों का चयन उनके ऐतिहासिक महत्त्व को ध्यान में रखकर किया जाएगा।