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    स्थिति का ध्यान रखना राज्य का काम, सरकार मूकदर्शक नहीं रह सकती; मराठा आरक्षण आंदोलन पर हाई कोर्ट की सख्त टिप्पणी

    By Jagran News Edited By: Abhinav Atrey
    Updated: Mon, 26 Feb 2024 06:28 PM (IST)

    बॉम्बे हाई कोर्ट ने सोमवार को कहा कि मराठा आरक्षण को लेकर चल रहे विरोध के बीच महाराष्ट्र सरकार मूकदर्शक नहीं बनी रह सकती। हाई कोर्ट ने कहा कि सरकार के पास राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखने की शक्तियां हैं। जस्टिस ए एस गडकरी और जस्टिस श्याम चांडक की खंडपीठ ने कहा कि सरकार को स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कोर्ट के आदेश की जरूरत नहीं है।

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    स्थिति का ध्यान रखना राज्य का काम- बॉम्बे हाई कोर्ट (फाइल फोटो)

    पीटीआई, मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने सोमवार को कहा कि मराठा आरक्षण को लेकर चल रहे विरोध के बीच महाराष्ट्र सरकार मूकदर्शक नहीं बनी रह सकती। हाई कोर्ट ने कहा कि सरकार के पास राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखने की शक्तियां हैं।

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    जस्टिस ए एस गडकरी और जस्टिस श्याम चांडक की खंडपीठ ने कहा कि सरकार को स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कोर्ट के आदेश की जरूरत नहीं है। दरअसल, पीठ मराठा कोटा कार्यकर्ता मनोज जारांगे द्वारा शुरू किए गए विरोध-प्रदर्शन के खिलाफ गुणरतन सदावर्ते द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

    कोर्ट को आश्वासन, जारांगे शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे हैं- वकील

    पिछले हफ्ते मनोज जारांगे के वकील वी एम थोराट ने कोर्ट को आश्वासन दिया था कि वे शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे हैं। वहीं, सोमवार को याचिकाकर्ता सदावर्ते ने पीठ को बताया कि महाराष्ट्र में कई जगहों पर आंदोलन हिंसक हो गया है।

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    महाराष्ट्र में 267 केस दर्ज

    राज्य सरकार की तरफ से पेश महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ और लोक अभियोजक हितेन वेनेगांवकर ने कोर्ट को बताया कि हिंसा की घटनाओं के बाद पूरे महाराष्ट्र में 267 केस दर्ज किए गए हैं।

    स्थिति का ध्यान रखना राज्य का काम- हाई कोर्ट

    हाई कोर्ट ने कहा, "स्थिति का ध्यान रखना राज्य का काम है। राज्य मूकदर्शक नहीं रह सकता। उसे नाकेबंदी हटानी होगी।" कोर्ट ने आगे कहा, अगर जारांगे द्वारा दिया गया आश्वासन कि आंदोलन शांतिपूर्ण होगा, नहीं निभाया जाता है तो यह राज्य का काम है कि वह "स्थिति का ध्यान रखे"।

    राजनीतिक मुद्दों को कोर्ट में नहीं लाया जाना चाहिए

    इसपर मनोज जारांगे के वकील वी एम थोराट ने पीठ से कहा कि ये राजनीतिक मुद्दे हैं और इन्हें कोर्ट में नहीं लाया जाना चाहिए। उन्होंने दावा किया कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने हमारी मांगें पूरी करने का आश्वासन दिए जाने के बाद मनोज जारांगे ने 26 जनवरी को आंदोलन बंद कर दिया था।

    थोराट ने आगे कहा कि मांगें पूरी नहीं होने पर आंदोलन का दूसरा चरण शुरू हो गया है। इसके बाद हाई कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 5 मार्च को तय की है।

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